आज कोइए नाराज़ है ,उसके इस अंदाज़ मैं ही खुस है,
जिंदगी है छोटी चार पल मैं खुस हम घर मैं खुस है अफ्फिस मैं खुस है
बस मैं खुस है रेल मैं खुस है
आज मुर्गे की टांग नहीं तो बस दाल भात मैं खुस है
आज गाडी मैं जाने का मन नहीं है तो दो कदम साथ चल के खुस है
आज दोस्तों का साथ नहीं ,तो ब्लॉग्गिंग कर के खुस है,
जिसको देख नहीं सकते ,उसकी आवाज सुन के ही खुस है,
आज कोइए नाराज़ है ,उसके इस अंदाज़ मैं ही खुस है,
जिसको पा नहीं सकते ,उसकी याद मैं ही खुस है ,
बीता हुआ कल जा चुका है,उसकी मीठी यादो मैं खुस है,
आज कोइए नाराज़ है ,उसके इस अंदाज़ मैं ही खुस है,
हम नाराज़ नहीं है
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा आपने
ReplyDeleteमिसिर जी, आज तो आप का खुसी 'जय बाबा बनारस' पर नज़र आ रहा है, चलो इसी कविताई पर हम भी खुस हैं.....
ReplyDeleteकौन है?
ReplyDeleteTo be happy is an art.
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