बचपन मैं एक कहानी सुनी थी कंजूस के उपर शायद आप नै भी सुनी हो लकी मल और करोरी मल दोनों बड़ा ही कंजूस था .आज कल तो हर आदमी कंजूस है हर आदमी कही न कही कंजूसी करता है ब्लॉगर भी महा कंजूस है ,
आप कहेंगे की ब्लागर जैसे नेक आदमी कहाँ कंजूस हो गया। भाई हम नए ब्लोगेर हैं, एक बार गलती से किसी कवित्री की कविता लगा दी तो हाहाकार मच गया। पूरी बिरादरी ही हरकत में आ गयी - सभी नें अपने अपने उदगार व्यक्त किये। माना हमसे गलती हुई थी। पर हमने उसका माफ़ी के साथ स्पष्टीकरण भी दिया था।
आज ये हालात ये हैं की कोई हमारे ब्लाग पर टिपण्णी करने ही नहीं आता --- तभी हम कह रहे हैं की ब्लागर भी महा कंजूस हैं।
इस महंगाई के ज़माने में
ReplyDeleteमेरे ब्लागेर तू सब कुछ मांग
पर अपने ब्लॉग पर टिपण्णी न मांग.