एक राजा था उसके महल में एक नया खानसामा ( खाना बनाने वाला ) आया जो बहुत ही चतुर व्यक्ति था और भोजन बहुत लज़ीज़ बनाता था ! उस खानसामे को पता था की राजा की पसंदीदा सब्ज़ी भिन्डी है ! उसने इसीलिए रात के भोजन में भिन्डी बनाई ! जब राजा ने देखा की भिन्डी बनाई गयी है राजा खुश हो गया और चूँकि भिन्डी स्वादिष्ट थी तो भिन्डी खा कर तो और भी गदगद हो गया ! राजा ने खानसामे से खुश होते हुए कहा की : मज़ा आ गया आज तो भिन्डी खा कर भिन्डी क्या ज़बरदस्त सब्ज़ी होती है वाह ! इस पर खानसामा बोला अरे साहब भिन्डी का तो कोई जवाब ही नहीं मैं तो कहता हूँ की सब्ज़ियों की रानी है भिन्डी, भिन्डी जैसी कोई सब्ज़ी नहीं ! राजा और भी खुश हुआ और अपने गले से हीरे की माला निकाल कर उस खानसामे को दी और कहा ये लो तुम्हारा इनाम ! अगले दिन दोपहर का भोजन करने जैसे ही राजा बैठा उसने देखा की खानसामे ने फिर भिन्डी बना दी लेकिन अब राजा ने भिन्डी की इतनी तारीफ कर दी थी उसे मना करते नहीं बना और उसे फिर भिन्डी की तारीफ करना पड़ी और खाना पड़ी और खानसामे ने भी भिन्डी की तारीफ की और राजा ने फिर अपने गले से माला निकाल कर खानसामे को दे दी ! अब बारी थी रात के भोजन की रात के भोजन में फिरसे खानसामे ने भिन्डी बना दी राजा लगातार 2 दिनो से भिन्डी खाके उक्ता चुका था उसने लेकिन उसने जैसे तैसे मन मार के भिन्डी खा ली और चुपचाप एक माला गले से निकाल कर खानसामे को दे दी ! अब अगले दिन जब फिर भोजन करने बैठा राजा उसे फिर भिन्डी नज़र आ गयी ! राजा आग बबूला हो गया भिन्डी देख कर और बोला क्या वाहियात सब्ज़ी होती है भिन्डी क्यों बना दी किसने कहा तुम्हे भिन्डी बनाने को !! खानसामा विनम्रतापूर्वक बोला की साहब भिन्डी तो निहायती घटिया सब्ज़ी होती है मैं तो कहता हूँ की किसी बेवक़ूफ़ को ही पसंद होगी भिन्डी, पता नहीं कैसे खा लेते है लोग भिन्डी !! राजा का ये सुनते ही और भी दिमाग खराब हो गया और वो चिल्लाता हुआ बोला अरे नामाकूल कल तक जब तक मैं भिन्डी की तारीफ कर रहा था तू भी भिन्डी की तारीफ कर रहा था और अब जब मैं भिन्डी की बुराई करने लगा तो तू भी भिन्डी की बुराई करने लगा बड़ा होशियार है तू !! इस पर खानसामा मुस्कुराता हुआ बोला : साहब मैं आपका नौकर हूँ भिन्डी का नहीं !!
जय बाबा बनारस .....
जय बाबा बनारस .....