Saturday, August 27, 2011

जान दे दो जान

जान दे दो जान

. अन्ना जी ,काहे जान देने पर तुले है
 एक ठू सुजाव है सरकार को जन लोकपाल  बिल पास करने के लिए 
 कुछ छोटा मोटा नजराना दे दीजये न 
सरकार यही करना चाहती है यही सरकारों का काम है

जय बाबा बनारस.....

Monday, August 22, 2011

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं || जय श्री कृष्ण

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं || जय श्री कृष्ण



जय बाबा बनारस.....

Thursday, August 18, 2011

एक गाँव को आप भी दुरस्‍त कर दें। बस बैठे-बैठे खीसें निपोरना ही आता है.....

एक गाँव को आप भी दुरस्‍त कर दें। बस बैठे-बैठे खीसें निपोरना ही आता है 

आज का आम आदमी अपने आप को तो दुरस्त कर नहीं पाता है  आप एक गाँव को दुरस्त करने की बात करते है

मौसम के बदलते ही आम आदमी डाक्टर के पास दवाई लेने जाता तब कही जाकर उसकी तबियात दुरुस्त होती  है
तब जाकर आदमी की तबियात दुरुस्त होती है लोग अपने आप को दुरुस्त कर नहीं पाते अपने परिवार को दुरुस्त नहीं
कर पाते और कुछ लोग कुछ करना .............है उनको आइसे कम्मेंट देते है कि आदमी कि तबित्यात  खुस हूँ जाती है
 एक आन्ना जो कर रहे है हम उसके साथ है


जय बाबा बनारस.....

Monday, August 15, 2011

या तो मोनू जाग जा या या दुनिया से भाग जा

या तो  मोनू जाग जा या या दुनिया से भाग जा......................याद कर वो दिन मोनू....याद कर जब 

१४-१५ अगस्त १९४७ की आधी रात को जब दुनिया सो रही थी तो हमारे मुल्क के मुहाफ़िज़ जाग कर मुल्क की एक नयी तत्बीर लिख रहे थे... और हम लोग उस समय कोई माँ की गोद में और कोई बाप की उंगली थामे लाहोर का बाघा बोर्डर पार के इस नए इलाके में भूखे प्यासे .... १ जून के भोजन और रात बिताने के लिए आशियाना ढूंढ रहे थे.... जनाब , भरे पूरे खानदानी लोग मात्र ३ तार के जनेऊ की रक्षा हेतु वहां से चल पड़े थे... की जब हालात ठीक होंगे तो वापिस आ जायेंगे.... खाली हाथ चले ..

जनाब, मेरे ख्याल से आप भी उनमे से एक रहे होंगे.... जो चकवाल जिले से अपने खानदान के साथ चले होंगे..
आपको इस लिए याद दिलाया जा रहा है ... कि आप हम में से एक है .... और हमारी मुश्क्लातों को समझते होंगे... जनाब इधर कई जगह भटकने के बाद हमारे लोगों को मुस्लिम खानदानो द्वारा छोड़ी गयी जमीन पर कब्ज़ा दिया गया... ताकि हमारी अपनी छोड़ी गयी जमीन के बदले कुछ भारपाई हो सके.
या तो  मोनू जाग जा या या दुनिया से भाग जा.........................
जय बाबा बनारस......

Sunday, August 14, 2011

अन्ना तुम संघर्ष करो देश तुम्हारे साथ है

अन्ना तुम संघर्ष करो देश तुम्हारे साथ है.................

क्या आप साथ है ..................................................





ये पोस्टर एक ऑटो रिक्शा के पीछे लगा था....... फोटो दीपक बाबा ने खेंचा है (नया नया शौंक है) और मेल मुझे कर दिया.....

इमानदारी की बात करना एक बात है - और इमानदारी से अपना कार्य करना दूसरी.... ये औटो रिक्शा वाले आज छाती थोक कर कह रहे है की वो अन्ना के साथ है......... पर खुद .... करोल बाग़ जाने की बात करो तो बोलेंगे नहीं जाना........ कनात प्लेस जायेंगे.... ज्यादा जिद्द की तो ८० रुपे मांगेगे  चाहे ५० लगते हों....... मीटर से चलने की बात करो तो ..... जवाब होता है ... सर कोई देख हो..

अगर ये सही मायने में अपना काम करें तो दिल्ली में निजी वाहान कम से कम दस पर्तिशत काम हो जाएँ..... बातें करना बहुत आसान है.

जय बाबा बनारस...................

Tuesday, August 9, 2011

एक टीचर और एक बच्चा

एक टीचर और एक बच्चा

बच्चा बोलता है "मेम, टोयलेट करने जाना है
फिर मेम बोलती है अभी इंग्लिश का पीरिड  है तो इंग्लिश मैं बात करो 
बच्चा बोलता मेम मे आई गो टो टोयलेट

मेम कहती है की ई वी यस  का पीरिड है ई वी यस मैं  बात  करो  
बच्चा  बोलता  है  मे  कामिकल   करने  जाये

फिर  में कहती  है म्यूजिक  का  पीरिड  है म्यूजिक मैं बात करो
बच्चा कहता  है आइके आइके जोर  का सुसु  आइके

में कहती है कम्पुटर  का पीरिड है  कम्पुटर की  भाषा  मैं बात करो
बच्चा  कहता है  www.susu.com.....

मैडम  कहती है आर्ट  का पीरिड  है
बच्चा एक सुसु  करते हुए बच्चा  की ड्राइंग बना का मैडम को दिखता   है



जय बाबा बनारस.....

Friday, August 5, 2011

एक मुर्ख विद्वान् मोनू

आज का राजा .... एक मुर्ख विद्वान् मोनू की तरह ही एक राजा था जिसने दिल्ली की सल्तनत पर राज किया  था उसका नाम  सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक. मुहम्मद बिन तुग़लक वैसे तो विद्वान था, लेकिन उसने जितनी भी योजनाएं बनाईं, वे असफल रहीं. इतिहास में यह अकेला सुल्तान है, जिसे विद्वान-मूर्ख कहकर बुलाया जाता है. मुहम्मद बिन तुगलक के फैसलों से ही तुग़लकी फरमान का सिलसिला चला. तुग़लकी फरमान का मतलब होता है कि बेवक़ू़फी भरा या बिना सोच-विचार किए लिया गया फैसला. वह इसलिए बदनाम हुआ, क्योंकि उसने अपनी राजधानी कभी दिल्ली तो कभी दौलताबाद तो फिर वापस दिल्ली बनाई. इतिहास से न सीखने की हमने कसम खाई है हमारा मोनू भी यही कर रहा है अब बेचारा मोनू अकेला क्या क्या करे वह तो सिर्फ एक अदना सा अर्थ- शास्त्री है शास्त्री है लकिन अर्थ का ज्ञान तो हमारे मोनू को नहीं है अर्थ का मजा सिर्फ राजा लोग ही ले सकते है न की  एक मुर्ख विद्वान् मोनू ....

जय बाबा बनारस...

Tuesday, August 2, 2011

आज कल के कलयुगी साहब है

आजकल आम आदमी  के पास समय नहीं है आप किसी से पूछो भाई कल किया कर रहे हो 

जवाब होगा यार कल का तो बहुत ही सडुले बहुत ----है टाइम नहीं है ....आज कल के कलयुगी  साहब है इनको किसी के काम से कोई  लेना देना नहीं है 

आप की किसी से मीटिंग है आप को बाहर कम से कम कुछ टाइम बहार बिठा कर रखा जाना लाजमी है क्योकि साहब बीसी  है साला साहब न हो गया पता नहीं कौन हो गया अंदर जा कर देखा तो साहब वाकई बहुत बीजी थे 
साला गधा अपने सिस्टम पर तास खेल रहा था 
लोग कहते है की साहब के पास टाइम नहीं है वाकई साहब के पास टाइम कहा से होगा साहब का मोबाइल और साहब का लेपटाप साहब से ले लो साहब के पास टाइम ही टाइम है ये आज कल के कलयुगी  साहब है 

जय बाबा बनारस