Thursday, August 12, 2010

गन्दी दुनिया के गंदा लोग

आज की दुनिया मैं लोगो की नज़र कुछ अच्छा सोचने की नहीं है न तो खुद अच्छा सोचते है न ही दूसरो को अच्छा सोचना देता है आज के औरत आदमी के साथ हर काम करती है लकिन सोचती आज भी आदिम युग के तरह है आज एक लेख पढ़ा-------हमारे समाज मे
कुछ काम ऐसे होते हैं
जिन्हें करते सभी हैं
या करना चाहते हैं
पर उनके बारे में
बातें करना गंदी बात है,
कुछ काम ऐसे हैं
जिन्हें कोई नहीं करना चाहता है,
उनके बारे में...
सिर्फ बातें होती हैं
योजनाएं बनती हैं,
...
गंदी बातों की अजब ही फिलासफ़ी है
प्रैक्टिकल की बात करते हैं लोग
चटखारे ले-लेकर,
पर, थियरी की बातें करना गंदी बात है,
सावधानी की बात करना बुरा है
पर भूल हो जाने पर...
खबर बन जाती है
फतवे जारी होते हैं
नियम बनाए जाते हैं
उन पर गर्मागर्म बहसें होती हैं,
...
गंदी बातों की एक और खास बात है
कि उनमें औरतें ज़रूर होती हैं,
बिना औरतों के
कोई बात गन्दी नहीं हो सकती,
क्योंकि समाज में फैली हर गंदगी
औरतों से जुड़ी होती है,
फिर उसे फैलाया किसी ने भी हो...
...
आज़ाद औरत सबसे बड़ी गंदगी है,
वो हंसकर बोले तो बदचलन
न बोले तो खूसट कहलाती है,
पर वो...
सामान्य व्यक्ति कभी नहीं हो सकती है,
अकेले रहने वाली हर औरत
एक गंदी औरत है
और उसके बारे में
सबसे ज्यादा गंदी बातें होती हैं... ............................................................................../////////////////.
औरत कब आजाद नहीं थी औरत की मानसिकता गुलामी के हो तो हम आप क्या कर सकता है सीता गुलाम थी, कुंती , द्रौपदी,गुलाम थी ,रज़िया सुल्तान सब गुलाम थी-आज के सोनिया गाँधी ----यह सब किस का प्रतीक है

11 comments:

  1. मिश्रा जी जिसकी रचना आपने उद्धृत की है उसका नाम और लिंक तो देना चाहिए। आप अपना विरोध उनके ब्लाग में भी कमेन्ट करके कर सकते थे ।

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  2. आदरणीय कौशल मिश्र जी, आपने मेरी कविता सीधे-सीधे उठाकर यहाँ छाप दी और लिंक भी नहीं दिया. क्या आप जानते हैं कि ये कापीराईट एक्ट का उल्लंघन है? आपको अगर मेरे विचारों से विरोध है और आप उसकी आलोचना करना चाहते हैं तो आप वहाँ टिप्पणी में कर सकते हैं, जो कि आपने किया भी है. इसके अतिरिक्त आप उस पर अलग से एक पोस्ट लिखकर उस कविता का लिंक दे सकते थे. पर आपने तो मेरा नाम लिए बिना पूरी कविता पोस्ट कर दी.
    खैर आप चिंता मत कीजिये. मैं आप पर कोई मुकदमा करने नहीं जा रही हूँ, पर ये जो भी आपने किया वो उचित नहीं है.

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  3. मुक्ति जी, कौशल जी ने आपकी कविता अपने ब्लॉग पर छाप दी. इससे पहले भी, जो लेख, कविता इनको अच्छी लगती है - अपने ब्लॉग पर लगा देते हैं - हमने कभी बुरा नहीं माना, पर आपकी बात सही है की ब्लॉग का लिंक दिया होता. ये कौशल जी से गलती हुई है - मेरा भी मानना है. परन्तु नया ब्लॉग है और ब्लॉगर के नए शौंक है और ब्लॉग जगत की रीत-नीत - धीरे धीरे पता चलेगी - ऐसा मेरा विचार है. अच्छा किया आपने ऐतराज़ जता दिया. बहरलहाल कविता अच्छी बनी है - शुभ कामनाएं .

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  4. अपने विचार रखने का सबको हक है ..परन्तु किसी की रचना छापने से पहले रचनाकार से स्वीकृति लेनी या उसके नाम का उल्लेख तो किया जाना चाहिए .

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  5. रचना छापने से पहले रचनाकार से स्वीकृति लेनी या उसके नाम का उल्लेख किया जाना वह सामान्य शिष्टाचार है जिसको निभाना चाहिए, साहित्यिक चोरी के आरोप से बचे रह सकने के लिए।
    आशा है आप भविष्य में ध्यान देंगे।

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  6. मिश्र जी, मुझे लगता है शायद आराधना ने आपकी कविता अपने ब्लॉग पर आपसे कई दिनों पहले ही लगा ली थी. आप एक कमेन्ट करके सभी को यह बता दें.

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  7. क्या इस साहित्यिक चोरी का विरोध करने का कोई फायदा होने वाला है? मुझे तो नहीं लगता.. इन पर किसी भी कमेन्ट का कोई असर होता अभी तक तो नहीं दिख रहा है..

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  8. मिश्र जी का जवाब अभी तक अपेक्षित है ... ???!!!

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  9. yeh galat hai, bewkoof banane ki koshish ki jaa rahi hai, post writer itna giar-jimmedar !!!

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  10. भाइयों-मित्रों और दोस्तों, बहुत बहुत आभार, इसी बहाने सही - हमारे ब्लॉग पर तो आये. दूसरी बात - जैसे दीपक बाबा ने कहा नए ब्लॉगर हैं - सिखाएंगे तो आप ही. आयेंदा से लिंक लगा देंगे.
    पहेले तो मुक्ति जी से क्षमा मांगता हूँ - मेरे इस कार्य से उनको ठेस पहुंची. मुझे किसी मुकद्दमे में नहीं फसाया - इसके लिए शुक्रिया. में ब्लॉग जगत में किसी के ह्रदय को ठेस पहुँचाने नहीं आया.

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  11. गंदी बातों की एक और खास बात है
    कि उनमें औरतें ज़रूर होती हैं,
    बिना औरतों के
    कोई बात गन्दी नहीं हो सकती,
    क्योंकि समाज में फैली हर गंदगी
    औरतों से जुड़ी होती है,
    ..aur jo gandagi aadmi sadiyon se failata aara raha hai uske liye kaun likhega kaun kahega? sadiyon se aurat ko hi mohra banaya gaya hai.. aur wah bhi aadmi jaat ne!

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