वो पास साईं गुजर गया मेरा हाल तक न पुच्छा अब संसद तक मैं हंगामा वाह रे खबर
सड़क पर इंसानियत शर्मसार होती रही। प्रसव पीड़ा से तड़पती मां की गुहार अनसुनी कर लोग कनॉट प्लेस की सड़क से गुजरते रहे। महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। अंत में कनॉट प्लेस में बुटीक चलाने वाली एक महिला उसकी मदद के लिए आगे आई। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अत्यधिक रक्तस्राव के कारण महिला की हालत बिगड़ चुकी थी, बच्ची तो बच गई, लेकिन 31 जुलाई को महिला की मौत हो गई। 26 जुलाई की सुबह साढ़े सात आठ बजे कनॉट प्लेस के शंकर मार्केट पर खूब चहल-पहल थी। लोग कार्यालयों के लिए बस आदि पकड़ने के लिए दौड़भाग कर रहे थे। इनमें पुरुष और महिलाएं भी शामिल थीं। इसी भागमभाग के बीच सड़क पर एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। वह हाथ उठाकर लोगों से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगा रही थी। मगर वहां तमाशबीन तो बहुत थे मददगार कोई नहीं। महिला ने सड़क पर ही एक बच्ची को जन्म दिया। मां बेहोश थी और उसके पास सड़क पर पड़ी नवजात बच्ची लगातार चीख रही थी। इसी बीच शंकर मार्केट में पाल साब के नाम से बुटीक चला रही रितु फ्रेडरिक को अन्नपूर्णा फूड कॉर्नर के मालिक इंद्रजीत ने इस वाकये के बारे में बताया तो वह बुटीक छोड़कर सीधे वहां पहंुचीं। पहले तो उन्हें तमाशबीनों पर गुस्सा आया और फिर उन्होंने बच्ची को उठा लिया। उन्होंने बच्ची को मां का दूध पिलवाया, लेकिन तब तक मां की हालत बेहद खराब हो चुकी थी। जिसके कारण 31 जुलाई को मां की मौत हो गई। मरने से पहले महिला ने बच्ची को रितु को सौंपते हुए कहा था कि मै इस बच्चे को आपको देती हूं। फिलहाल यह बच्ची एक एनअीजो के पास है। रितु की मां शीला फ्रेडरिक कहती हंै कि हम उस बच्ची को अपनाना चाहते हैं, मगर एनजीओ के लोग उन्हें बच्ची देने को तैयार नहीं हैं। वे कहते हैं कि बच्ची उसे मिलेगी, जिसका नाम गोद लेने वालों की सूची में सबसे ऊपर है। यही सवाल रितु को कचोट रहा है। उन्हें इस बात का बेहद दुख है कि उन्हें बच्ची से अलग किया जा रहा है। यह खबर बहुत कुछ कहती है चलो कुछ तो ख्याल आया ------------
Tuesday, August 31, 2010
Monday, August 30, 2010
कटही कुतिया और आज का समाज
कटही कुतिया और आज का समाज क्या बात है लोगो के पास इस तरह का बकवास के लिया बहुत वक़्त है दुनिया मैं क्या हो रहा है उनको इस से मतलब नहीं है,कौन कुत्ता है और कौन कुतिया है यह सब लोग जानता है हम लोग आदिवासी युग मैं नहीं जी रहा है यह सभ्या समाज की भाषा है कटही कुतिया इसका मतलब क्या है कोइए नहीं जानता है जो लोग कतई कुतिया के बार मैं जो कुछ जनता है कमेन्ट दे आखिर कटही कुतिया का मतलब क्या है --------------------
Sunday, August 29, 2010
आज की ताज़ा खबर वोह मरगयी सड़क पर
प्रसव पीड़ा से तड़पती रही महिला, गुजरते रहे लोगनई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राजधानी की सड़क पर इंसानियत शर्मसार होती रही। प्रसव पीड़ा से तड़पती मां की गुहार अनसुनी कर लोग कनॉट प्लेस की सड़क से गुजरते रहे। महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। अंत में कनॉट प्लेस में बुटीक चलाने वाली एक महिला उसकी मदद के लिए आगे आई। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अत्यधिक रक्तस्राव के कारण महिला की हालत बिगड़ चुकी थी, बच्ची तो बच गई, लेकिन 31 जुलाई को महिला की मौत हो गई। 26 जुलाई की सुबह साढ़े सात आठ बजे कनॉट प्लेस के शंकर मार्केट पर खूब चहल-पहल थी। लोग कार्यालयों के लिए बस आदि पकड़ने के लिए दौड़भाग कर रहे थे। इनमें पुरुष और महिलाएं भी शामिल थीं। इसी भागमभाग के बीच सड़क पर एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। वह हाथ उठाकर लोगों से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगा रही थी। मगर वहां तमाशबीन तो बहुत थे मददगार कोई नहीं। महिला ने सड़क पर ही एक बच्ची को जन्म दिया। मां बेहोश थी और उसके पास सड़क पर पड़ी नवजात बच्ची लगातार चीख रही थी। इसी बीच शंकर मार्केट में पाल साब के नाम से बुटीक चला रही रितु फ्रेडरिक को अन्नपूर्णा फूड कॉर्नर के मालिक इंद्रजीत ने इस वाकये के बारे में बताया तो वह बुटीक छोड़कर सीधे वहां पहंुचीं। पहले तो उन्हें तमाशबीनों पर गुस्सा आया और फिर उन्होंने बच्ची को उठा लिया। उन्होंने बच्ची को मां का दूध पिलवाया, लेकिन तब तक मां की हालत बेहद खराब हो चुकी थी। जिसके कारण 31 जुलाई को मां की मौत हो गई। मरने से पहले महिला ने बच्ची को रितु को सौंपते हुए कहा था कि मै इस बच्चे को आपको देती हूं। फिलहाल यह बच्ची एक एनअीजो के पास है। रितु की मां शीला फ्रेडरिक कहती हंै कि हम उस बच्ची को अपनाना चाहते हैं, मगर एनजीओ के लोग उन्हें बच्ची देने को तैयार नहीं हैं। वे कहते हैं कि बच्ची उसे मिलेगी, जिसका नाम गोद लेने वालों की सूची में सबसे ऊपर है। यही सवाल रितु को कचोट रहा है। उन्हें इस बात का बेहद दुख है कि उन्हें बच्ची से अलग किया जा रहा है। यह खबर बहुत कुछ कहती है
जलन ,वो तुझको देख के जलता है ---जलन
जलन ,जलन, जलन,तररकी का और जलन का आपस मैं बहुत ही आच्छा रिश्ता है जहा एक के पास प्रगति है वही दूसरा के पास जलन है सब एक दूसरा को देख कर जलन की भावना कियो रखते है .आज जो जलता है ,कल वो किसी को जलना चाहते है जलना ही जिंदगी है जलती ही जा रही है एक दूसरा को देख कर जलना नहीं -----------------------------////
Friday, August 27, 2010
क्या क्या याद राखु भाई - रामलाल मैं पागल न हो जाऊ
रामलाल क्या क्या याद राखु शादी की डेट ,बेटा, बेटी का जन्मदिन ,ईमेल का पासवर्ड,क्रेदितकार्ड का पिन , मोबाइल का सिम,बिजली के बिल की डेट ,कामनवेअल्थ गेम,इसका उसका किस किस का क्या क्या याद राखु,फ्लैट की किस्त,गाड़ी की किस्त,मैं पागल न हो जाऊ------अफसर की डाट ,बीबी की चाट --बच्चो की जिद ,माँ ,बाप, भाई, बहन ,अड़ोसी पडोसी, न भाई न एक अकली जान उस पर मेरा भारत महान-----
Thursday, August 26, 2010
खद्दरधारी ---भगवा आतंकवाद शुरु करना चाहते है ??????
खद्दरधारी ---भगवा आतंकवाद शुरु करना चाहते है अगर देश मैं वाकई भगवा आतंकवाद शुरु हो गया तो क्या होगा
अगर देश मैं वाकई भगवा आतंकवाद शुरु हो गया तो क्या होगा भारत देश का पता नहीं कितना nxalwad,islamic atank wad , और पता न्क्साल्वाद कौन कौन साईं वाद को झेल रहा है उस पर एक नेता इस तरह का बयां देकर बेकार मैं लोगो को इस और मोड़ना चाहता है खुद तो कुछ कर नहीं सकता ऊपर से ऐसा बयां देता है ,शर्म ही नहीं आती है -----खद्दरधारी ---भगवा आतंकवाद शुरु करना चाहते है ---
अगर देश मैं वाकई भगवा आतंकवाद शुरु हो गया तो क्या होगा भारत देश का पता नहीं कितना nxalwad,islamic atank wad , और पता न्क्साल्वाद कौन कौन साईं वाद को झेल रहा है उस पर एक नेता इस तरह का बयां देकर बेकार मैं लोगो को इस और मोड़ना चाहता है खुद तो कुछ कर नहीं सकता ऊपर से ऐसा बयां देता है ,शर्म ही नहीं आती है -----खद्दरधारी ---भगवा आतंकवाद शुरु करना चाहते है ---
अगर देश मैं वाकई भगवा आतंकवाद शुरु हो गया तो क्या होगा
अगर देश मैं वाकई भगवा आतंकवाद शुरु हो गया तो क्या होगा भारत देश का पता नहीं कितना nxalwad,islamic atank wad , और पता न्क्साल्वाद कौन कौन साईं वाद को झेल रहा है उस पर एक नेता इस तरह का बयां देकर बेकार मैं लोगो को इस और मोड़ना चाहता है खुद तो कुछ कर नहीं सकता ऊपर से ऐसा बयां देता है ,शर्म ही नहीं आती है --------
Wednesday, August 25, 2010
यह दिल्ली अब वोह दिल्ली नहीं है यह दिल्ली अब रोज आम आदमी की सहादत मागती hai
दिल्ली का तो अब सवरूप ही बदल गया है पता ही नहीं लगता है की हम दिल्ली मैं हैं दिल्ली जिसको लोग देश का दिल कहता है अब बिलकुल ही बदल गये है पहले एक दील्ल्ली हुआ करती थी अब तो हर जगह का एक ही हाल है नई दिल्ली ,पुरानी दिल्ली ,अब दिल्ली दिल्ली नहीं रही एक जंग का मैदान है जहा सुबह साईं शाम तम रोजाना आम आदमी एक जंग लड़ता जीत गया तो घर वापस पहुच जाता है नहीं तो दिल्ली के जंग के मैदान मैं ख़तम हो जाता है
कंजूस----आजकल हर आदमी कंजूस है
बचपन मैं एक कहानी सुनी थी कंजूस के उपर शायद आप नै भी सुनी हो लकी मल और करोरी मल दोनों बड़ा ही कंजूस था .आज कल तो हर आदमी कंजूस है हर आदमी कही न कही कंजूसी करता है ब्लॉगर भी महा कंजूस है ,
आप कहेंगे की ब्लागर जैसे नेक आदमी कहाँ कंजूस हो गया। भाई हम नए ब्लोगेर हैं, एक बार गलती से किसी कवित्री की कविता लगा दी तो हाहाकार मच गया। पूरी बिरादरी ही हरकत में आ गयी - सभी नें अपने अपने उदगार व्यक्त किये। माना हमसे गलती हुई थी। पर हमने उसका माफ़ी के साथ स्पष्टीकरण भी दिया था।
आज ये हालात ये हैं की कोई हमारे ब्लाग पर टिपण्णी करने ही नहीं आता --- तभी हम कह रहे हैं की ब्लागर भी महा कंजूस हैं।
आप कहेंगे की ब्लागर जैसे नेक आदमी कहाँ कंजूस हो गया। भाई हम नए ब्लोगेर हैं, एक बार गलती से किसी कवित्री की कविता लगा दी तो हाहाकार मच गया। पूरी बिरादरी ही हरकत में आ गयी - सभी नें अपने अपने उदगार व्यक्त किये। माना हमसे गलती हुई थी। पर हमने उसका माफ़ी के साथ स्पष्टीकरण भी दिया था।
आज ये हालात ये हैं की कोई हमारे ब्लाग पर टिपण्णी करने ही नहीं आता --- तभी हम कह रहे हैं की ब्लागर भी महा कंजूस हैं।
मीडिया की क्रांति ???????????????????
आज कल मीडिया बहुत क्रन्तिकारी रोल निभा रहा है तिल का ताड़ बना रहा है ,अपनी तो कुछ समः मैं नहीं आ रहा है मीडिया के हिसाब से आज आधी से जयादा दिल्ली बाढ़ के पानी मैं डूबी है दिल्ली मैं कोई मोवेमेंट नहीं जो जहा है वही है आज सुबह की न्यूज़ देख कर अब तक कई लोगो नै फ़ोन पर पूछ लिया भाई कह हो सब कुछ ठीक ठाक है पानी कहा तक आ गया है .यह सुन कर दिमाग की बत्ती जल गयी की भाई क्या हो रहा है सुबह ८;००,बजा तक तो सुब कुछ ठीक था यह अचानक क्या हुआ ,ग्रेअटर नॉएडा से माया पूरी तक तो ऐसा कुछ नहीं था की दिल्ली मैं पानी बहुत है
Tuesday, August 24, 2010
दिल्ली सरकार के खिलाफ बीजेपी की साज़िश ????????
दिल्ली सरकार के खिलाफ बीजेपी की साज़िश ???????? जब से दिल्ली प्रदेश मैं वरुण देवता का आशीर्वाद लगातार मिल रहा है लगता है की इस के अंदर भी बीजेपी की साज़िश नज़र आती है ,अभी तक दिल्ली सरकार के किसी भी नेता का अभी तक ऐसा कोई बयां अभी तक नहीं आया ,लगता है अभी वह तक नहीं दिमाग पंहुचा है ,कुछ ही दिन बाकि है गेम मैं और यह वरुण देवता है की किसी भी तरह से मान ही नहीं रहा अब क्या करना है ,सारा का सारा भगवन बीजेपी का है ???????? भगवन तेरा ही सहारा है
Monday, August 23, 2010
मुन्नी बदनाम हुई राजा तेरे प्यार में.
आजकल दबंग फिल्म का गाना पुरे शबाब पर है. मुन्नी बदनाम हुई राजा तेरे प्यार में.
गाना तो बहुत ही उत्तेज़क है पर उसके साथ साथ बोल भी कम बढ़िया नहीं है - जिस झंडू बाम को हम लोग भूले बेठे थे उसकी फिर याद दिल्या दी.
एक साहेब तो कमाल कर दिया इस गाने की आड़ में अपनी तुलना सांसदों से कर दी। हिन्दुस्तानी दिल है कुछ भी सोच सकता है.
हम तो झंडू बाम हुए ... बाबू साहिब तेरे चक्कर में
इस मायावी दुनिया में सभी लोगों की नहीं चलती बाबू साहिब – अब पता चल गया। हमरे बापू खूब समझाते थे... बेटा ई दुनिया में पैसे और रसूख वाला आदमी जी इज्ज़त से जी सकता है – जरा संभल कर करना।महंगाई डाइन के चक्कर में हमऊ नें भी फैक्ट्री मालिक में हल्ला बोल दिया. मालिक से कह दिया ... पगार बढाइये. पूरी दुनिया में सबसे गरीब सांसदों की तनख्वाह बढ़ गई है तो हमुकी भी बडनी चाहिए. मालिक नें इनकार कर दई... अपने रोना रोने बैठ गई... फैक्ट्री में काम नहीं है... किराया बहुत है॥ कम्पीटीशन का ज़माना है ... मशीन पुरानी है.... प्रोदोक्षण निकल नहीं पाती... .................. बस का बताई हमर दिल भी बैठ गया. पर का करी.... पगार न बडवाते तो ऊ ससुर लाल झंडे वाले कामरेड दिमाग झनझना देत रहे. ..........हमका कछू समझ न आई.......... या तो उ कामरेड लोग का सुनी .... या दिल का सुनी... या फिर मालिक साहिब का दुखडा देखि. चाय का दूकान में बाबु साहिब, आपके बारे में खबर पढ़ ई ..“वेतन में पांच गुना तक बढ़ोतरी की मांग को लेकर विरोध कर रहे विपक्षी सांसदों ने संसद स्थगित होने के बाद समानांतर सरकार बना डाली। लालू यादव को प्रधानमंत्री चुना गया और मुलायम सिंह यादव को गृहमंत्री बनाया गया। इतना ही नहीं भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को लोकसभा अध्यक्ष बना दिया गया। ‘बस फिर का था.... हमूऊ जोश में आ गए....... तुरत फुरंत फैक्ट्री गए ....... और मालिक साहिब की कुर्सी पर धसिया कर बैठ गए............... और मालिक का चश्मा लगा कर खुद को फैक्ट्री का मालिक घोषित कर दिया. ................ ई रामदीन इहाँ आवा..... ए किश्न्वा..... औ अनिलवा... भी सबो लोग अपना अपना कापी लेइय आवा.... आज के मालिक हम.... सभो का पगार बड़ा दिया जावेगा. ................. खूब मजा आवा.... मन ही मन शुक्र किया आपका .... आपहो की बदोलत .............. का बात है आप प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो हमू भी फैक्ट्री के मालिक काहे नहीं बन सकते सरकार.पर उ फैक्ट्री में एक तो ........ चम्च्वा रही मालिक का ........... तुरंत – फुरंत मालिक के फोन हुई गवा............... और मालिक आ धमके फैक्ट्री में .... हमका उठा कर गेट से बहार फेंकवा दिया गया. हम अपनी जिंदगी पर रो रहे है ............... जब हमे गेट से बहार फेक्वा दिया गया तो आपको क्यों नहीं.... ई तो लोकशाही है बाबू.... कानून सबके लिए बराबर है....... महात्मा गाँधी दिला गए हैं.... पर आपकी पगार १०,००० रुपे बड गयी और हम बेरोजगार हो गए.............. काश अपने बापू की बात मानी होती.बाबू साहिब .............. रेडियो पर गाना बज रही .... मुन्नी बर्बाद हुई – राजा तेरे लिया......... और हमरा दिल खूब रो रहा है ............. हमतो झंडोबाम हुई बाबू तेरे चक्कर में.
सही है दीपक बाबा , आपने झंडू बाम के बहाने से ही सही पर आपके शब्दों में 'बाबू साहिबों' को सही लपेटा है।
गाना तो बहुत ही उत्तेज़क है पर उसके साथ साथ बोल भी कम बढ़िया नहीं है - जिस झंडू बाम को हम लोग भूले बेठे थे उसकी फिर याद दिल्या दी.
एक साहेब तो कमाल कर दिया इस गाने की आड़ में अपनी तुलना सांसदों से कर दी। हिन्दुस्तानी दिल है कुछ भी सोच सकता है.
हम तो झंडू बाम हुए ... बाबू साहिब तेरे चक्कर में
इस मायावी दुनिया में सभी लोगों की नहीं चलती बाबू साहिब – अब पता चल गया। हमरे बापू खूब समझाते थे... बेटा ई दुनिया में पैसे और रसूख वाला आदमी जी इज्ज़त से जी सकता है – जरा संभल कर करना।महंगाई डाइन के चक्कर में हमऊ नें भी फैक्ट्री मालिक में हल्ला बोल दिया. मालिक से कह दिया ... पगार बढाइये. पूरी दुनिया में सबसे गरीब सांसदों की तनख्वाह बढ़ गई है तो हमुकी भी बडनी चाहिए. मालिक नें इनकार कर दई... अपने रोना रोने बैठ गई... फैक्ट्री में काम नहीं है... किराया बहुत है॥ कम्पीटीशन का ज़माना है ... मशीन पुरानी है.... प्रोदोक्षण निकल नहीं पाती... .................. बस का बताई हमर दिल भी बैठ गया. पर का करी.... पगार न बडवाते तो ऊ ससुर लाल झंडे वाले कामरेड दिमाग झनझना देत रहे. ..........हमका कछू समझ न आई.......... या तो उ कामरेड लोग का सुनी .... या दिल का सुनी... या फिर मालिक साहिब का दुखडा देखि. चाय का दूकान में बाबु साहिब, आपके बारे में खबर पढ़ ई ..“वेतन में पांच गुना तक बढ़ोतरी की मांग को लेकर विरोध कर रहे विपक्षी सांसदों ने संसद स्थगित होने के बाद समानांतर सरकार बना डाली। लालू यादव को प्रधानमंत्री चुना गया और मुलायम सिंह यादव को गृहमंत्री बनाया गया। इतना ही नहीं भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को लोकसभा अध्यक्ष बना दिया गया। ‘बस फिर का था.... हमूऊ जोश में आ गए....... तुरत फुरंत फैक्ट्री गए ....... और मालिक साहिब की कुर्सी पर धसिया कर बैठ गए............... और मालिक का चश्मा लगा कर खुद को फैक्ट्री का मालिक घोषित कर दिया. ................ ई रामदीन इहाँ आवा..... ए किश्न्वा..... औ अनिलवा... भी सबो लोग अपना अपना कापी लेइय आवा.... आज के मालिक हम.... सभो का पगार बड़ा दिया जावेगा. ................. खूब मजा आवा.... मन ही मन शुक्र किया आपका .... आपहो की बदोलत .............. का बात है आप प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो हमू भी फैक्ट्री के मालिक काहे नहीं बन सकते सरकार.पर उ फैक्ट्री में एक तो ........ चम्च्वा रही मालिक का ........... तुरंत – फुरंत मालिक के फोन हुई गवा............... और मालिक आ धमके फैक्ट्री में .... हमका उठा कर गेट से बहार फेंकवा दिया गया. हम अपनी जिंदगी पर रो रहे है ............... जब हमे गेट से बहार फेक्वा दिया गया तो आपको क्यों नहीं.... ई तो लोकशाही है बाबू.... कानून सबके लिए बराबर है....... महात्मा गाँधी दिला गए हैं.... पर आपकी पगार १०,००० रुपे बड गयी और हम बेरोजगार हो गए.............. काश अपने बापू की बात मानी होती.बाबू साहिब .............. रेडियो पर गाना बज रही .... मुन्नी बर्बाद हुई – राजा तेरे लिया......... और हमरा दिल खूब रो रहा है ............. हमतो झंडोबाम हुई बाबू तेरे चक्कर में.
सही है दीपक बाबा , आपने झंडू बाम के बहाने से ही सही पर आपके शब्दों में 'बाबू साहिबों' को सही लपेटा है।
Wednesday, August 18, 2010
सुहाना सफ़र और ये मौसम
आज दिल्ली सहर का मौसम बहुत ही हसी है .इस मौसम मैं बिना छतरी के बारिस मैं घूमा करो बहुत है मज़ा आता है भाई हम तो बारिस का मज़ा लेना जा रहा है .aap का intizaar है-----------
Monday, August 16, 2010
अजगर करै न चाकरी पंछी करे न काम
अजगर करै न चाकरी पंछी करे न काम दास मलूका कह गया सबका दाता राम .भारत देश मैं सब कुछ रामभरोसा चल रहा है वह घर हो या सरकार
बददिमाग
बददिमाग आजकल सुबह से लेकर शाम तक न जाने कितना लोगो से सामना होता है,कुछ हद तक आज का आदमी बददिमाग होता जा रहा है ,किसी का गुस्सा किसी के सर पर उतरता है ,यह सब किस का असर है ,लगता है की सब खान पण का असर है जैसा खाओ गई अन्न वैसा ही होगा मन ,इसलिय खान पान की सुधार की जरुरत है ,
खाओ------चारा करो घोटाला ,
खाओ------चारा करो घोटाला ,
Sunday, August 15, 2010
आजाद,आज़ादी, और गुलामी
वाह बही वाह हम सब आजाद है,जहरीली हवा पीनै के लिया ,आजाद है नकली दवाई ,नकली दूध ,नकली मुस्कान ,नकली नेता नकली सबकुछ आज कल सबकुछ मिलावट का मिल रहा है ,भाई हम सब आजाद है,आओ हम सब मिल कर नकली आज़ादी का जश्न धूम धाम के साथ मिल जुल कर ----------------------?//////?////////////?????????????????????????????????????????????????????????????
गुलामी---------और -----आज़ादी
क्या हम आजाद है यह सवाल मन मैं बार बार उठता है .आजाद ,आज़ादी और गुलामी, गुलामी क्या है यह जब तक हम समझ पायै तब तक हमको आज़ादी मिल गए अब सवाल यह है की क्या हम आजाद है हमको किस किस की आज़ादी है.
Friday, August 13, 2010
हम सब चोर है
हम सब चोर है यह सुन कर आप सब को कुछ अटपटा सा लगागा ,अब आप को कुछ कहना है,ऐसा कैसा है ---
भाई कोई बिजली चुराता है कोई पानी चुराता है कोइए खाना चुरात है कोइए किसी का दिल चुराता है ,कोई टैक्स की चोरी करता है,कोई कहानी चुराता है,है सब के सब चोर है चाह वोह सरकार हो या जनता हो ,जैसा चोरी करना सबका जनम सिद्ध अधिकार हो ,चोर चोर भाई भाई ----यह चोरी की प्रथा कहा से आई .इसका जनक कौन है ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
भाई कोई बिजली चुराता है कोई पानी चुराता है कोइए खाना चुरात है कोइए किसी का दिल चुराता है ,कोई टैक्स की चोरी करता है,कोई कहानी चुराता है,है सब के सब चोर है चाह वोह सरकार हो या जनता हो ,जैसा चोरी करना सबका जनम सिद्ध अधिकार हो ,चोर चोर भाई भाई ----यह चोरी की प्रथा कहा से आई .इसका जनक कौन है ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Thursday, August 12, 2010
गन्दी दुनिया के गंदा लोग
आज की दुनिया मैं लोगो की नज़र कुछ अच्छा सोचने की नहीं है न तो खुद अच्छा सोचते है न ही दूसरो को अच्छा सोचना देता है आज के औरत आदमी के साथ हर काम करती है लकिन सोचती आज भी आदिम युग के तरह है आज एक लेख पढ़ा-------हमारे समाज मे
कुछ काम ऐसे होते हैं
जिन्हें करते सभी हैं
या करना चाहते हैं
पर उनके बारे में
बातें करना गंदी बात है,
कुछ काम ऐसे हैं
जिन्हें कोई नहीं करना चाहता है,
उनके बारे में...
सिर्फ बातें होती हैं
योजनाएं बनती हैं,
...
गंदी बातों की अजब ही फिलासफ़ी है
प्रैक्टिकल की बात करते हैं लोग
चटखारे ले-लेकर,
पर, थियरी की बातें करना गंदी बात है,
सावधानी की बात करना बुरा है
पर भूल हो जाने पर...
खबर बन जाती है
फतवे जारी होते हैं
नियम बनाए जाते हैं
उन पर गर्मागर्म बहसें होती हैं,
...
गंदी बातों की एक और खास बात है
कि उनमें औरतें ज़रूर होती हैं,
बिना औरतों के
कोई बात गन्दी नहीं हो सकती,
क्योंकि समाज में फैली हर गंदगी
औरतों से जुड़ी होती है,
फिर उसे फैलाया किसी ने भी हो...
...
आज़ाद औरत सबसे बड़ी गंदगी है,
वो हंसकर बोले तो बदचलन
न बोले तो खूसट कहलाती है,
पर वो...
सामान्य व्यक्ति कभी नहीं हो सकती है,
अकेले रहने वाली हर औरत
एक गंदी औरत है
और उसके बारे में
सबसे ज्यादा गंदी बातें होती हैं... ............................................................................../////////////////.
औरत कब आजाद नहीं थी औरत की मानसिकता गुलामी के हो तो हम आप क्या कर सकता है सीता गुलाम थी, कुंती , द्रौपदी,गुलाम थी ,रज़िया सुल्तान सब गुलाम थी-आज के सोनिया गाँधी ----यह सब किस का प्रतीक है
कुछ काम ऐसे होते हैं
जिन्हें करते सभी हैं
या करना चाहते हैं
पर उनके बारे में
बातें करना गंदी बात है,
कुछ काम ऐसे हैं
जिन्हें कोई नहीं करना चाहता है,
उनके बारे में...
सिर्फ बातें होती हैं
योजनाएं बनती हैं,
...
गंदी बातों की अजब ही फिलासफ़ी है
प्रैक्टिकल की बात करते हैं लोग
चटखारे ले-लेकर,
पर, थियरी की बातें करना गंदी बात है,
सावधानी की बात करना बुरा है
पर भूल हो जाने पर...
खबर बन जाती है
फतवे जारी होते हैं
नियम बनाए जाते हैं
उन पर गर्मागर्म बहसें होती हैं,
...
गंदी बातों की एक और खास बात है
कि उनमें औरतें ज़रूर होती हैं,
बिना औरतों के
कोई बात गन्दी नहीं हो सकती,
क्योंकि समाज में फैली हर गंदगी
औरतों से जुड़ी होती है,
फिर उसे फैलाया किसी ने भी हो...
...
आज़ाद औरत सबसे बड़ी गंदगी है,
वो हंसकर बोले तो बदचलन
न बोले तो खूसट कहलाती है,
पर वो...
सामान्य व्यक्ति कभी नहीं हो सकती है,
अकेले रहने वाली हर औरत
एक गंदी औरत है
और उसके बारे में
सबसे ज्यादा गंदी बातें होती हैं... ............................................................................../////////////////.
औरत कब आजाद नहीं थी औरत की मानसिकता गुलामी के हो तो हम आप क्या कर सकता है सीता गुलाम थी, कुंती , द्रौपदी,गुलाम थी ,रज़िया सुल्तान सब गुलाम थी-आज के सोनिया गाँधी ----यह सब किस का प्रतीक है
Monday, August 9, 2010
एकल बेटा बेटी की कहानी
आज सुबह सुबह बेटा नै एक सवाल क्या पापा मेरा एक बड़ा भाई नहीं है ,पापा मेरा एक छोटा भाई भी नहीं है ,आप एक बड़ा भाई और एक छोटा भाई शाम को लेकर आना,अब मेरे लिया एक अजीब सवाल उठ खड़ा हुआ ,हम लोग अपना रिश्ता तो अपने आप ही ख़तम करते जा रहे है ,जब परिवार मैं एक बेटा य एक बेटी होगी तो बड़ा पापा का ,चाचा का ,मौसी का ,बड़ा भाई का ,छोटा भाई का यह सब रिश्ता तो सिर्फ किताबो मैं ही रह जायंगा ,भाई इस का खातिर सरकार कोइए कदम nahi उठा rahi hai ,सरकार को कोइए उचित कदम इस के लिया उठाना चाहिए नहीं तो यह सब के सब रिश्ता एकदम ख़तम हो jayaga
Friday, August 6, 2010
सूरज ठेकेदार सा - सबको बांटे काम..
नदिया सींचे खेत को - तोता कुतरे आम.
सूरज ठेकेदार सा - सबको बांटे काम..
निदा फाजली की ग़ज़ल का ये टुकड़ा कुछ जूठा लगता है जब ... में देखता हूँ की कौन अपना काम कर रहा. ये जरूर है की सूरज दादा सुबह सुबह आकर सबको जगाते हैं.......... जगाते ही नहीं बल्कि सबको अपना अपना कम भी दे देते हैं. पर आज लग रहा है की अपना काम कर के कोई भी राजी नहीं है. अगर कोई mcd ka councellor है तो वो विधयक के बारे में सोचता है. काश में विधयाक होता.. दिल्ली सरकार में अपना हक होता ... मौज होती आज क्या है .... कर्पोरासन की कोई सुनता नहीं. अगर विधायक होता तो ........ काश मंत्री होता.. यहाँ क्या है.. मंत्री होता तो इस कोमन वेल्थ गेम में सात नहीं तो एक दो पुसते तो तर ही जाती. और अगर मंत्री जी है तो सोचते हैं की काश मैडम के खेमे में होता तो ठीक था. यहाँ संघटन के खेमे से आया हूँ ... बेकार का मंत्रालय दे रखा है. सबके अपने अपने तर्क है. बस पैसा चाहिए. और इस खेल में जो कमा गया कमा गया. ठीक है बाद में इन्कुँरी होगी ... पर तब की तब देखेंगे.
पर अभी तो माल आना चाहिए था न. आज जब डेड सौ रुपे का टिसू पेपर चार हज़ार में बिक रहा और हम उद्घाटन समारोह में बैठ कर दिल्ली सरकार की उपलब्धियों की ताली बजा रहे है. आग लगे ऐसे मंत्री पद को जो इतने सालों बाद होने वाले खेल में अपना खेल सेट नहीं कर पाए. इससे तो अच्छा था कलमाड़ी साहेब के दफ्तर में चपरासी होते. कुछ बक्त तो होता. आज कलमाड़ी साहिब को बन्दों की कमी है. बन्दे दूंद रहे - इन्कुँरी के लिए . शहीद होने के लिए . हो सकता है चपरासी को कह दिया जाता - भैया बहोत पानी पिला दिया .. जायो - स्वेच्छिक सेवा नविरिती लो और एक ठो कोम्पनी बनाओ ... और ये जो पप्कोर्ण बेचा जायेगा उसका टेंडर आपको दिया. ध्यान रहे ... मार्केट में तीस रुपे का आत है - तुम दो सो रूप का देना. पच्चास तुम्हारे और बाकि एक सो बीस - यहाँ जमा करवा देना.
साले कुछ तो कमा लेते. यहाँ लाल बत्ती वाली गाड़ी का क्या फायदा.
भाइयों सभी हाथ मॉल रहे है. .... MCD, NDMC, CSD का ठेकेदार इस समय दिल्ली सरकार के ठेकेदार के इर्ष्य की नज़र से देख रहा है. और MCD, NDMC का कलर्क दिल्ली सरकार के कलर्क को देख रहा है. काम एक सा है पर ... बंदरबांट बराबर नहीं हो रही. सभी कर्मो को कोस रहे हैं.
सूरज ठेकेदार सा - सबको बांटे काम..
निदा फाजली की ग़ज़ल का ये टुकड़ा कुछ जूठा लगता है जब ... में देखता हूँ की कौन अपना काम कर रहा. ये जरूर है की सूरज दादा सुबह सुबह आकर सबको जगाते हैं.......... जगाते ही नहीं बल्कि सबको अपना अपना कम भी दे देते हैं. पर आज लग रहा है की अपना काम कर के कोई भी राजी नहीं है. अगर कोई mcd ka councellor है तो वो विधयक के बारे में सोचता है. काश में विधयाक होता.. दिल्ली सरकार में अपना हक होता ... मौज होती आज क्या है .... कर्पोरासन की कोई सुनता नहीं. अगर विधायक होता तो ........ काश मंत्री होता.. यहाँ क्या है.. मंत्री होता तो इस कोमन वेल्थ गेम में सात नहीं तो एक दो पुसते तो तर ही जाती. और अगर मंत्री जी है तो सोचते हैं की काश मैडम के खेमे में होता तो ठीक था. यहाँ संघटन के खेमे से आया हूँ ... बेकार का मंत्रालय दे रखा है. सबके अपने अपने तर्क है. बस पैसा चाहिए. और इस खेल में जो कमा गया कमा गया. ठीक है बाद में इन्कुँरी होगी ... पर तब की तब देखेंगे.
पर अभी तो माल आना चाहिए था न. आज जब डेड सौ रुपे का टिसू पेपर चार हज़ार में बिक रहा और हम उद्घाटन समारोह में बैठ कर दिल्ली सरकार की उपलब्धियों की ताली बजा रहे है. आग लगे ऐसे मंत्री पद को जो इतने सालों बाद होने वाले खेल में अपना खेल सेट नहीं कर पाए. इससे तो अच्छा था कलमाड़ी साहेब के दफ्तर में चपरासी होते. कुछ बक्त तो होता. आज कलमाड़ी साहिब को बन्दों की कमी है. बन्दे दूंद रहे - इन्कुँरी के लिए . शहीद होने के लिए . हो सकता है चपरासी को कह दिया जाता - भैया बहोत पानी पिला दिया .. जायो - स्वेच्छिक सेवा नविरिती लो और एक ठो कोम्पनी बनाओ ... और ये जो पप्कोर्ण बेचा जायेगा उसका टेंडर आपको दिया. ध्यान रहे ... मार्केट में तीस रुपे का आत है - तुम दो सो रूप का देना. पच्चास तुम्हारे और बाकि एक सो बीस - यहाँ जमा करवा देना.
साले कुछ तो कमा लेते. यहाँ लाल बत्ती वाली गाड़ी का क्या फायदा.
भाइयों सभी हाथ मॉल रहे है. .... MCD, NDMC, CSD का ठेकेदार इस समय दिल्ली सरकार के ठेकेदार के इर्ष्य की नज़र से देख रहा है. और MCD, NDMC का कलर्क दिल्ली सरकार के कलर्क को देख रहा है. काम एक सा है पर ... बंदरबांट बराबर नहीं हो रही. सभी कर्मो को कोस रहे हैं.
पार्क की कहानी
हर पार्क की कुछ न कुछ कहानी होती और महानगरो के पार्को की कहानी तो कुछ अजीब सी होती है .सुबह पार्क मैं कुछ और नशा होता है सुबह ताज़ी हवा का नशा होता है .उसका बाद स्कूल वालो का राज होता है और शाम के बाद असामाजिक लोगो का अपना एक अलग ही नशा होता है .अपना आस पास के किसी पार्क का नज़ारा एक दिन सुबह.एक दिन दूपहर और एक दिन शाम को कर के अपना विचार अपना अपना ब्लॉग पर पोस्ट लिख दे ------------------------------
Monday, August 2, 2010
अँधा बाट रहा रेवरी फिर फिर अपना को dai
कामन वेअल्थ मैं खून पसीना की कमाई सरकार नै पता नहीं किस किस को खिलाई ??????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????
CWG : यहां एक छतरी का किराया है 6,308 रुपए
2 Aug 2010, 1143 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स
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सेव कमेन्ट टेक्स्ट
रोहिणी सिंह
नई दिल्ली : अगर आपको फिटनेस का नशा है और आपको सबसे बेहतरीन ट्रेडमिल से कम पर संतोष नहीं है, तो लंदन की हैरोड्स
कंपनी आपको यह एक्सरसाइज मशीन केवल 10,000 पौंड यानी लगभग 7 लाख रुपए में मुहैया करा सकती है। अब यह सोचिए कि सुरेश कलमाडी और उनके राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पैनल ने एक ट्रेडमिल के किराए पर- एक बार फिर पढ़ लीजिए, किराए पर- वो भी केवल 45 दिनों के लिए कितना खर्च किया होगा? अगर आपको पता चले कि उन्होंने करदाताओं की कमाई के 9,75,000 रुपए केवल डेढ़ महीने के लिए एक ट्रेडमिल के किराए पर खर्च कर दिए, तो क्या आप ऐसी मशीन पर व्यायाम नहीं करना चाहेंगे?
अगर आप व्यायाम कर थक गए हों, तो शायद आप थोड़ा आराम भी करना चाहें। इसके लिए कलमाडी और उनके गैंग द्वारा किराए पर ली गई वे कुर्सियां कैसी रहेंगी, जिनकी हर पीस के लिए 8,378 रुपए चुकाए गए हों? और 100 लीटर के रेफ्रिजरेटर में रखे ठंडे ड्रिंक से तरोताजा होने का विचार तो और भी मजेदार है। वे रेफ्रिजरेटर, जिनकी हर इकाई के लिए कांग्रेस नेता कलमाडी और उनके साथियों ने 42,202 रुपए किराए के तौर पर चुकाए हैं।
कुर्सियों, ट्रेडमिलों और रेफ्रिजरेटरों के ये सौदे आम आदमी की सामान्य समझदारी से परे हैं। कलमाडी ने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया है और तर्क दिया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने जिन परियोजनाओं पर अंगुली उठाई है, उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान अस्थाई सेटअप की तैयारी के लिए किराए पर लिए गए ट्रेडमिल, कुर्सी और रेफ्रिजरेटर के सौदों पर कलमाडी की अंगुलियों के निशान हैं। ये सारे सौदे आयोजन समिति की ओर से किए गए हैं, जिसके अध्यक्ष कलमाडी हैं।
अस्थाई बुनियादी ढांचे के लिए कुल 650 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया गया है और इसके लिए चार कॉन्ट्रैक्टरों का चुनाव किया गया है। इनमें से तीन भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच साझा उपक्रम हैं। ईटी के पास मौजूद दस्तावेजों से पता चलता है कि इनमें सबसे बेहतरीन सौदा 230 करोड़ रुपए का है, जो पिको-दीपाली कंर्सोशियम को सौंपा गया है।
भारतीय साझेदार दीपाली डिजाइन एंड एग्जिबिट्स का गठन विनय मित्तल ने किया है, जो भाजपा के 'टेंटवाला' सुधांशु मित्तल के भतीजे हैं। आयोजन समिति को इन सौदों में कुछ भी गड़बड़ नहीं लगती। खेलों के प्रवक्ता और पैनल के सचिव ललित भनोट ने इसका कारण बताते हुए कहा, 'हमें आपूर्ति करने वाली एक कंपनी ने आश्वासन दिया है कि भारत में ऑफर की गई उनकी दरें लंदन 2012 ओलंपिक के लिए लिए गए उनके शुल्क से कम हैं।'
इसके अलावा भनोट और उनके सहयोगियों का तर्क है कि बहुत सारे नए उपकरण मुख्य स्टेडियम के लिए खरीदे गए हैं और दिल्ली 2010 के किराए पर दिए जा रहे हैं। भनोट के एक सहयोगी ने कहा, 'यह आपका घर फर्निश कराने जैसा है। पूरी परियोजना टर्नकी आधार पर सौंपी गई है और अलग-अलग उपकरणों पर मोलभाव नहीं किया गया है। हमने दो दौर की बातचीत की और जो भी छूट संभव थी, हमने हासिल की।'
बहुत से मामलों में दरों में भारी अंतर है। एक क्लस्टर में डीजल पावर का खर्च 15 रुपए प्रति यूनिट है, जबकि दूसरे क्लस्टरों में यह 80 रुपए प्रति यूनिट के भाव पर है। दो टन के एयर कंडीशनर का किराया 70,827 रुपए से लेकर 1,87,957 रुपए तक है। लिक्विड सोप डिस्पेंसर का खर्च कुछ क्लस्टरों में 200 रुपए है, जबकि कुछ में 10,000 रुपए से ज्यादा है। भनोट ने कहा कि यह अंतर इसलिए है कि इसमें बहुत सारी कंपनियां शामिल हैं और उनके उत्पादों की गुणवत्ता में अंतर है।
आयोजन समिति के कार्यकारी बोर्ड में शामिल भाजपा सांसद विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि उन्होंने 59 ट्रेडमिल, 59 क्रॉस ट्रेनर, दो टन के 110 एयर कंडीशनर जैसे प्रमुख अस्थाई ढांचे का इंतजाम सरकार की ओर से किए जाने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें बताया गया कि सरकार ने ऐसा करने में अपनी असमर्थता जताई है।'
सरकार के लिए, ऐसा लगता है कि अब प्राथमिकता भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटना नहीं, बल्कि शर्मिंदगी से बचना है। खेल मंत्री एम एस गिल भ्रष्टाचार के मसले पर बातचीत नहीं करना चाहते हैं और कलमाडी ने ईटी के फोन कॉल या भेजे गए टेक्स्ट मेसेज का कोई जवाब नहीं दिया। दिल्ली के मुख्य सचिव राकेश मेहता ने पूरे मामले से अपना हाथ झाड़ते हुए कहा कि अस्थाई ढांचे के लिए टेंडर आयोजन पैनल ने जारी किया था। सरकार की धमकी तो sun लो ek बार गेम to हो जाया फिर जनता को hi देखना hai
CWG : यहां एक छतरी का किराया है 6,308 रुपए
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रोहिणी सिंह
नई दिल्ली : अगर आपको फिटनेस का नशा है और आपको सबसे बेहतरीन ट्रेडमिल से कम पर संतोष नहीं है, तो लंदन की हैरोड्स
कंपनी आपको यह एक्सरसाइज मशीन केवल 10,000 पौंड यानी लगभग 7 लाख रुपए में मुहैया करा सकती है। अब यह सोचिए कि सुरेश कलमाडी और उनके राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पैनल ने एक ट्रेडमिल के किराए पर- एक बार फिर पढ़ लीजिए, किराए पर- वो भी केवल 45 दिनों के लिए कितना खर्च किया होगा? अगर आपको पता चले कि उन्होंने करदाताओं की कमाई के 9,75,000 रुपए केवल डेढ़ महीने के लिए एक ट्रेडमिल के किराए पर खर्च कर दिए, तो क्या आप ऐसी मशीन पर व्यायाम नहीं करना चाहेंगे?
अगर आप व्यायाम कर थक गए हों, तो शायद आप थोड़ा आराम भी करना चाहें। इसके लिए कलमाडी और उनके गैंग द्वारा किराए पर ली गई वे कुर्सियां कैसी रहेंगी, जिनकी हर पीस के लिए 8,378 रुपए चुकाए गए हों? और 100 लीटर के रेफ्रिजरेटर में रखे ठंडे ड्रिंक से तरोताजा होने का विचार तो और भी मजेदार है। वे रेफ्रिजरेटर, जिनकी हर इकाई के लिए कांग्रेस नेता कलमाडी और उनके साथियों ने 42,202 रुपए किराए के तौर पर चुकाए हैं।
कुर्सियों, ट्रेडमिलों और रेफ्रिजरेटरों के ये सौदे आम आदमी की सामान्य समझदारी से परे हैं। कलमाडी ने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया है और तर्क दिया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने जिन परियोजनाओं पर अंगुली उठाई है, उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान अस्थाई सेटअप की तैयारी के लिए किराए पर लिए गए ट्रेडमिल, कुर्सी और रेफ्रिजरेटर के सौदों पर कलमाडी की अंगुलियों के निशान हैं। ये सारे सौदे आयोजन समिति की ओर से किए गए हैं, जिसके अध्यक्ष कलमाडी हैं।
अस्थाई बुनियादी ढांचे के लिए कुल 650 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया गया है और इसके लिए चार कॉन्ट्रैक्टरों का चुनाव किया गया है। इनमें से तीन भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच साझा उपक्रम हैं। ईटी के पास मौजूद दस्तावेजों से पता चलता है कि इनमें सबसे बेहतरीन सौदा 230 करोड़ रुपए का है, जो पिको-दीपाली कंर्सोशियम को सौंपा गया है।
भारतीय साझेदार दीपाली डिजाइन एंड एग्जिबिट्स का गठन विनय मित्तल ने किया है, जो भाजपा के 'टेंटवाला' सुधांशु मित्तल के भतीजे हैं। आयोजन समिति को इन सौदों में कुछ भी गड़बड़ नहीं लगती। खेलों के प्रवक्ता और पैनल के सचिव ललित भनोट ने इसका कारण बताते हुए कहा, 'हमें आपूर्ति करने वाली एक कंपनी ने आश्वासन दिया है कि भारत में ऑफर की गई उनकी दरें लंदन 2012 ओलंपिक के लिए लिए गए उनके शुल्क से कम हैं।'
इसके अलावा भनोट और उनके सहयोगियों का तर्क है कि बहुत सारे नए उपकरण मुख्य स्टेडियम के लिए खरीदे गए हैं और दिल्ली 2010 के किराए पर दिए जा रहे हैं। भनोट के एक सहयोगी ने कहा, 'यह आपका घर फर्निश कराने जैसा है। पूरी परियोजना टर्नकी आधार पर सौंपी गई है और अलग-अलग उपकरणों पर मोलभाव नहीं किया गया है। हमने दो दौर की बातचीत की और जो भी छूट संभव थी, हमने हासिल की।'
बहुत से मामलों में दरों में भारी अंतर है। एक क्लस्टर में डीजल पावर का खर्च 15 रुपए प्रति यूनिट है, जबकि दूसरे क्लस्टरों में यह 80 रुपए प्रति यूनिट के भाव पर है। दो टन के एयर कंडीशनर का किराया 70,827 रुपए से लेकर 1,87,957 रुपए तक है। लिक्विड सोप डिस्पेंसर का खर्च कुछ क्लस्टरों में 200 रुपए है, जबकि कुछ में 10,000 रुपए से ज्यादा है। भनोट ने कहा कि यह अंतर इसलिए है कि इसमें बहुत सारी कंपनियां शामिल हैं और उनके उत्पादों की गुणवत्ता में अंतर है।
आयोजन समिति के कार्यकारी बोर्ड में शामिल भाजपा सांसद विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि उन्होंने 59 ट्रेडमिल, 59 क्रॉस ट्रेनर, दो टन के 110 एयर कंडीशनर जैसे प्रमुख अस्थाई ढांचे का इंतजाम सरकार की ओर से किए जाने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें बताया गया कि सरकार ने ऐसा करने में अपनी असमर्थता जताई है।'
सरकार के लिए, ऐसा लगता है कि अब प्राथमिकता भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटना नहीं, बल्कि शर्मिंदगी से बचना है। खेल मंत्री एम एस गिल भ्रष्टाचार के मसले पर बातचीत नहीं करना चाहते हैं और कलमाडी ने ईटी के फोन कॉल या भेजे गए टेक्स्ट मेसेज का कोई जवाब नहीं दिया। दिल्ली के मुख्य सचिव राकेश मेहता ने पूरे मामले से अपना हाथ झाड़ते हुए कहा कि अस्थाई ढांचे के लिए टेंडर आयोजन पैनल ने जारी किया था। सरकार की धमकी तो sun लो ek बार गेम to हो जाया फिर जनता को hi देखना hai
एक जोड़ी जूता
कल सन्डे को पूरा दिन घर पर रहकर छुट्टी का पूरा आनंद लिया तेलेविसिओं पर एक बहुत ही gउद एक मूवी आ रही थी कुछ समय देखी बहुत ही मार्मिक कहानी थी एक जोड़ी जूता के खातिर भाई नै क्या नहीं क्या मूवी का नाम है बम बम bholai kabhi समय milay to deekhana -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------एक जोड़ी जूता का कहानी बम बम bhola -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
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