Tuesday, May 3, 2011

इंतिजार की घड़िया उम्मीद है बहुत जल्दी ख़तम होगी ......

आ अब लौट चले कुछ भूले बिसरे गीत और कुछ भूली बिसरी यादे कभी कभी बहुत सुंदर लगती है 

कभी किसी का आना आच्छा लगता है तो कभी किसी का जाना आच्छा लगता है 

कुछ लोगो का आना अच्छा लगता है जाना अच्छा नहीं लगता है ,

हम बस यही कहगे ओ जाने वाले हो सके तो जल्दी से जल्दी आना .....

जिंदगी जिन्दादिल्ली  का नाम है .......
.जिसका नाम जैसा होता है वह उस नाम को सार्थक करने की कोशिश करता है 

इंतिजार की घड़िया उम्मीद है बहुत जल्दी ख़तम होगी ......
जय बाबा बनारस.........

4 comments:

  1. मिसिर जी, एको बात हम जानते है.... की जुर्म की दुनिया की तरह यहाँ ब्लॉग जगत में भी प्रवेश करने का एक ही रास्ता है और जाने का दूसरा कोई रास्ता नहीं......

    @जिसका नाम जैसा होता है वह उस नाम को सार्थक करने की कोशिश करता है .

    बाकि खुशदीप जी ..... खुशी का दीपक जलाएंगे.... ऐसी मेरी कामना है...... हाँ थोड़ी बहुत मान मनोवल तो करनी ही पड़ेगी..

    जय बाबा बनारस..

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  2. जय बाबा बनारस..

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  3. अरे बनारसी बाबू एगो पान खिया देता खुसदीप के..
    खाई के पान पुँराबिया वाला
    खुल जाए ब्लॉग जगत का ताला ...

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