Thursday, June 30, 2011

देश का नेता कैसा हो ..

देश का नेता कैसा हो क्या मन मोहन के जैसा हो ............

आज कल हर जगह यही चर्चा चल रही है की देश का नेता कैसा हो ..
.एक साहब ने एक सवाल दाग दिया कि
घर का मुखिया कैसा हो अब तो लोगो का दिमाग घूम गया क्योकि करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर के मुखिया थे एक साहब ने कहा घर का मुखिया ऐसा हो कि घर और समाज कि जिम्मेदार्री बखूबी निभा सके अगर घर का मुखिया घर और समाज कि जिम्मेदारी नहीं उठा पाता तो वह घर का मुखिया नहीं रह सकता घर के लोग उसका विरोध करने लगते है और एक दिन ऐसा आता है कि घर का मुखिया या तो घर छोड़ कर भाग जाता है या आतम -हत्या कर लेता है ...

आज कल मार्डन जमाना है घर का मुखिया जब अपनी ससुराल कि सुनने लगता है 
तब घर घर नहीं रह जाता है...
यही हाल आज हमारे देश का है ...कि पाता नहीं वह कौन सा  कमजोर नस है जो कि कांग्रस ने मन मोहन का पकड़ रखा है कि मन मोहन जी कुर्सी से फेविकोल के जोड़ कि तरह चिपके है  कुछ समझ नहीं आता है....

जय बाबा बनारस............

Thursday, June 23, 2011

“दर्द होता रहा छटपटाते रहे


“दर्द होता रहा छटपटाते रहे, आईने॒से सदा चोट खाते रहे, वो वतन बेचकर मुस्कुराते रहे
हम वतन के लिए॒सिर कटाते रहे”

280 लाख करोड़ का सवाल है ...
भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.


या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है.

ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को

लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है.

इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा.

मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है.

भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है.

हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है.हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ........

आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो.
इसे भी इतना फॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये

Thursday, June 9, 2011

गुमशुदा नेता की तलाश.......

 गुमशुदा नेता की तलाश आज जब पूरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना दे रहा है तो राहूल गाँधी लापता है. कृपया इन्हे खोजने मे देश की मदद करे . नाम :- राहूल गाँधी उमर :- ४० कद :- ५' ७" रंग:- गेंहूआ काम:- भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना देना ! इन्हे आखरी बार उत्तरप्रदेश मे धरना देते हुए देखा गया l

जय बाबा बनारस...............

Wednesday, June 8, 2011

बद अच्छा बदनाम बुरा......

बद अच्छा बदनाम बुरा एक यह कहावत है बिलकुल सही है आज के वक़्त मैं जब किसी को कोइए तमगा मिल जाता है तब उसको वह काम करना उसकी मजबूरी बन जाता है








आजकल पूरा का पूरा अमला बाबा रामदेव के पीछे पड़ा है जिसको देखो वही बाबा के साथ किसी न किसी रूप मैं जुड़ा है लेकिन सरकारी अमला बाबा को RSS का AGENT बताता है और तो और बाबा को बीजेपी का बताया जाता है बाबा को भगवा आतंकवादी बताया जाता बाबा तो बाबा,बाबा कुछ कम नहीं कुछ न कुछ उल्टा सीदा बक देता है बाबा बाद अच्छा बदनाम बुरा







कुछ कर बाबा नहीं तो यह कमीने जीने नहीं देंगे अब नहीं तो कुछ दिन बाद यह सरकार या तो बाबा को मरवा देगी नहीं तो बाबा को भगवा आतंकवादी घोषित कर देगी .......वह तो बाबा की किस्मत अच्छी थी जो उस काली रात को बच गया अतः बाबा बोल कम और काम जयादा कर







जय बाबा बनारस...

Tuesday, June 7, 2011

एक पत्र महामहिम राष्ट्रपति के नाम..


एक पत्र महामहिम राष्ट्रपति के नाम..


लोकतान्त्रिक और गणतंत्र भारत की महामहिम राष्ट्रपति को मेरा सादर प्रणाम,

मै ४ जून की घटना जो रामलीला मैदान में घटी, उसके बारे में आपको लिख रहा हु. उस घटना को देखने के बाद मै ऐसा महसूस करता हु की अब भारत के नागरिको ने अपना विरोध करने  का लोकतान्त्रिक हक भी खो दिया है. जैसा व्यवहार पुलिस ने वृद्धो, महिलाओ और बच्चो के साथ किया है, वो अत्यंत निंदनीय और अमानवीय है. मै आपसे प्रार्थना करता हु की इस घटना के षड्यंत्रकारियो और अंजाम देने वाले लोगो पर कार्यवाही करे और देश के नागरिको के लोकतान्त्रिक और मानवाधिकारों की रक्षा करे. मै आपसे नेवेदन करता हु की भविष्य में सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग सत्ता की शक्ति का भारत की आम जनता के खिलाफ दुरूपयोग न करे, इस बात को सुनिश्चित करे. भारत की आम जनता भ्रष्टाचार और विदेशी बैंको में जमा काले धन के मुद्दों पर बहुत आक्रोशित है. इस लिए आपसे अनुरोध है की आप इस मुद्दे की ओर अपना विशेष ध्यान रखे और समय समय पर कार्यवाही करे.

जय हिंद
जय बाबा बनारस .............

Sunday, June 5, 2011

सेकुलर मर गए क्या ???????????

सेकुलर मर गए क्या और राजकुमार को क्या हुआ मानवाधिकारी कहा गए सब ........

अब इन सब को कुछ नजर नहीं आता सब के सब पता नहीं अब कहा है ......

जय बाबा बनारस ......................................................

बिना खून के क्रांति नहीं होती

जब जब कोई क्रांति हुयी है तब तब खून बहा है बिना खून के क्रांति नहीं होती है यह देश गांधी  जैसे लोगो के साथ साथ सुभाष ,भगत ,और आजाद जैसे लोगो के बिना यह देश आजाद नहीं हो सकता था अब देश को अन्ना के साथ साथ और राम देव के साथ कुछ सुभाष ,भगत ,और आजाद जैसे लोगोकी जरुरत है हाथ के बदले हाथ और जान के बदले जान तभी हो सकता है इस देश की जनता का सम्मान नहीं तो यह सरकार नादिरशाह की सरकार है .....
जय बाबा बनारस....


Friday, June 3, 2011

एक अनोखा ब्लोग्गर और अनोखी प्रेमकथा .....

विद्रोही प्रवृति का इन्सान हूँ..और यही मेरे व्यक्तित्व का सम्बल और कमजोर पक्ष दोनों है ... मैं चिंगारी को कुचलने की जगह चिंगारी को हवा दे कर हर एक उस सामाजिक परिवारिक या व्यक्तिगत व्यवस्था में एक क्रांति लाने का विचारक हूँ .
जी, ये आशुतोष की कलम है.....


ये ऐसा ब्लोग्गर बंधू जब कहानी लिखने की कोशिश करता है तो .... वहाँ भी सफल होता है....


जूही-इरफ़ान प्रेम-कथा ...... न जन्म का हो बंधन...


भावनाओं से ओत-प्रोत कहानी है...  एक ऐसी युवती की जो विधर्मी के प्रेम पाश में फंस जाती है..... और शयद ये प्रेरणा उसे जोधा-अकबर फिल्म से मिली हो...


हालाँकि कहानी का प्रथम अंक ही अभी ब्लॉग पर आया है : और प्रबुद्ध ब्लोग्गर बन्धुं की सुखद और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया मिली है. कहानी के अगले भाग का सभी को बेताबी से इन्तेज़ार रहेगा... 


और मैं ये कामना करता हूँ की आशुतोष जी ऐसी ही सामाजिक कविताओं, कहानियों और लेखों द्वारा ब्लॉग जगत को समृद्ध करेंगे ...


आमीन.