गर फ़िर्दौस बर रुए ज़मीन अस्त, हमीं अस्त, हमीं अस्त ।
भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर से आम भारतीय का नाता बिलकुल ख़तम होता जा रहा है. अगर धार्मिक दृष्टि से छोड़ दें तो कोई भी अब कश्मीर की यात्रा नहीं करना चाहता. क्योंकि वहा पर आतंक का राज है,
वर्तमान परिपेक्ष में कश्मीर के अंदर आतंक विकास करने के लिए एक अच्छा मॉडल सिद्ध हो रहा है, वहा कश्मीरी लोगो को रोजी-रोटी येही पत्थर बाजी से मिलती है, आम भारत वासी चाहते है की कश्मीर और सुलगा रहे, रोज कश्मीरी जनता वहा पर बंद का आयोजन करे, जिस से काम से काम आम भारतवासी को कुछ तो सुकून मिलगे, रोज वहा की जनता वहा की सड़को पर हो, ताकि कल वो अपने आप ही सड़को पर हो.
बेचारा कश्मीरी पंडित तो निरीह है उनकी तो सरकार कुछ नहीं सुनती क्योंकि उनका वोट कि गिनती नहीं है – न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीरी पंडितों कि आवाज़ उठाने वाली कोई संस्था है. कश्मीर का अवाम चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है की आज का कश्मीरी भारत के साथ नहीं है वह तो पैदाइशी पाकिस्तानी है, वहीँ से उनकी रोटी आती है, वहीँ से नोट आता है और आजकल तो वहीँ से पत्थर भी सप्लाई हो रहे है.
आम भारतवासी चाहते है की कश्मीर और सुलगा रहे, ताकि पूरा भारत शांत रहे
लेख में सबसे पहले मुग़ल बादशाह जहाँगीर के शब्द थे ? क्या आज जहांगीर के वंशजों ने ही कश्मीर कि वो हालत कर दी है कि उक्त पंक्तिय लिखते हुए भी हाथ कापता है.
जय हो भारत भाग्य विधाता..................
मिश्र जी, आजकल कश्मीर में जो घटित हो रहा है उस पर बिलकुल सार्थक पोस्ट है आपकी.
ReplyDeleteहिंदी दिवस कि बधाई हो.
kashmir ke haalat par badiya lekh.....
ReplyDeleteMere blog par bhi sawaagat hai aapka.....
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