एक युवा हलवाई ने मिठाइयों की एक छोटी सी दुकान खोली। कभी-कभी उसकी दुकान में ग्राहक आते और कभी नहीं। चाहे ग्राहक ज्यादा आएं या कम, किंतु इससे हलवाई की प्रसन्नता में कोई फर्क नहीं पड़ता था। वह ईमानदारी व मेहनत से अपना काम करता रहता था। कुछ ही दिनों में उसकी दुकान पूरे शहर में मशहूर हो गई। उसकी मिठाइयों की घर-घर में चर्चा होने लगी। फिर भी उसने दाम नहीं बढ़ाए।
एक ग्राहक प्रतिदिन उससे रसगुल्ले खरीदता। कुछ ही दिनों में उसकी हलवाई से घनिष्ठता हो गई। मिठाईवाला अब भी पहले की तरह ही शांत व खुश रहता था। एक दिन वह ग्राहक बोला, 'तुम्हारी दुकान कुछ ही समय में अच्छी चल निकली है। तुम इसकी नई शाखा क्यों नहीं खोल लेते?' ग्राहक की बात पर हलवाई मुस्करा कर बोला, 'उससे क्या होगा ?'
ग्राहक बोला, 'अरे भई यदि तुम इस दुकान की एक और शाखा खोल लेते हो तो दूर-दूर तक तुम्हारा नाम होगा और इस तरह तुम्हारी मिठाइयों की मांग सब जगह होने लगेगी।' हलवाई ने मासूमियत से पूछा, 'उससे क्या होगा?' ग्राहक बोला, 'उससे तुम्हारे पास धन-दौलत की बरसात होने लगेगी और तुम धनवान हो जाओगे।'
हलवाई ने कहा, 'उससे क्या होगा?' यह सुनकर ग्राहक को गुस्सा आ गया और वह खीझकर बोला, 'अरे भैया, तुम तो निरे बेवकूफ मालूम होते हो। जब तुम्हारा व्यापार दिन-दूनी रात चौगुनी उन्नति करेगा, तुम पर रुपयों की बरसात होगी तो तुम अपने जीवन में अधिक खुश रह सकोगे।' हलवाई ने कहा, 'वो तो मैं अब भी हूं।' ग्राहक हलवाई का जवाब सुनकर दंग रह गया। उसे हैरानी की मुद्रा में देखकर हलवाई बोला, 'धन से व्यक्ति कभी सुखी नहीं होता। जिनके पास अधिक धन है क्या उनके पास कोई गम नहीं है? व्यक्ति वास्तव में खुश तो तभी हो पाता है जब वह अंदर से संतुष्ट हो..
बंगलादेसी भारत छोड़ो .........
जय बाबा बनारस।.......
एक ग्राहक प्रतिदिन उससे रसगुल्ले खरीदता। कुछ ही दिनों में उसकी हलवाई से घनिष्ठता हो गई। मिठाईवाला अब भी पहले की तरह ही शांत व खुश रहता था। एक दिन वह ग्राहक बोला, 'तुम्हारी दुकान कुछ ही समय में अच्छी चल निकली है। तुम इसकी नई शाखा क्यों नहीं खोल लेते?' ग्राहक की बात पर हलवाई मुस्करा कर बोला, 'उससे क्या होगा ?'
ग्राहक बोला, 'अरे भई यदि तुम इस दुकान की एक और शाखा खोल लेते हो तो दूर-दूर तक तुम्हारा नाम होगा और इस तरह तुम्हारी मिठाइयों की मांग सब जगह होने लगेगी।' हलवाई ने मासूमियत से पूछा, 'उससे क्या होगा?' ग्राहक बोला, 'उससे तुम्हारे पास धन-दौलत की बरसात होने लगेगी और तुम धनवान हो जाओगे।'
हलवाई ने कहा, 'उससे क्या होगा?' यह सुनकर ग्राहक को गुस्सा आ गया और वह खीझकर बोला, 'अरे भैया, तुम तो निरे बेवकूफ मालूम होते हो। जब तुम्हारा व्यापार दिन-दूनी रात चौगुनी उन्नति करेगा, तुम पर रुपयों की बरसात होगी तो तुम अपने जीवन में अधिक खुश रह सकोगे।' हलवाई ने कहा, 'वो तो मैं अब भी हूं।' ग्राहक हलवाई का जवाब सुनकर दंग रह गया। उसे हैरानी की मुद्रा में देखकर हलवाई बोला, 'धन से व्यक्ति कभी सुखी नहीं होता। जिनके पास अधिक धन है क्या उनके पास कोई गम नहीं है? व्यक्ति वास्तव में खुश तो तभी हो पाता है जब वह अंदर से संतुष्ट हो..
बंगलादेसी भारत छोड़ो .........
जय बाबा बनारस।.......
काश यह संतुष्टि सबको ही मिले..
ReplyDeleteरोचक प्रसंग, सच है संतुष्टि धन, पद या वैभव से नहीं मिलती|
ReplyDeleteसौ तलाश करने पर मुश्किल से एक मिल पाता है
ReplyDeleteजय बाबा बनारस।
ReplyDeleteरोचक, प्रेरक प्रसंग के लिए आभार आपका।