Friday, November 29, 2013

पंडित लेखराम

सनातनी इतनी बड़ी संख्या में मुस्लमान कैसे हो गए ?
 पंडित लेखराम जी की तर्क शक्ति गज़ब थी.
 आपसे एक बार किसी ने प्रश्न किया की हिन्दू इतनी बड़ी संख्या में मुस्लमान कैसे हो गए.
 अपने सात कारण बताये.
 १. मुस्लमान आक्रमण में बलातपूर्वक मुसलमान बनाया गया.
 २. मुसलमानी राज में जर, जोरू व जमीन देकर कई प्रतिष्ठित हिन्दुओ को मुस्लमान बनाया गया.
 ३. इस्लामी काल में उर्दू, फारसी की शिक्षा एवं संस्कृत की दुर्गति के कारण बने.
 ४. हिन्दुओं में पुनर्विवाह न होने के कारण व सती प्रथा पर रोक लगने के बाद हिन्दू औरतो ने मुस्लमान के घर की शोभा बढाई तथा अगर किसी हिन्दू युवक का मुस्लमान स्त्री से सम्बन्ध हुआ तो उसे जाति से निकल कर मुस्लमान बना दिया गया.
 ५. मूर्तिपूजा की कुरीति के कारण कई हिन्दू विधर्मी बने.
 ६. मुसलमानी वेशयायो ने कई हिन्दुओं को फंसा कर मुस्लमान बना दिया.
 ७. वैदिक धर्म का प्रचार न होने के कारण मुस्लमान बने.
 अगर गहराई से सोचा जाये तो पंडित जी ने हिन्दुओं को जाति रक्षा के लिए उपाय बता दिए हैं,
 अगर अब भी नहीं सुधरे तो हिन्दू कब सुधरेगे"" ???? जय सनातन सनातन सें बढकर कोई धर्म नहीं


जय बाबा बनारस ....

Tuesday, November 19, 2013

घंटी

रामदास एक ग्वाले का बेटा था. रोज सुबह वह अपनी गायों को चराने जंगल में ले जाता. हर गाय के गले में एक-एक घँटी बंधी थी. जो गाय सबसे अधिक सुन्दर थी उसके गले में घँटी भी अधिक कीमती थी.
एक दिन एक अजनबी जंगल से गुजर रहा था. वह उस सुन्दर गाय को देखकर रामदास के पास आया.
अजनबी :- यह घँटी बड़ी सुन्दर है क्या कीमत है इसकी......??
रामदास :- तीस रूपये.
अजनबी :- सिर्फ तीस रूपये, मै इस घँटी के सौ रूपये दे सकता हूँ ।
सुनकर रामदास खुश हो उठा. झटसे उसने घँटी उतारकर अजनबी को दे दी और सौ रूपये जेब में रख लिए. अब गाय के गले में कोई घँटी नहीं थी. घँटी की टुनक से उसे अंदाजा हो जाया करता था कि गाय कौनसी दिशा में, कितनी दूर है. अत: अब रामदास को यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया कि गाय कहाँ है. ---------जब गाय चरते-चरते दूर निकल आई तो अजनबी को मौका मिल गया. वह गाय को साथ लेकर चलता बना.
शाम को रामदास ने देखा कि सुन्दर गाय तो है ही नहीं . वह रोता हुआ घर पहुँचा और सारी घटना अपने पिता को सुनाई. उसने कहा, मुझे तनिक भी अनुमान नहीं था कि वह अजनबी मुझे घँटी के इतने अच्छे पैसे देकर ठग ले जायेगा.
पिता :- ठगी का सुख बड़ा खतरनाक होता है. पहले वह हमें प्रसन्नता देता है फिर दुःख, अत: हमें पहले ही से उसका सुख नहीं उठाना चाहिए.
शिक्षा :- लालच में आकर कोई काम न करें.
चुनावी महौल है, राजनैतिक नेता हमें तरह-तरह के लालच दे रहे हैं और देंगे । हमें इनके दिए तुच्छ लालच में नहीं आना है । क्योंकि हमारे वोट से जीतने पर यही नेता देश को कितना लूटेंगे, हम कल्पना भी नहीं कर सकते ।
वोट देते समय पार्टी को ध्यान में रखकर अपने "मत" का प्रयोग करें, ना कि स्थानीय नेता को ।।
धन्यवाद . . . . वन्देमातरम ।।

Friday, November 15, 2013

आप भी श्रेष्ठ का चुनाव करें ।

बहुत ही कम लोगों को ज्ञात होगा कि 'गंधासुर-वध' हेतु हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे जी, आप्टे जी, विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, गोपाल जी गोडसे आदि ने मोहनदास करमचन्द गाज़ी पर 20 जनवरी को भी एक बम फेंका था बिरला हॉउस में ।

बिरला हाउस के गेटकीपर छोटूराम को रिश्वत देकर ये सभी लोग प्रार्थना सभा में घुस गये।
मदनलाल ने छोटूराम से कहा कि वह उन्हें सभा- स्थल के पीछे जाने दे जहाँ से
गान्धी की प्रार्थना सभा में उपस्थित जन
समुदाय की एक फोटो ली जा सके।

छोटूराम को जब मदनलाल पर शक हुआ तो उसने वहाँ से चले जाने को कहा। इस पर मदनलाल वापस लौटे और चहारदीवारी के ऊपर से गंधासुर गाज़ी जी सभा में हथगोला फेंककर वहाँ से भागे परन्तु भीड के हत्थे चढ गये।

उनके अन्य साथी प्रार्थना सभा में मची अफरा-तफरी का लाभ उठाकर बिरला हाउस से साफ बच निकले।

सरदार पटेल हिन्दू-महासभाईयों की दृढ़-संकल्पता से भली भांति परिचित थे, पटेल दुखी थे पहले ही गाँधी द्वारा पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपये देने से ।
पटेल ने पहले भी कहा था कि यह 55 करोड़ गाँधी वध का कारण बनेगा, अत: पटेल ने भी कुछ सोच समझ कर बिरला हॉउस की सुरक्षा 6 दिन बाद कम कर दी ।

उस समय न तो मोबाइल था,
न पेजर, न FAX, न ही कोई और संचार व्यवस्था का साधन था ।

फिर भी अगले 10 दिन में ही एक और प्रयास किया गया जो कि सफल रहा ।

यहाँ उल्लेखनीय है कि 10 दिन तो किसी योजना के विफल हो जाने पर छिपने पर ही लग जाते हैं परन्तु हिन्दू महासभा के शूरवीरों ने अगले 10 दिनों में ही अपनी योजना को पुन: कार्यान्वित कर सफल बनाया, इससे क्या क्या सिद्ध हो सकता है आप सब विचार कर सकते हैं?

10 ही दिन में फरार भी हुए,
फिर अगली योजना भी बना डाली,
उसके लिए हथियार भी खरीदा,
टेस्ट भी किया और फिर गाँधी वध भी किया ।

स्पष्ट है कि संभव ही कोई दिन इन शूरवीरों ने व्यर्थ गंवाया होगा ।

रेलगाड़ियों में घूमते हुए ही सारी योजनायें बनी और संसाधन जुटाए गये ।

कानपुर जाते समय एक दिन गोडसे कुछ सोच रहे थे बाकी साथी हंसी मजाक में व्यस्त थे, आप्टे ने गोडसे जी को छेड़ते हुए कहा :- "पंडित अब तुम्हारी वाक्शक्ति क्या गाँधी वध के बाद ही सुनने को मिलेगी ?"

गोडसे जी बोले "नारायण मैंने निश्चय किया है की इस बार गोली मैं चलाऊंगा ।"

फिर योजना बनी की गाँधी की प्रार्थना सभा में गाँधी के सामने जाकर गोली मारी जाएगी ।

जब बिरला हॉउस में प्रवेश किया तो सौभाग्य से गोडसे जी से 4 कदम आगे ही गाँधी 2 महिलाओं को बैसाखी बना कर आगे बढ़ रहा था ।

गोडसे जी सहसा निर्णय लिया कि बाद में न जाने योजना सफल हो या न हो, अवसर प्राप्त हो या न हो, अभी जब गाँधी साथ ही चल रहा है तो ... "शुभ्स्थ शीघ्रम" ।

सहसा नथुराम गोडसे जी ने कदम तेज बढाये और भागते हुए गाँधी के सामने जाकर खड़े हो गये ।

गोडसे जी ने बरेटा पिस्तौल से गोलियां दागीं और... गंधासुर के मुंह से निकला "हराम..." ... ।

शब्द पूरा भी न हुआ था गंधासुर के प्राण पखेरू उड़ चुके थे

ऋषिभूमि का एक आर्यपुत्र जो शास्त्रों और शस्त्रों में अपनी आस्था रखता था वो अपनी भारत भूमि का विभाजन करवाने वाले पापी को उसके अपराध का दंड दे चुका था ।

भारत का अलोकतांत्रिक संविधान अभी पारित नही हुआ था, 26 जनवरी 1950 को संविधान के पारित होने के बाद ही गोडसे जी को फांसी दी जानी थी ।

परन्तु नेहरु जानता था कि उसने कैसा संविधान बनवाया है, उस संविधान के अनुसार कोई न कोई गोडसे जी की फांसी में अडचन डलवा सकता है ।

नेहरु ने दबाव डाल कर गोडसे और आप्टे जी को समय से पूर्व ही 15 नवम्बर 1949 को फांसी की सजा दिलवाई ।

आप्टे जी ने तो गोली भी नही चलवाई वो तो केवल षड्यंत्र में शामिल ही थे फिर भी उन्हें अंग्रेजों के संविधान की भांति ही अनीतिपूर्ण तरीके से मृत्यु दंड सुनाया गया ।

गान्धी-वध के अभियोग में आरोपित
सभी अभियुक्तों की सूची इस प्रकार है:

नाथूराम विनायक गोडसे,
नारायण दत्तात्रेय आप्टे,
विष्णु रामकृष्ण करकरे,
मदनलाल कश्मीरीलाल पाहवा,
गोपाल विनायक गोडसे,
शंकर किश्तैय्या,
दिगम्बर रामचन्द्र बडगे,
दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे,
विनायक दामोदर सावरकर,
गंगाधर जाधव,
गंगाधर दण्डवते एवम्
सूर्यदेव शर्मा।

दिगम्बर बड़गे आदि ने विश्वासघात किया और सरकारी गवाह भी बने ।

ये सब शूरवीर भी आम भारतियों की भांति ही जीवनयापन कर रहे थे ।
इनके भी परिवार थे ।

गाँधी वध के समय इनके दिमाग ने भी संभवत: हजारों बार यह प्रश्न किया होगा कि परिवार का क्या होगा ?

परन्तु इन्होने सन्गठन और परिवार की चिंता किये बिना मातृभूमि हेतु सर्वस्व बलिदान देकर अपना सर्वोत्तम कर्म किया और भारत भूमि का एक और विभाजन अर्थात 'मुग्लिस्तान' बनने से बचाया ।

फलस्वरूप बिना व्यापक सूचना तन्त्र के भी अहिंसा का ढिंढोरा पीटने वाले कांग्रेसियों ने हिन्दू महासभाईयों के गढ़ कहे जाने वाले पुणे पर एक बहुत बड़ी संख्या में सुनियोजित नेतृत्व में हमला किया और 6000 चित्पावन ब्राह्मणों को चुन चुन कर जिन्दा जला दिया गया ।
20000 से अधिक चित्पावन ब्राह्मणों के घर, दूकान, गोदाम आदि जला दिए गये ।

जो हिन्दू-महासभाई आरोप मुक्त हुए या दंड पाकर जेल से निकले उन्हें कोई नौकरी तक न देता था ।

हिन्दू-महासभाई सुन कर ही लोग मन ही मन में बहिष्कार कर देते थे ।

हिन्दू-महासभाईयों के पुत्र-पुत्रियों के साथ कोई भी परिवार वैवाहिक संबंध बनाने से मना कर देते थे ।

व्यापारिक रूप से भी बहुत अपमानित और उपेक्षित होना पड़ा हिन्दू महासभाइयों को ... निरंतर पडते आयकर के छापे, जाँच ।

Sales Tax के छापे पड़वा कर उन्हें परेशान करना आम बात हो गई थी ।

सगे सम्बन्धी भी हिन्दू महासभा का नाम सुनकर दूर भागते थे ।

ये सब नेहरु की सरकारी नीतियों द्वारा पोषित हुआ ।

आज जो सडकछाप फेसबुकिए अपनी बिना हड्डी की जुबान चला कर ये कहते नही थकते हैं कि इतने वर्षों में हिन्दू महासभा दोबारा क्यों न खड़ी हुई उन्हें संभवत: अंदाजा ही नही कि हिन्दू महासभाई होना किस प्रकार अभिशप्त हो चुका था उस समय ।

हालात ऐसे थे कि चुनाव लड़ने हेतु भी कोई वित्तीय सहायता पाना असंभव होता था ।

अभिशप्त जीवन जीना कैसा होता है ये हिन्दू महासभाई जानते हैं ।



कुछ तो अवसर ही नही छोड़ते अपमानित करने का, झूठी बातें बना कर भी दुष्प्रचार करने में कोई लज्जा नही आती न ही अंतरात्मा धिक्कारती है ऐसे अहिंदुओं की ।

इतिहास साक्षी है प्रत्येक नीति-अनीति द्वारा व्याप्त रोष से जनित अच्छे बुरे कर्म कर्म का ... क्रिया का और प्रतिक्रिया का ।

आप भी श्रेष्ठ का चुनाव करें ।

आप सबसे विनम्र अनुरोश है की अपने इतिहास को जानें, जो की आवश्यक है की अपने पूर्वजों के इतिहास जो जानें और समझने का प्रयास करें....
उनके द्वारा स्थापित किये गए सिद्धांतों को जीवित रखें l

जिस सनातन संस्कृति को जीवित रखने के लिए और अखंड भारत की सीमाओं की सीमाओं की रक्षा हेतु हमारे असंख्य पूर्वजों ने अपने शौर्य और पराक्रम से अनेकों बार अपने प्राणों तक की आहुति दी गयी हो, उसे हम किस प्रकार आसानी से भुलाते जा रहे हैं l

सीमाएं उसी राष्ट्र की विकसित और सुरक्षित रहेंगी ... जो सदैव संघर्षरत रहेंगे l
जो लड़ना ही भूल जाएँ वो न स्वयं सुरक्षित रहेंगे न ही अपने राष्ट्र को सुरक्षित बना पाएंगे l

Tuesday, November 12, 2013

इल्लुमनिती का सबसे बड़ा दुश्मन


क्या सलमान खान और सैफ अली खान भी इल्लुमनिती के सदस्य है?? क्या महात्मा गाँधी भी इमुलानिती का सदस्य था,
ये पढ़े: http://illuminatinetwork.blogspot.in/p/illuminati-puppets.html
http://henrymakow.com/ghandis_role_in_the_illuminati.html
चित्र में सलमान खान की जो दो उँगलियाँ दिखा कर अभिवादन करने की मुद्रा है ये इलुमनिती का एक चिन्ह है, जिसे आप उपर दिए लिंक में दुनिया के बहुत सी बड़ी बड़ी हस्तियों के द्वारा प्रयोग करते हुए देख सकते है, इसी चिन्ह को कुछ समय पहले कोक(Coke) पेय कंपनी ने भी अपने कुछ विज्ञापनों में प्रयोग किया था इस चिन्ह को शैतान या असुरी शक्तियों को सलाम या नमस्कार के तौर पर देखा जाता है क्यूंकि इलुमनिती मुख्यत: किसी धर्म विशेष को न मान कर असुरी शक्तियों में विश्वास रखता है,
बहुत से मित्रो को ये भी नहीं पता होगा की आखिर ये इल्लुमनिती है क्या बला??
इल्लुमनिती दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगो का एक सीक्रेट संगठन है, जो की पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करना चाहता है,
इसके मुख्य उद्देश्य है पूरी दुनिया में बिना किसी बॉर्डर के सभी देशो में एक मुद्रा एक संस्कृति, एक सभ्यता, एक जाति विशेष का एकछत्र साम्राज्य हो,
इसके लिए इन्हें जनसख्या पर भी नियन्त्रण करना है, जिसका एक ही एक उपाय है, लोगो का जातीय सामूहिक संहार, फिर चाहे वो प्रथम विश्व युद्ध करवाना हो या द्वितीय या भारत पाक युद्ध या फिर वियतनाम अमेरिका युद्ध, या अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमला, या अब तीसरे विश्वयुद्ध के साथ साथ जल-युद्ध और परमाणु युद्ध की तयारी, उसके साथ इनका सबसे बड़ा प्रोजेक्ट एक और है,
एक फिल्म है the resident Evil और भारत में बनी हुई Go Goa Gone, इन सभी में एक ही समानता है, लोगो को वायरस द्वारा अर्द्धमृत कर देना और उनकी बुद्धि पर नियंत्रण करना, जिसका तोड़ केवल एक ही है, वो तोड़ नीचे पढियेगा,
इस संगठन पर वर्तमान में यहूदियों और कुछ सीमा तक ईसाईयों का कब्ज़ा है, यहूदियों से इसलिए क्यूंकि अमेरिका में भी उन्ही का दबदबा है और इल्लुमनिती को अधिकतर फण्ड वही से मिलता है, काफी दिनों से एक मित्र द्वारा जिज्ञासा जगाने के बाद मैंने भी खोजबीन शुरू की,
पूरी दुनिया में इल्लुमनिती का सबसे बड़ा दुश्मन, शत्रु है हिन्दू,
जी हाँ मित्रो,
सनातन धर्म इल्लुमनिती का सबसे बड़ा शत्रु है,
किसी भी देश में कोई भी सत्ता बिना इनके हस्तक्षेप के नहीं चल सकती,
शायद कुछ लोगो को ये बात हजम न हो, पर भारत में कोई भी सरकार चाहे वो आ चुकी है या आने वाली है वो इन्ही के इशारों पर चली है और चलेगी,
सनातन धर्म एक अध्यात्मिक धर्म है और इलुमनिती एक पैशाचिक संस्था,
जैसा की मैंने उपर लिखा की इलुमनिती वायरस द्वारा भी माध्यम व् गरीब लोगो का समुहिक संहार करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है और इसके लिए उन्होंने लोगो के मन में डर बैठाने के लिए हॉलीवुड और बॉलीवुड का सहारा लिया है, उपर लिखे २ नाम तो केवल एक मोहरा है, लिस्ट काफी लम्बी है,
जिस वायरस पर इल्लुमनिती संगठन अब तक कार्य कर रहा है उसका केवल एक ही तोड़ है और वो है यज्ञ,
यज्ञ न केवल हानिकारण किरणों, गैसों, बल्कि जैविक परमाणु और अन्य रासायनिक हथियारों को आराम से निष्क्रिय कर सकता है, चावल जो की सबसे अच्छा anti-atom पदार्थ है, इसकी यज्ञ में आहुति से पूरा वातावरण परमाणु विकिरण से मुक्त हो जाता है, इसके अतिरिक्त और भी हजारो ऐसे पदार्थ या हवन सामग्री में प्रयोग होने वाले तत्व है जो इनसे मुक्ति दिला सकते है,
इलुमनिती का सबसे मुख्य कार्य इस समय सनातन धर्म को ही समाप्त करना है,
इसके कारण बहुत है - पहला सनातन धर्म में अध्यात्म और ईश्वरीय तत्व,
जहाँ अध्यात्म व् ईश्वरीय आभास होगा वहां पर पैशाचिक विचारो का होना असंभव है, सनातन धर्म को समाप्त करने के लिए ही इस्लाम और ईसाईयत को पुरे देश में इल्लुमनिती द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस कारण बड़े पैमाने पर मुसलमानों द्वारा धर्मान्तरण, लव जिहाद, दंगे आदि हो रहे है,
इमुलानिती का उद्देश्य किसी विशेष समुदाय का समर्थन नहीं करना है, केवल अपने लाभ के लिए ये एक मजहब के दुसरे मजहब के विरुद्ध प्रयोग करते है, अफगानिस्तान और इराक में जनसख्या संतुलन के लिए इन्होने ईसाईयों के हाथो मुसलमानों का संहार करवाया,
वायरस द्वारा अर्द्धमृत मानव तैयार करने का प्रोजेक्ट इलुमनिती का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है जिसे ये कुछ सालो में कुछ स्थानों पर अमल में भी लाने वाले है,
इलुमनिती के विषय में अन्य जानकारी आप गूगल या यूट्यूब से जुटा सकते है,
http://www.youtube.com/results?search_query=illuminati+in+india&sm=3
संकलनकर्ता - रोहित कुमार

Friday, November 8, 2013

एक ओर सच्ची प्रेम कहानी:

एक ओर सच्ची प्रेम कहानी:

एक सुवर को मुर्गी से प्रेम हो गया,
मुर्गी भी सुवर को प्रेम करने लगी,
पर यह प्रेम पसंद नहीं आया,
दोनों के घरवालों को,
सुवर और मुर्गी का प्रेम,
न देखा कभी न सुना,
समझाया फिर धमकाया,
पर प्रेम अँधा होता है,
दोनों नहीं माने,
घर छोड़कर भाग गए,
रहने लगे लिव-इन रिलेशनशिप में,
एक रात सुवर ने चुम्बन लिया मुर्गी का,
सुबह दोनों मृत पाए गए,
डाक्टरी जांच से पता चला,
सुवर मरा बर्ड फ़्लू से,
मुर्गी मरी स्वाईन फ़्लू से.

शिक्षा पर वही पुरानी सच्ची प्रेम कहानी वाली

शिक्षा : अंतरजातीय प्रेम हमेशा खतरनाक होता है इसलिये माँ - बाप की इज्ज़त करो और उनकी पसंद से ही शादी करो


जय बाबा बनारस .....

धर्मनिरपेक्षता तथा सहिष्णुता

कुछ अनुत्तरित सवाल दिमाग में चलते रहे.... और, मन को परेशान करते रहे....! फिर भी..... अंत तक मैं ये समझ नहीं पाया कि.....
 आखिर क्यों सिर्फ हम हिन्दुओ को ही ....सेक्युलर बनने के लिए दबाब डाला जाता है ....एवं, सर्वधर्म समभाव का भोंडा पाठ पढ़ाया जाता है....???
 और आखिर क्यों..... कोई भी राजनीतिक पार्टी अथवा मिडिया मुसलमानों को सेक्युलर बनने के लिए पूछते तक नहीं हैं ....?????

 आखिर ऐसा क्या कारण है कि..... हमारे हिन्दू धर्म स्थलों से टैक्स लिया जाता है ... जबकि, मस्जिद , दरगाहों इत्यादि में मुफ्त बिजली एवं पानी ... दान के तौर पर दे दिया जाता है .....???
 और तो और.... आश्चर्य तो इस बात का है कि.....जब हिन्दूओ को हमारे धार्मिक यात्राओं के लिए कुछ नहीं मिलता ...... तो बददिमाग मुस्लिमो को हज के लिए 25000 रूपए आखिर किस ख़ुशी में दे दिए जाते है .......
. क्या पैसा सरकार में बैठे मंत्रियों की बपौती संपत्ति है ...... जिसे वे जैसे भी चाहें .... उड़ा दें....?????
 ऐसा भी क्या कष्ट है कि....... एक तरफ तो विकास के नाम पर हम हिंदुओं के गौशालाओ की जमीने छीन ली जाती है ..
 जबकि कटुओं के मस्जिदों के लिए मुफ्त में जमीने दे दी जाती है........??? ??
 हद तो ये है कि.... हमारे ही हिंदुस्तान में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर............. एक तरफ तो मंदिरों की घंटिया बंद करवाई जाती है .......
 वहीँ दूसरी तरफ मस्जिदों में खुलेआम ... दिन के पांच समय माइक पर "मुर्गा बांग" चलने दिया जाता है ....??????
 सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि.... हमारे हिन्दू अभियानों तथा पवित्र कोशी यात्राएँ रोकी जाती है जबकि.... मुस्लिमों के जुलूस एवं ताज़िए को रोकने की जगह उन्हें पुलिसिया सुरक्षा मुहैया करवा दी जाती है...!

 यहाँ तक कि..... हम हिंदुओं के ही टैक्स के पैसे से मुस्लिमों के हाथ में लैपटॉप थमाए जाते हैं ... जबकि, हम हिन्दुओ के हाथ खाली रखे जाते है ...!
 उस से भी आगे कि.....

 सभी राजनीतिक पार्टियों एवं मिडिया द्वारा हम हिन्दुओ एवं हमारी धार्मिक भावना को नजरअंदाज़ करते हुए हमारी आस्थाओ पर सवाल किये जाते है... और, हमें तरह-तरह की नसीहतें दी जाती हैं जबकि..... मुस्लिमो के हर पाखंड तथा हैवानियत पर आश्चर्यजनक चुप्पी रखी जाती है ...?????

 उपरोक्त बातें तो सिर्फ एक नमूना है ... जो हम हिंदुओं को बहुत सारी बातें सोचने तथा ...... हमें उग्र रवैया अपनाने को विवश करती है....!

 साथ ही ये भी कटु सत्य है कि.... अगर हम हिन्दू ....  धर्मनिरपेक्षता तथा सहिष्णुता के चादर में यूँ ही छुपाये रहे तो..... वो दिन दूर नहीं.... जब हम हिन्दू अपने ही हिंदुस्तान में .... दोयम दर्जे के नागरिक एवं मुस्लिमों के पैर की जूती बना दिए जायेंगे....!

 इसीलिए .... जागो हिंदुओं और अपने हक़ के लिए दहाडो.... ताकि तुम्हारी दहाड़ सुनकर ही दुश्मनों का दिल दहल जाए...!!

जय बाबा बनारस .....