बचपन के निस्वार्थ दोस्त आजकल कहा मिलते है आज तो दोस्त बस अपने अपने स्वार्थ को पूरा करने तक ही रहते है अब कहा है ऐसे दोस्त की दोस्त के माथे पर आये हुए पसीने को देख कर पूरी दुनिया का खून बहाने को तैयार रहते थे और अपनी जान देकर अपनी दोस्ती की मिसाल कायम रखते थे ...अबे बता तो क्या हुआ है ...आग लगा देंगे ...बोल तो सही ...भाई अब नहीं लिखा जा रहा है सोच सोच कर किस किस ने कहा कहा क्या क्या कुर्बान किया था भाई जी बचपन की दोस्ती बहुत सच्चे दोस्त होते थे ...अपने हर सच्चे दोस्त को दिल से राम राम ...
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