Thursday, April 28, 2011

मुझे मेरी बीवी से बचाओ........


तुर्कमान गेट निवासी इमरान मेहनत-मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करता है। उसकी दस वर्ष पहले शादी हुई थी और उसके चार बच्चे हैं। इमरान का कहना है कि बीवी सलमा उसके साथ मारपीट इसलिए करती है, क्योंकि वह उसे फिल्म दिखाने के लिए सिनेमाघर नहीं ले जा पाता। चार बच्चों के अलावा मियां-बीवी का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। कई बार तो वह सिर्फ इसलिए कई-कई दिन तक गायब रही क्योंकि वह सिनेमा दिखाने से लेकर बाजार से उसके मन मुताबिक कपड़े नहीं दिला सका था। अब ये सब बर्दाश्त से बाहर हो गया है। 

मुझे मेरी बीवी से बचाओ..

यह आज की आधुनिक नारी है .............और एक और नारी आज कल चर्चा मैं है पूनम ......जो की.......
जय बाबा बनारस 

Wednesday, April 27, 2011

आज की नारी समाज पर भारी ..........

नारी ही नारी दुश्मन यह बात सर्वथा सत्य है अब यह कथन कुछ लोगो को नागवार गुजर सकता है की नारी नारी की दुश्मन कैसे हो सकती है? कर्कशा नारी क्या आप सब को प्रिय लगती है ?

एक सुंदर सी बात आप को बताते है  - जब आप की शादी किसी नारी (जाहिर है) से होती है और आपके घर में  उसका आना होता है तब सब लोग उसका सम्मान करते है. कुछ समय के बाद वही नारी आपकी माँ, बहन, दादी व बुआ इत्यादि का वर्णन आप के सामने ऐसे करती है की - ताउम्र का प्यार मिनट में भुला कर आप पुरे परिवार के दुश्मन हो जाते हो. 

और कुछ समय के बाद आप को एकाकी देख कर आपके उपर अधिकार जताती है व ऐसे परिस्तिती बना देती है की आप उन नारी (धर्मपत्नी) या फिर अपने परिवार में से एक को चुनना पढता है. उस पर भी तुर्रा ये की यह  अब आप क्या कर सकते है. मरता क्या न करता - घर परिवार से बहार - जो कमाओ उसी नारी को दिए जाओ. और वो आपको लेकर अपने मायके में मस्त..... कुछ खरीदना है तो साली सासू या फिर साले के लिए खरीदों नहीं तो रात को खाना बहार खाओ और दारू पीकर गलियों में भटको.

अत: परिणाम यही है :
मोडर्न नारी - पुरे समाज पर भारी 
यह है आज की सबसे बड़ी बीमारी

नर और नारी के बिना सृष्टि अधूरी है..... खुद महादेव ने अर्धनारिएश्वर का रूप धर का मानव जाती को चेताया है.... और काली मैया के आगे तो नत मस्तक हुए है. बेचारे समझ गए होंगे - आज के नर की क्या औकात जो इनको आँखे दिखाए........

ये भी सत्य है की आदमी के अंदर नारी के १०% गुण आ जाए तो आदमी देवता तुल्य हो जाता है  और नारी के अंदर १०% गुण  आदमी के हो जाये तो वह डायन हो जाती है कुलटा  हो जाती है. 

भारत में नारी सदा से सम्मान  की पात्र रही है इतिहास  इस बात का गवाह रहा है , परन्तु आजकल मोडर्न ज़माने में औरत नारी के आजादी के नाम पर बस कुतर्क करना जानती है - उसमे रचनात्मक शक्ति का ह्रास होता जा रहा है. 

क्या यह कथन सत्य है ?
जय बाबा बनारस 

Monday, April 25, 2011

नाम कुछ मतलब कुछ .......

आज आप सब को गुड friday के उपर एक वाकया बताते है नाम कुछ मतलब  कुछ 
एक हमारे परम मित्र है वह अपने साथ हुआ वाकया बताते है 

श्रीमान जी एक कंपनी मैं नौकरी करते थे कंपनी मैं हिन्दू ,मुसलमान,सिख,सभी धर्मो के लोग 
काम करते है आज कल चलन है जब ईद है तो ईद मुबारक ,दीवाली है तो दीवाली की बधाई ,होली है तो होली की बधाई ,बैसाखी ही तो बैसाखी की बधाई क्रिसमस है तो क्रिसमस की बधाई सब लोग मिलजुल कर आपस मैं एक दुसरे को बधाई  का आदान-प्रदान आपस मैं करते है 

एक बार किया हुआ हमारे मित्र ने अपने एक मित्र को गुड फ -रई-डे- की बधाई हैप्पी गुड  फ -रई-डे- का स म स 
अपने मित्र को कर दिया अब आगे का वाकया आप लोग खुद समझ सकते है की किया हुआ होगा ......

बाद मैं हमारे मित्र को जब पता लगा की इसका मतलब किया है तब उनहोने जाकर माफ़ी मागी तब जाकर बात रफा दफा हुयी लकिन आज तक दोनों मैं बोलचाल नहीं है ........यह घटना काम से काम बीस साल पुरानी है तभी कहना है नाम कुछ मतलब  कुछ ......

जय बाबा बनारस.......

Saturday, April 23, 2011

रिश्वत लेना पाप है रिश्वत देना पाप नहीं है

रिश्वत लेना पाप है रिश्वत देना पाप नहीं है अगर आप किसी को रिश्वत देते है तो कोइए पाप नहीं करते है 

अगर आप रिश्वत लेते है ..तब आप कुछ...........करते है .
अगर बुराई है तो रिश्वत लेने मैं बस रिश्वत लेना बंद कर दे तो समझ ले आधा काम तो आप का अपने आप ही हो गया ,रिश्वत लेना पाप है रिश्वत देना पाप नहीं है..........................................

जय बाबा बनारस.........

Tuesday, April 19, 2011

आप सुविधा शुल्क अपने काम को करने के लिया दे जरुर

बाबा जय गुरु देव का एक नारा है हम बदल गए तो युग बदल गया 
बिलकुल सही नारा है अगर भारत का हर आदमी अपने को कुछ बदल ले तो 
पूरा का पूरा भारत बदल गया समझो इस समाज मैं कुछ विसंगति है उनको बदलने के लिए 
अपने आप को बदलना होगा बस एक छोटा सा काम करना है ...................................

आप सुविधा शुल्क अपने काम को करने के लिया दे जरुर ............क्या कह दिया ........बिलकुल सही कहा है 

लेकिन अगर आप किसी अईसे किसी पद है जहाँ पर आप किसी काम ईमानदारी से करते है तो आप पूरी पूरी ईमान दारी से करे बस एक काम करे ............आप सुविधा शुल्क  न ले ...धीरे धीरे सब कुछ पटरी पर आ जायेगा.....
अगर कुछ गलत कहा हो आप कुछ सुधार कर सकते है ...........

जय बाबा बनारस....................

Friday, April 15, 2011

इमानदारी......

आप अपना काम पूरी इमानदारी से करे बाकी दुनिया को बेईमानी करने दे  - दुनिया को मत रोकें., हाँ अपने कार्य में कोई कोताही न हो.... पूर्णत: इमानदारी हो , सफलता जरूर मिलेगी.... अगले ही दिन परिणाम नज़र आने लगेगे ...  ये बात में अपने अनुभव से कह रहा हूँ, कई बार मन में कोई छोटा-मोटा लालच आ जाता है - उसकी परिणिति होती है - बड़े नुक्सान के साथ. अत: अपने कार्य शेत्र में इमानदारी होनी चाहिए....... और तो और ये भी कहा जाता है की बेईमानी की दुनिया भी इमानदारी के साथ चलती है.  

Sunday, April 10, 2011

मजबूरी की पहली सीढ़ी ही भ्रष्टाचार की जननी है

मजबूरी की पहली सीढ़ी ही भ्रष्टाचार की जननी है .
आप लोग कहेगे  की किया लिख दिया  ........पागल हो गया है क्या........यह एक कटु सत्य है ....
जय से हम लोगो का रोज  कही न कही पला पड़ता है -------आप कहे गे की कहा....
एक उधाहरण  है .....
आप घर से निकल कर कही जा रहे है  आप ने रिक्शा करना है बच्चे आप के साथ है 
या कुछ भरी सामान आप के पास है आप ने रिक्शा वाला को बुलाया  यहाँ चलाना है ..
वो कहगा ठीक है आप ने पूछा क्या लेना है  ....जो वाजिब होगा कम से कम उस से बहुत जयादा एक रिक्शा वाला आप से पैसे  की डिमांड  उसकी होगी ....और यही से शुरु होती है .....मजबूरी की पहली सीढ़ी ही भ्रष्टाचार की जननी है ....
आप उस समय मजबूर होगे  आप को उसकी नाजायज  मांग   -----होगी  यह पहला कदम होती है 
यही वाक्या आप को रेलवे स्टेशन पर देखना  पड़ता है .......एहा से यह सब शुरु होता है ...और अंत मैं कहा ख़तम होता है यह हम सब जानते है .....अब मानसिकता ही आइसे हो तब एक अन्ना   ..किया कर सकता है ..........इसका सिर्फ एक हल है .......

जय बाबा बनारस.....

Tuesday, April 5, 2011

भ्रष्टाचार रहित भारत।क्या आप साथ है .....?


15 जून 1938 को महा- रास्ट्र के अहमदनगर  के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे। दादा फौज में। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। वैसे अन्ना के पुरखों का गांव अहमद नगर जिले में ही स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के छह भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया।
छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई। यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे। इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक बुकलेट 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा। 1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। चट्टान पर बैठकर गांव को सुधारने की बात सोचते रहते।
जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर डट गए। उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी। उन्होंने अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का रामराज है। गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं : भ्रष्टाचार रहित भारत।क्या आप साथ है .....?

जय बाबा बनारस......

Monday, April 4, 2011

सपने हमेशा अपने होते है

इस दुनिया मैं बहुत कम लोग ही अपने बचपन मैं देखा हुआ सपना पूरा कर पाते है जो पूरा कर लेते है वह दुनिया मैं एक अलग ही मुकाम रखते है सपना जरुर देखना चाहिए कभी कभी सपने सच होते है एक बार एक बच्चे ने एक सपना देखा था की वर्ल्ड कप को वह अपने हाथ मैं होगा ----

सचिन  ने कहा कि जब मैं बच्चा था तो मैं इस सपने के साथ बड़ा हुआ कि एक दिन विश्व कप हाथ में उठाऊंगा . इसके साथ मेरे कैरियर में कई चीजें हुए और मैं इन सबके लिये बहुत खुश हूं.
भारत की वर्ल्ड कप में ऐतिहासिक जीत के बाद कोई भी सचिन तेंदुलकर के भावुकता को देख सकता है जो अपने बचपन के सपने के सच हो जाने से बेहद खुश थे.
सपने सच होने की खुशी जिस के सपने पुरे होते है वही बता   सकता है 
सपने हमेशा अपने होते है ----अपने बेशक अपने न हो ---लेकिन सपना अपना होता है