विवाद का स्वाद आज कल कुछ ब्लॉग पर जा कर देखा कि कुछ लोग
अपने अपने ब्लॉग पर कुछ न कुछ विवादों को जनम देकर
अपने
बहुत उच्च कोटि के विचार रखते है और लोग बाग़ बहुत मजे ले ले कर
टीप देते है कभी कोइए खुश कभी कोइए नाराज ---
जैसे आप कि जीभ को स्वाद लग जाता है
कि उसका स्वाद बहुत आच्छा है
ठीक उसी तरह कुछ लोगो को मानसिक स्वाद कि जरुरत होती है ,
तो वोह लोग कुछ न कुछ आईसा लिखते है
कि कोइए न कोइए नया विवाद सुरु हो जाता है
और उनकी मानसिक खुराक पूरी हो जाती है ----
जय बाबा बनारस-----------
विवादों का वाद।
ReplyDeleteमानसिक खुराक पूरी हो जाती है ---
ReplyDeleteसुंदर आलेख ..
पास कुछ काम हो,
ReplyDeleteकैसे भी पर नाम हो,
भोर, दिन,शाम ढलती रहे,
बस, दुकान चलती रहे !
बहुत सटीक आलेख..
ReplyDeleteवाद-विवाद, बंद संवाद, बाक़ी सब आबाद!
ReplyDeleteइंक़लाब, ज़िन्दाबाद!!
...सही लिखा आपने।
ReplyDeleteबहुत खूब ! शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteबदिया है, जी,
ReplyDeleteकुछ वाद हो,
कुछ विवाद हो,
पर ब्लॉग हर किसी का आबाद हो,
टिप्पणियों को जो तरसे मन,
लिख दे गलत किसी को भी जन,
ब्लॉग जगत की रीत यही है भैया...
बिना विवाद सुना जैसे मरघट की छैया .
जय राम जी की,
अति सुन्दर !
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