tag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post2968466437990043461..comments2023-09-13T05:09:15.136-07:00Comments on जय बाबा बनारस ...पुरविया.: हिंदी भवन में समाया ब्लॉग जगतAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-59079472090473503642011-05-02T06:28:16.603-07:002011-05-02T06:28:16.603-07:00भड़रौ-स्राध होइगै रहा, वहि तौर पै। मुला ठीक है..कु...भड़रौ-स्राध होइगै रहा, वहि तौर पै। मुला ठीक है..कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी’ न भाई!Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-48249174736522579152011-05-01T22:54:25.429-07:002011-05-01T22:54:25.429-07:00@ अजय झा जी,
** आपकी बातों से सहमत।
** पुरस्कार की...@ अजय झा जी,<br />** आपकी बातों से सहमत।<br />** पुरस्कार की संख्या - पर एक दो बात<br />--- जब राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा की जाती है तो विभिन्न कैटेगरी के लिए कई-कई पुरस्कार की घोषणा होती है। इसी तरह अपने ही नहीं विभिन्न देशों तक फैले इस ब्लॉगजगत, जिसमें तरह-तरह की विधा में योगदान दिया जाता हो एक दो पुरस्कार देकर हौसला आफ़ज़ाई शायद कम होता! <br />टीवी, जहां हिन्दी के आठ-दस सक्रिय चैनेल हैं वे भी सैकड़ो की श्रीणी में पुरस्कार देते हैं।<br />यहां तक कि समाचर चैनेल कई-कई कैटेगरी बना लेते हैं।<br />हमें रवीन्द्र जी को साधुवाद देना चाहिए कि उन्होंने कहां-कहां से ढ़ूंढ़ कर, पढ कर उन्होंने हमारे ही बीच के कई लोगों और उनकी विधा से हमारा परिचय कराया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-48836065175670958592011-05-01T22:39:20.719-07:002011-05-01T22:39:20.719-07:00@ हालांकि कोई भी काम संपन्न करवाना मुश्किल है और उ...@ हालांकि कोई भी काम संपन्न करवाना मुश्किल है और उसकी आलोचना करना आसान. ... पर इस निमित कुछ सुंझाव मांगे जा सकते थे..... आर्थिक सरोकार भी देखे जा सकते थे.... यानि जहाँ चाह - वहां राह निकल ही आती है. अपना अलग प्लेटफोर्म होता....... तो ब्लॉगजगत में इसकी भव्यता कुछ और होती.<br /><br />*** बहुत ही साकरात्मक सोच, संयमित भाषा और सही चिंतन के साथ आपने आलेख लिखा है। ब्लॉगजगत अभी अपनी आरंभिक दौर से गुज़र रहा है। कुछ लोग पहल करके कुछ नया कर रहे हैं। वे अपनी सोच, क्षमता और संपर्क के अनुसार इसे अंजाम दे रहे हैं। हर आयोजन में कमी-बेशी तो होती ही है। खास कर जब संगठन (ब्लॉगजगत) नया हो और अनुभव पहला!<br /><br />हमें इस आयोजन के सकारात्मक पहलु को सामने लाना चाहिए और मिल-बैठ कर इसकी कमियों को दूर कर आगे भव्य आयोजन की रूप-रेखा तैयार करनी चाहिए।<br /><br />हिन्दी पत्रकारिता की भाषा और आलोचना पद्धति से इस तरह के आयोजकों का हौसाला तोड़ने से हम अपना ही घाटा करेंगे।<br /><br />बड़े सुनियोजित ढ़ंग से इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया वाले इसकी कमियों को हाइलाइट कर हमारे बल को विखंडित करने का अवसर नहीं चूकने वाले। हमें सतर्क रहना चाहिए।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-69703354647028952072011-05-01T19:06:53.758-07:002011-05-01T19:06:53.758-07:00मिश्रा जी, हम छोटे स्टेटस के लोग इसीलिये अपने में ...मिश्रा जी, हम छोटे स्टेटस के लोग इसीलिये अपने में मस्त रहते हैं। न बुलायें न जायें:)<br />बाकी हम दीपक सैनी के कमेंट से सहमत हैं, बधाई और शुभकामनायें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-56730285825249716372011-05-01T18:34:59.125-07:002011-05-01T18:34:59.125-07:00अरे आप ता तोप लेके खड़ा हो गइनी..एक सामान्य समारोह...अरे आप ता तोप लेके खड़ा हो गइनी..एक सामान्य समारोह था जो एक पुब्लिकेसन ने कराया था CM साहब के आशीर्वाद से ..<br />हिंदी ब्लोगेरों को भी कुर्सी मिल गयी इ का कम समझत बाड़ा ..<br />हमने सोचा ब्लोगीर्स मिट है मगर यहाँ दृश्यावलोकन कुछ और ही आभास दे रहा था..<br /><br /><a href="http://ashutoshnathtiwari.blogspot.com/2011/05/blog-post.html#comments" rel="nofollow">आशुतोष की कलम से....: धर्मनिरपेक्षता, और सेकुलर श्वान : आयतित विचारधारा का भारतीय परिवेश में एक विश्लेषण:</a>आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-90876617287257354602011-05-01T09:31:12.922-07:002011-05-01T09:31:12.922-07:00जिन्हें पुरुस्कार मिला उन्हें बधाई जिन्हें नहीं मि...जिन्हें पुरुस्कार मिला उन्हें बधाई जिन्हें नहीं मिला उन्हें भविष्य में मिलने के लिए शुभकामनायेDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-9220997525752542592011-05-01T06:57:45.361-07:002011-05-01T06:57:45.361-07:00सबको बधाई हो।सबको बधाई हो।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-43024581472583633342011-05-01T06:43:37.249-07:002011-05-01T06:43:37.249-07:00आपने खुद ही प्रश्न उठाए और खुद ही उसका निवारण भी क...आपने खुद ही प्रश्न उठाए और खुद ही उसका निवारण भी कर दिया । जो भी ऐसे आयोजनों से जुडे रहे हैं या कभी ऐसे आयोजनों में मेजबान के रूप में सहभागिता की है उन्हें ही पता होता है कि अपनी नौकरी , घर परिवार , श्रम , धन सबमें से खुरच खुरच के इस ब्लॉगिंग को देना कितना दुरूह होता है । और रही बात ब्लॉगर मित्रों से सहायता या मार्गनिर्देशन की तो उसका तो सदैव स्वागत है लेकिन आप देख ही रहे हैं कि यहीं अपने बीच में से ही लोग सीधा सीधा आरोप जड देते हैं कि ब्लॉगर ये प्रोत्साहन पुरस्कार भी सेटिंग करके खरीद रहे हैं ...हद है इस सोच की और ऐसे विचार रखने वालों की ...चलिए खैर । शायद ब्लॉगिंग की यही विशेषता है तो यही सही ..और सब अपने विचारों के लिए स्वतंत्र हैं ...हां उंगली उठाने वालों को ये भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि आखिर कौन से ब्लॉगर्स थे जिन्होंने ब्लॉगर्स को ही सेट करके पुरस्कार हासिल किए ..तो हम भी समझ जाते और चेत जाते भविष्य के लिए । शुक्रियाअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-11692909102475268212011-05-01T06:23:22.884-07:002011-05-01T06:23:22.884-07:00काशी विश्वनाथ की जय!काशी विश्वनाथ की जय!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-51648009507281604972011-05-01T06:05:58.274-07:002011-05-01T06:05:58.274-07:00क्यों नाराज हो कौशल भाई !
दीपक बाबा की बात को आगे ...क्यों नाराज हो कौशल भाई !<br />दीपक बाबा की बात को आगे बढाऊं तो यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता ....<br />किसी आयोजन का कोई भी उद्देश्य रहा हो और किसी को भी पुरस्कार मिले हों कहीं न कहीं सबको संतुष्ट नहीं किया जा सकता ! पब्लिक लाइफ में अगर नेताओं को बुलाओगे तो तो चमचों का ख़याल रखना ही होगा ! दोष न निकाल कर क्यों न संतोष रखें की चलो कुछ ब्लागरों का सम्मान तो हुआ ! जहाँ तक पुरस्कार चयन का मामला है हम में से हर कोई अलग अलग विचार रखेगा !<br />रचना जी की बेबाक राय काफी हद तक ठीक लगी....<br /> <br />मस्त रहिये ...Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-28812367225031459832011-05-01T06:04:21.157-07:002011-05-01T06:04:21.157-07:00aapka kathan sahi haiaapka kathan sahi haiAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-25592813124090814852011-05-01T05:55:10.120-07:002011-05-01T05:55:10.120-07:00आपकी आपत्तियां सर्वथा जायज हैं ।
टोपी पहनाने की क...आपकी आपत्तियां सर्वथा जायज हैं ।<br /><br /><a href="http://najariya.blogspot.com/2011/04/blog-post_28.html" rel="nofollow">टोपी पहनाने की कला...</a><br /><br /><a href="http://jindagikerang.blogspot.com/2011/04/blog-post_27.html" rel="nofollow">गर भला किसी का कर ना सको तो...</a>Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-47045868709666488112011-05-01T05:25:33.122-07:002011-05-01T05:25:33.122-07:00६२ ब्लोग्गर्स को विभिन्न श्रेणी में सर्वश्रेष्ट मा...६२ ब्लोग्गर्स को विभिन्न श्रेणी में सर्वश्रेष्ट माना गया ? पुरूस्कार २-४ तक तो ठीक रहता है पर एक के बाद एक ६० ब्लोगों को चुना गया....... कुछ ऐसा लगा की ब्लोग्गर्स के नाम पहले चुन लिए गए और उनके ब्लोग्गों की प्रकुर्ती देखते हुए उसके आगे 'सर्वश्रेष्ट' लगा कर पुरूस्कार दिया गया है.<br /><br />ये वो लोग हैं जो परिकल्पना से जुड़े हैं और जिनके ब्लॉग को रविन्द्र प्रभात की अपनी पसंद की वरीयता के हिसाब से चुना हैं . इन ब्लोग्गर का चुनाव रविन्द्र प्रभात और परिकल्पना से जुड़े लोगो की पसंद से किया गया हैं . <br /><br />ये एक प्रायोजित समाहरोह था जहां तालुकात बढ़ा कर अपने अपने काम सिद्ध किये जाते हैं , किताबो के लिये ग्रांट मिलती हैं , विश्विद्यालय जा कर पैसा ले कर भाषण देने का मौका मिलता हैं . जो लोग सरकारी नौकरी में हिंदी भाषा से जुड़े हैं उनको इसके जरिये तरक्की मिलती हैं .रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4258645416337332836.post-58660719407184949862011-05-01T05:24:03.757-07:002011-05-01T05:24:03.757-07:00मिसिर जी, मुद्दे तो आपने बहुत सटीक उठायें है..... ...मिसिर जी, मुद्दे तो आपने बहुत सटीक उठायें है..... पर कोई न कोई कारन तो होगा जो कार्यकर्म वहीँ करना पढ़ा..... कुछ न कुछ मजबूरियां रही होंगी... यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.com