आजकल दबंग फिल्म का गाना पुरे शबाब पर है. मुन्नी बदनाम हुई राजा तेरे प्यार में.
गाना तो बहुत ही उत्तेज़क है पर उसके साथ साथ बोल भी कम बढ़िया नहीं है - जिस झंडू बाम को हम लोग भूले बेठे थे उसकी फिर याद दिल्या दी.
एक साहेब तो कमाल कर दिया इस गाने की आड़ में अपनी तुलना सांसदों से कर दी। हिन्दुस्तानी दिल है कुछ भी सोच सकता है.
हम तो झंडू बाम हुए ... बाबू साहिब तेरे चक्कर में
इस मायावी दुनिया में सभी लोगों की नहीं चलती बाबू साहिब – अब पता चल गया। हमरे बापू खूब समझाते थे... बेटा ई दुनिया में पैसे और रसूख वाला आदमी जी इज्ज़त से जी सकता है – जरा संभल कर करना।महंगाई डाइन के चक्कर में हमऊ नें भी फैक्ट्री मालिक में हल्ला बोल दिया. मालिक से कह दिया ... पगार बढाइये. पूरी दुनिया में सबसे गरीब सांसदों की तनख्वाह बढ़ गई है तो हमुकी भी बडनी चाहिए. मालिक नें इनकार कर दई... अपने रोना रोने बैठ गई... फैक्ट्री में काम नहीं है... किराया बहुत है॥ कम्पीटीशन का ज़माना है ... मशीन पुरानी है.... प्रोदोक्षण निकल नहीं पाती... .................. बस का बताई हमर दिल भी बैठ गया. पर का करी.... पगार न बडवाते तो ऊ ससुर लाल झंडे वाले कामरेड दिमाग झनझना देत रहे. ..........हमका कछू समझ न आई.......... या तो उ कामरेड लोग का सुनी .... या दिल का सुनी... या फिर मालिक साहिब का दुखडा देखि. चाय का दूकान में बाबु साहिब, आपके बारे में खबर पढ़ ई ..“वेतन में पांच गुना तक बढ़ोतरी की मांग को लेकर विरोध कर रहे विपक्षी सांसदों ने संसद स्थगित होने के बाद समानांतर सरकार बना डाली। लालू यादव को प्रधानमंत्री चुना गया और मुलायम सिंह यादव को गृहमंत्री बनाया गया। इतना ही नहीं भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को लोकसभा अध्यक्ष बना दिया गया। ‘बस फिर का था.... हमूऊ जोश में आ गए....... तुरत फुरंत फैक्ट्री गए ....... और मालिक साहिब की कुर्सी पर धसिया कर बैठ गए............... और मालिक का चश्मा लगा कर खुद को फैक्ट्री का मालिक घोषित कर दिया. ................ ई रामदीन इहाँ आवा..... ए किश्न्वा..... औ अनिलवा... भी सबो लोग अपना अपना कापी लेइय आवा.... आज के मालिक हम.... सभो का पगार बड़ा दिया जावेगा. ................. खूब मजा आवा.... मन ही मन शुक्र किया आपका .... आपहो की बदोलत .............. का बात है आप प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो हमू भी फैक्ट्री के मालिक काहे नहीं बन सकते सरकार.पर उ फैक्ट्री में एक तो ........ चम्च्वा रही मालिक का ........... तुरंत – फुरंत मालिक के फोन हुई गवा............... और मालिक आ धमके फैक्ट्री में .... हमका उठा कर गेट से बहार फेंकवा दिया गया. हम अपनी जिंदगी पर रो रहे है ............... जब हमे गेट से बहार फेक्वा दिया गया तो आपको क्यों नहीं.... ई तो लोकशाही है बाबू.... कानून सबके लिए बराबर है....... महात्मा गाँधी दिला गए हैं.... पर आपकी पगार १०,००० रुपे बड गयी और हम बेरोजगार हो गए.............. काश अपने बापू की बात मानी होती.बाबू साहिब .............. रेडियो पर गाना बज रही .... मुन्नी बर्बाद हुई – राजा तेरे लिया......... और हमरा दिल खूब रो रहा है ............. हमतो झंडोबाम हुई बाबू तेरे चक्कर में.
सही है दीपक बाबा , आपने झंडू बाम के बहाने से ही सही पर आपके शब्दों में 'बाबू साहिबों' को सही लपेटा है।
अरे वाह मुन्नी बाई और झंडू बाम का फारमूला .... क्या बात है ...
ReplyDeletebhai mahinder ji namaskar formula galat ho to apna sujahv bya kar marg darshan ko tatpar
ReplyDeleteवाह जी मिश्र जी, कमाल कर दिया - आपने कम से कम हमारा उल्लेख तो किया.... अरे भाई जब व्यंग पसंद आया था तो कम से कम हमारे ब्लॉग में एक टिपण्णी तो चस्पा कर देते
ReplyDeleteइस बार लिंक भी दिया है ... धन्यावाद ..
Deepak ji aap hi log likhana padhana sikhetai hai hum to jaisa hai aap ko pata hai.
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