Monday, October 21, 2013

सावधान सावधान सावधान ....

सावधान ! सावधान ! सावधान !

कांग्रेस की सरकार लिखित रूप से हिन्दुओ को आतंकवादी बनाना चाहती है ....कुछ सेक्युलर कीड़ो के सहयोग से 

मित्रो साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विरोधी विधेयक नाम का शैतानी फरमान संसद के शीत सत्र में फिर से आ सकता है । सरकार ने इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं, एक केंद्रीय मंत्री ने इस विधेयक को शीत सत्र में ही पेश करने की वकालत की है । केंद्रीय गृह मंत्री शिंदे ने भी कहा है कि इस विधेयक को आगे बढाने का काम शुरू हो चुका है । 

हिन्दुस्थान के इतिहास में इससे बड़ा शैतानी फरमान शायद औरंगजेब, बाबर, चंगेश खान, जयचंद जैसे राक्षसों के समय में भी नहीं आया होगा , ऐसा मुझे लगता है ।

मित्रो जो लोग इस विधेयक के निर्माता, समर्थक या चाहने वाले हैं वे 100 % शैतान हैं, वे हिन्दुस्थान की उपज तो हो नहीं सकते ।

ये लोग कभी देश और समाज के हित में भी सोचते होंगे , ये संभव नहीं । देश के अहित में सोचना तो इनका 'धर्म' है ।

मित्रो इस कथित विधेयक ( वास्तव में शैतानी फरमान ) का इतना विरोध होना चाहिए कि ये शैतान उसे संसद के पावन पटल पर रखने का दुस्साहस न कर सकें ।


जय बाबा बनारस.....

Thursday, October 17, 2013

हम सेक्युलर ....है

अपनी संस्कृति को विकृत बनाने के लिए सबसे पहला हमला हम हिन्दू ही करते हैं .. जिससे लोग हमको समझदार और बुद्धिजीवी कह सकें....किसी भी संत.. अथवा पूज्य पर नकारात्मक टिप्पड़ी करने वाले कृपया पहले सभी तथ्यों को जान लें.. तब अपना ज्ञान बघारें.. और मजे की बात ये है कि यहीं बुद्धिजीवी जमीन के अन्दर दबे हुए एक सड़े हुए शव की मजार पर मत्था टेकते दिखाई देते हैं ..


सबसे पहले कुछ सेक्युलर कीड़े इस काम की सुरुआत करते है और बाद मैं अपने ही धरम और धरम के लोगो की बुराई करते है अगर सेक्युलर कीड़ो को हिन्दू धरम इतना ही बुरा लगता है तो अपना धरम बदल कर जो धरम उनको अच्छा लगत है उस धरम को अपना कर फिर उस धरम की बुराई करे ....उस दिन पता लगेगा की हिन्दू धरम कितना बुरा है .....

हम सेक्युलर नहीं है ...

जय बाबा बनारस ....

Sunday, October 13, 2013

टोपीबाज़ ....



सोशल मीडिया का जवाब नहीं ..केजरीवाल की ऐसी पोल खोली कि कल 'आपकी अदालत' में रजत शर्मा को भी वो मुद्दे उठाने ही पड़े जो पिछले 1 महीने से सोशल मीडिया में छाये हुए हैं.
सबसे पहले तो केजरीवाल ने सारे Opinion Polls को Fraud कहा तो रजत शर्मा बोले - 'अच्छा, मतलब जो सर्वे आपको ज्यादा सीट्स दिखाए वो सही, बाकी सारे Fraud ? और वो सही भी वो survey जो आपके खुद के सहयोगी योगेन्द्र यादव ने किया है.'

फिर केजरीवाल corruption के खिलाफ जोर जोर से बोलने लगा, तो रजत शर्मा ने उत्तम नगर से AAP के उम्मीदवार और 'राशन माफिया' के नाम से बदनाम देशराज राघव की पोल खोल दी..
केजरीवाल बोला- 'क्या सबूत है?'
रजत शर्मा बोले: 'ये देखो RTI.'
और तो और, उन्होंने वो पोल भी खोली जिसके बारे में मैंने भी एक पोस्ट डाली थी कि किस तरह से देशराज राघव 4 साल पहले परलोक सिधार चुके अपने पिताजी की पेंशन आज तक खा रहा है.

इतना ही नहीं, रजत शर्मा ने AAP के और भी कई उम्मीदवारों का नाम बताया जो दागी हैं..इस सब के बाद भी जब ये बेशर्म अपने प्रत्याशियों को defend करता रहा, तो रजत शर्मा ने कहा: 'अपने उम्मीदवारों को खुद कौन भ्रष्ट मानता है ? DMK A.राजा को भ्रष्ट नहीं मानती, कांग्रेस कलमाड़ी को भ्रष्ट नहीं मानती..आप भी उनके ही कदम पर चल रहे हैं और अपने भ्रष्ट नेताओं को Defend कर रहे हैं.'
केजरीवाल बोला- 'One sided Proof हैं, आप मुझे पहले बताते तो मैं भी तैयार हो के आता.'
रजत शर्मा बोले- 'वाह, ये मैं पहली बार देख रहा हूँ कि कोई ऐसा कह रहा है कि पहले ही प्रश्न बता देते, फिर शो में बुलाते..जब आप किसी पर आरोप लगाने के लिए Pres Conference करते हैं तब क्या उस शख्स को call करके पहले बता देते हैं कि मैं ये आरोप लगाने जा रहा हूँ ?'

टोपीबाज़ की शक्ल देखने लायक थी ..एक दम से घिघियाने लगा..
दरअसल अब तक तो सारे TV channels दूसरो को गाली देने के लिए ही इसे बुलाते थे तो ये खूब खुश रहता था. लेकिन पहली बार जब इस से खुद से ठीक तरह से प्रश्न पूछने के लिए बुलाया गया, तो असलियत चेहरे पे पढ़ी जा सकती थी.
जिस समय ये मिमियाँ रहा था, रजत शर्मा ने कहा- 'देखिये केजरीवाल जी, आप सब को भ्रष्ट कह के खुद राजनीति में आये और अब भ्रष्टाचारियों को टिकट दे रहे हैं तो प्रश्न तो पूछे ही जायेंगे, आप को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए.'

कुल मिलाकर कल का शो देखने लायक था ...आज रात को repeat होगा, सब देखना..
बेचारे टोपी के अंधभक्त तो फेसबुक पर इस शो का प्रचार करने में लगे हुए थे लेकिन शायद अब कहेंगे कि - 'India TV का बहिष्कार करो.""


जय बाबा बनारस....

Wednesday, October 9, 2013

“हलाल” का माँस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यतायें प्रभावित होती हैं।

भारत के मुसलमानों आजकल किस %मैं है ....और यहाँ का मुसलमान सही तरह से पाने धरम का पालन कर रहा है की नहीं ......
मुस्लिम पोपुलेशन- --जब तक मुस्लिमों की जनसंख्या किसी देश/प्रदेश/क्षेत्र में लगभग 2% के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसन्द अल्पसंख्यक बनकर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते, जैसे -

अमेरिका – मुस्लिम 0.6%

ऑस्ट्रेलिया – मुस्लिम 1.5%

कनाडा – मुस्लिम 1.9%

चीन – मुस्लिम 1.8%

इटली – मुस्लिम 1.5%

नॉर्वे – मुस्लिम 1.8%

जब मुस्लिम जनसंख्या 2% से 5% के बीच तक पहुँच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलम्बियों में अपना “धर्मप्रचार” शुरु कर देते हैं, जिनमें अक्सर समाज का निचला तबका और अन्य धर्मों से असंतुष्ट हुए लोग होते हैं, जैसे कि –

डेनमार्क – मुस्लिम 2%

जर्मनी – मुस्लिम 3.7%

ब्रिटेन – मुस्लिम 2.7%

स्पेन – मुस्लिम 4%

थाईलैण्ड – मुस्लिम 4.6%

मुस्लिम जनसंख्या के 5% से ऊपर हो जाने पर वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना “प्रभाव” जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिये वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर “हलाल” का माँस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि “हलाल” का माँस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यतायें प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में “खाद्य वस्तुओं” के बाजार में मुस्लिमों की तगड़ी पैठ बनी। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्केट के मालिकों को दबाव डालकर अपने यहाँ “हलाल” का माँस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी “धंधे” को देखते हुए उनका कहा मान लेता है (अधिक जनसंख्या होने का “फ़ैक्टर” यहाँ से मजबूत होना शुरु हो जाता है), ऐसा जिन देशों में हो चुका वह हैं –

फ़्रांस – मुस्लिम 8%

फ़िलीपीन्स – मुस्लिम 6%

स्वीडन – मुस्लिम 5.5%

स्विटजरलैण्ड – मुस्लिम 5.3%

नीडरलैण्ड – मुस्लिम 5.8%

त्रिनिदाद और टोबैगो – मुस्लिम 6%

इस बिन्दु पर आकर “मुस्लिम” सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके “क्षेत्रों” में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाये (क्योंकि उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व “शरीयत” कानून के हिसाब से चले)। जब मुस्लिम जनसंख्या 10% से अधिक हो जाती है तब वे उस देश/प्रदेश/राज्य/क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिये परेशानी पैदा करना शुरु कर देते हैं, शिकायतें करना शुरु कर देते हैं, उनकी “आर्थिक परिस्थिति” का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़फ़ोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ़्रांस के दंगे हों, डेनमार्क का कार्टून विवाद हो, या फ़िर एम्स्टर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है, जैसे कि –

गुयाना – मुस्लिम 10%

इसराइल – मुस्लिम 16%

केन्या – मुस्लिम 11%

रूस – मुस्लिम 15% (चेचन्या – मुस्लिम आबादी 70%)

जब मुस्लिम जनसंख्या 20% से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न “सैनिक शाखायें” जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरु हो जाता है, जैसे-

इथियोपिया – मुस्लिम 32.8%

भारत – मुस्लिम 22%

मुस्लिम जनसंख्या के 40% के स्तर से ऊपर पहुँच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याऐं, आतंकवादी कार्रवाईयाँ आदि चलने लगते हैं, जैसे –

बोस्निया – मुस्लिम 40%

चाड – मुस्लिम 54.2%

लेबनान – मुस्लिम 59%

जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो जाती है तब अन्य धर्मावलंबियों का “जातीय सफ़ाया” शुरु किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है, जैसे –

अल्बानिया – मुस्लिम 70%

मलेशिया – मुस्लिम 62%

कतर – मुस्लिम 78%

सूडान – मुस्लिम 75%

जनसंख्या के 80% से ऊपर हो जाने के बाद तो सत्ता/शासन प्रायोजित जातीय सफ़ाई की जाती है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है, सभी प्रकार के हथकण्डे/हथियार अपनाकर जनसंख्या को 100% तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है, जैसे –

बांग्लादेश – मुस्लिम 83%

मिस्त्र – मुस्लिम 90%

गाज़ा पट्टी – मुस्लिम 98%

ईरान – मुस्लिम 98%

ईराक – मुस्लिम 97%

जोर्डन – मुस्लिम 93%

मोरक्को – मुस्लिम 98%

पाकिस्तान – मुस्लिम 97%

सीरिया – मुस्लिम 90%

संयुक्त अरब अमीरात – मुस्लिम 96%

बनती कोशिश पूरी 100% जनसंख्या मुस्लिम बन जाने, यानी कि दार-ए-स्सलाम होने की स्थिति में वहाँ सिर्फ़ मदरसे होते हैं और सिर्फ़ कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही अन्तिम सत्य माना जाता है, जैसे –

अफ़गानिस्तान – मुस्लिम 100%

सऊदी अरब – मुस्लिम 100%

सोमालिया – मुस्लिम 100%a

यमन – मुस्लिम 100%

आज की स्थिति में मुस्लिमों की जनसंख्या समूचे विश्व की जनसंख्या का 22-24% है, लेकिन ईसाईयों, हिन्दुओं और यहूदियों के मुकाबले उनकी जन्मदर को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस शताब्दी के अन्त से पहले ही मुस्लिम जनसंख्या विश्व की 50% हो जायेगी (यदि तब तक धरती बची तो)… भारत में कुल मुस्लिम जनसंख्या 15% के आसपास मानी जाती है, जबकि हकीकत यह है कि उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल के कई जिलों में यह आँकड़ा 60 से 80% तक पहुँच चुका है… अब देश में आगे चलकर क्या परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी (“सेकुलरों” को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता है…

(सभी सन्दर्भ और आँकड़े : डॉ पीटर हैमण्ड की पुस्तक “स्लेवरी, टेररिज़्म एण्ड इस्लाम – द हिस्टोरिकल रूट्स एण्ड कण्टेम्पररी थ्रेट तथा लियोन यूरिस – “द हज”, से साभार)

Friday, October 4, 2013

आप सभी को नव् रात्रि की बधाइयाँ।।

आप सभी को नव् रात्रि की बधाइयाँ।।
मां दुर्गा अपने प्रथम स्वरूप में शैलपुत्री के रूप में जानी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण इन्हें शैल पुत्री कहा गया। भगवती का वाहन बैल है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। अपने पूर्व जन्म में यह सती नाम से प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था। नव दुर्गाओं में शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं। नवरात्र के दौरान प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा व उपासना की जाती है।
वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्।।
पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पहले स्वरूप में मां पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में विराजमान हैं। नंदी नामक वृषभ पर सवार शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया। इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक माना जाता है। दुर्गम स्थलों पर स्थित बस्तियों में सबसे पहले शैलपुत्री के मंदिर की स्थापना इसीलिए की जाती है कि वह स्थान सुरक्षित रह सके।
 
जय बाबा बनारस.....