Saturday, December 22, 2012

पुलिस की लाठी

युवावो को पुलिस की लाठी से बचने के लिए शांति पूर्वक प्रोटेस्ट नहीं, बल्कि मुंबई मुसलमानों की तर्ज पर तोड़ फोड़ कर विरोध जताना चाहिए, ताकि पुलिस खुद अपने को बचाती फिरे .....

ये पुलिस आम आदमी को डंडे मारने के इलावा करती क्या है !?????

आजादी से पहले जब जब हमारे क्रांतिकारी अंग्रेज़ो के खिलाफ प्रदर्शन करते थे ! तब भी पुलिस अंग्रेज़ो के साथ खड़ी होती थी !! वो चाहे लाला लाजपतराय पर लठिया बरसाना हो या जालियावाला बाग मे लोगो पर गोलिया चलाना हो ! पुलिस अंग्रेज़ो की रक्षा करती थी !!

लेकिन अब तो भारत आजाद है !

परंतु आज तो आजादी के 65 साल बीत गए हैं !

पर आज भी जब जब सरकार के खिलाफ कोई प्रदर्शन करता है ! ये पुलिस भारतवासियो को वैसे ही डंडे से पीटती है जैसे अंग्रेज़ो की पुलिस पीटा करती थी !!
वो चाहे आज दिल्ली गैंगरेप मामले मे लोगो का प्रदर्शन हो या 4 जून को बाबा रामदेव पर लाठिया बरसाने का मामला !

अंतर सिर्फ इतना ही आया है कि पहले पुलिस गोरे अंग्रेज़ो की रक्षा करती थी आज काले अंग्रेज़ो की !!

कारण सिर्फ एक मात्र है कि भारत आजाद हुआ है लेकिन स्वतंत्र नहीं !!
भारत सिर्फ अंग्रेज़ो से आजाद हुआ है लेकिन स्वतंत्र नहीं !!

स्वतंत्र का अर्थ होता है !
स्व मतलब अपना ! तंत्र (system) मतलब व्यवस्था !!

अर्थात अपना तंत्र ,अपनी व्यवस्था , अपनी नीतियाँ अपने कानून !!

लेकिन क्या भारत मे चल रहे कानून भारत के है ???

अंग्रेज़ो ने 1857 मे indian police act बनाया !! वो आजादी के 65 साल बाद 2012 मे वैसे का वैसा चल रहा है ! इसीलिए आजाद भारत मे भी पुलिस भारत वासियो को वैसे ही डंडे से मार रही है जैसे अंग्रेज़ो की पुलिस मारा करती थी !!

तो कैसे हम कहे कि हम स्वतंत्र है ???????

यहाँ click कर संक्षिप मे जरूर पढ़े !
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=444538535587162&set=a.1370


क्या  यह सही होगा ....

जय बाबा बनारस।।।।।

Wednesday, December 19, 2012

शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल.....

शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल :-
११५ वें जन्म दिवस पर शत शत नमन
राम प्रसाद 'बिस्मिल' (जन्म- 11 जून, 1897 उत्तर प्रदेश - मृत्यु- 19 दिसंबर, 1927) भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाविद् व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी।

पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले में 11 जून, 1897 को हुआ। यह वह समय था जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी जो पूरे अंग्रेज़ी शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी। बिस्मिल में भी बचपन से ही ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक गहरी नफ़रत घर कर गई। अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान, चन्द्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव और ठाकुर रोशनसिंह जैसे क्रांतिकारियों से सम्पर्क में आने के बाद आपने अंग्रेज़ों की नाक में दम करना शुरू कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी काण्ड को आपने ही अंजाम दिया था।

इतना ही नहीं अपनी क़लम के माध्यम से भी आप ब्रिटिश हुक़ूमत की आँख की किरकिरी बन गए। ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसा अमर गीत लिखकर आपने क्रांति की वो चिंगारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। राम प्रसाद बिस्मिल ने 'बिस्मिल अज़ीमाबादी' के नाम से भी काफ़ी शाइरी की। जीवन के अंतिम सफ़र में जब आपको गोरखपुर जेल भेजा गया तो आपने आत्मकथा भी लिखी।
19 दिसम्बर, 1927 को आपको देशभक्ति के अपराध में फाँसी दी गई।

जिसे पता हो की अगले दिन हमें मरना है, वह आत्मकथा लिख रहा हो, सोचिये, है न जिगरे की बात ! नमन ऐसे व्यक्तित्व को ! मुझे फक्र है कि इस चुम्बकीय व्यक्तित्व का परिचय भी उनकी आत्मकथा के माध्यम से जेल में ही हुआ ! कारावास के शुरूआती समय जो काटे नहीं कटते थे, बड़ी सहूलियत मिली ! जीवन की धारा ही बदल गयी ! लगा जिन्हें जेल में होना चाहिए वो तो बाहर घूम रहे हैं बहुतायत में, और जो बाहर हैं उन्हें जेल में होना चाहिए ! कम से कम हर इंसान को ६ मॉस का समय कारावास में बिताना चाहिए, जिंदगी के फलसफे आसान हो जायेंगे ! क्या आप जानते हैं बिस्मिल जी को जेल से फरार होने की सारी तैयारी पूरी होने के बाद, अवसर होते हुए भी बिस्मिल जी जेल से क्यों नहीं भागे ? क्यों कि जेलर साहब चोरी छिपे उन्हें लिखने पढ़ने के लिए सामग्री उपलब्ध कराते थे ! जेलर साहब बिस्मिल जी का बड़ा सम्मान करते थे ! उनकी तीन बेटियाँ शादी योग्य थीं ! ये बात बिस्मिल जी जानते थे ! वे जानते थे कि उनके फरार होते ही जेलर साहब पर गाज गिरेगी ! और बाकी का जीवन उनका बड़ा कष्टकारी बन जायेगा ! जिसके दिल में ऐसी करुणा हो, सोचिये ???? ऐसे महामानव को प्रणाम करता हूँ, अपनी भावांजलि दे कर !! बंगाल वाले ही बस स्वयं को क्रन्तिकारी समझते थे, बाकियों को ह्येह दृष्टि से देखते थे, जब कि जेल में एक रोटी के लिए मार करते थे, इन हालातों पर नियंत्रण करना बिस्मिल के जीवटपन का एक अनूठा उदहारण है!


आज क़ोई सरकारी अमला इनको याद नहीं कर रहा है ,,,,

जय बाबा बनारस।।।।

Tuesday, December 18, 2012

सबसे पुराना

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) विश्व के सभी धर्मों में सबसे पुराना धर्म है। ये वेदों पर आधारित धर्म है, जो अपने अन्दर कई अलग अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्र......दाय, और दर्शन समेटे हुए है। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में है। इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है | हिन्दी में इस धर्म को सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नही है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है " हिंसायाम दूयते या सा हिन्दु "[टंकणगत अशुद्धि?] अर्थात् जो अपने मन, वचन, कर्म से हिंसा से दूर रहे वह हिन्दू है और जो कर्म अपने हितों के लिए दूसरों को कष्ट दे वह हिंसा है। नेपाल विश्व का एक मात्र आधुनिक हिन्दू राष्ट्र था (नेपाल के लोकतान्त्रिक आंदोलन के पश्चात् के अंतरिम संविधान में किसी भी धर्म को राष्ट्र धर्म घोषित नहीं किया गया है।
क्या आप सब सहमत है।।।।

जय बाबा बनारस।।।। 

Wednesday, December 12, 2012

शादी की पहली रात....

शादी की पहली रात को नवविवाहित जोड़े ने तय किया की वो सुबह कोई भी बिना कारण दरवाजा खटखटाएगा तो वो दरवाजा नहीं खोलेंगे.
सुबह पति के माँ ने दरवाजा खटखटाया.
दोनों ने एक दूसरे को देखा.और रात में जैसा तय किया था उस अनुसार उन्होंने दरवाज़ा नहीं खोला.
थोड़ी देर बाद पत्नी के पिता ने दरवाजा खटखटाया.

दोनों ने फिर एक दूसरे की और देखा.
पत्नी के आँखों से आंसू बहने लगे और उसने रोना शुरू कर दिया.
बोली "मैं अपने पिता
को ऐसे ही दरवाज़ा खटखटाते नहीं छोड़ सकती, मैं पहले ही उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर आयी हूँ, उन्हें कितना दुःख होगा अगर मैंने दरवाज़ा नहीं खोला तो."
पति ने कुछ नहीं कहा, पत्नी ने दरवाजा खोल दिया.
कई साल बीत गए,
इस युगल के 5 बच्चे हुए, जिनमे से पहले 4 लड़के थे और आख़िरी लड़की.
जब लड़की ने जन्म लिया तो उस व्यक्ति को बहुत खुशी हुई, उसे ऐसा लगा जैसे उसे भगवान ने ज़िंदगी का सबसे बड़ा उपहार दिया है.
उसने काफी बड़ा जश्न मनाया, और कई लोगो को बुलाया.
जश्न के दौरान उससे एक व्यक्ति ने पूछा की क्यों वह बेटी होने के खुशी में इतना जश्न मना रहा है, जबकी किसी भी बेटे के जन्म पर उसने जश्न नहीं मनाया.
उसने जवाब दिया : "ये बेटी ही है जो हमेशा मेरे लिए दरवाजा खोलेगी, बेटों का क्या भरोसा!"

इस कहानी को खुद वास्तविकता में परखिये, बेटे माता-पिता को नज़रंदाज़ कर सकते हैं, किन्तु बेटी नहीं !


जय बाबा बनारस .....

Wednesday, December 5, 2012

सफलता का रहस्य....

सफलता का रहस्य..... 

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. दूसरे दि
न दोनों मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वह बेहोश नहीं होने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके अलावा और कोई रहस्य नहीं है.





जय बाबा बनारस ....