आज इस महान राष्ट्र में इन्हीं तानो बानो से उलझे एक राष्ट्रिय त्यौहार की पूर्व संध्या पर एक एडिशनल कलेक्टर को सरे आम जला दिया जाता है. उस एडीएम का कसूर सिर्फ इतना था कि वो पैट्रोल में कैरोसिन की मिलावट रोक रहा था. कितना बड़ा गुनाह कर रहा था. इस देश में ऐसे ईमानदार लोगों की रही सजा है. चाहे उसके बाद उसके परिवार को २५ लाख रुपे दे दो.
उधर वो पगले लाल चौक पर तिरंगा फिराने की युक्त भिड़ा रहे हैं..... उन्हें ये नहीं मालूम कि वो जगह मात्र अलगाववादियों के लिए सुरक्षित है आरक्षित है..... वहाँ पकिस्तान का झंडा फिराया जा सकता है..... बिना किसी अड़चन के.... वहाँ से एक गृहमंत्री की बिटिया अपहृत की जा सकती है..... तब कोई कुछ नहीं बोलता... आज तिरंगे के नाम पर पुरे देश में तूफ़ान मचा है..... जैसे कोई गुनाह हो रहा हो...... गृहमंत्री से लेकर प्रधान मंत्री सभी परेशान है..... बरसों पुरानी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दी जा रही है...... और कुछ इस तरह कहा जा रहा है मनो ..... अभी तो बच्चों (उग्रवादिओं) को समझा बुझा कर सुलाया (बहलाया) है फिर जाग गए तो आंतक बरपा देंगे....
बहुत सार्थक कथन..आज के गणतंत्र में सच्चाई को स्थान कहाँ है..
ReplyDeleteदुर्भाग्य है देश का।
ReplyDeleteमिश्रा जी लेख तो अच्छा है ही,
ReplyDeleteशायद आप “दीपक बाबा की बक बक से साभार“ लिखना भूल गये।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
बेबाक .....
ReplyDeleteसच्ची बात..
दो टूक यथार्थ ....
यह त्रासदी ही है हमारे देश की....
सरकार का असली चेहरा क्या अभी भी बेनकाब होने को बाकी है ?
क्या कहें इस देश के बारे में .....
ReplyDeleteबहुत ही जघन्य और अफसोसजनक रहा ईमानदारों का ये हस्र देखकर......... मंजुनाथ और सतेन्द्र झा जी के वाकिये से कोई सबक नहीं लिया गया और ये भी घटना उसी तरह एक इतिहास की बात न बन जाये...........
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