Tuesday, April 30, 2013

अंतरराष्ट्रीय मजबूर दिवस'

डॉ मनमोहन सिंह की दुनिया-भर में फैलती जा रही लोकप्रियता को देखते हुए
 नागरिकों के सैकड़ों संगठनों ने एक स्वर में मांग की है
 कि 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस' की तर्ज़ पर 
डॉ सिंह के सम्मान में 'अंतरराष्ट्रीय मजबूर दिवस' भी मनाया जाना चाहिए...

डॉ मनमोहन सिंह की दुनिया-भर में फैलती जा रही और लोकप्रिय लोगो के नाम से डाक टिकट ,सडको के नामकरण,और कोई पुरस्कार सरकार सुरु  करती है जयंती मनाई जाती है कुछ दिवस सुरु किये जाते है जैसे एक मजदूर  दिवस है आप सब लोग जानते है  कुछ लोगो को यह सब सम्मान जीते जी मिल जाता है और कुछ लोगो को मरणोपरांत दिया जाता है 
डॉ सिंह के सम्मान में 'अंतरराष्ट्रीय मजबूर दिवस' भी मनाया जाना चाहिए..
जय बाबा बनारस .....

Monday, April 29, 2013

"आगामी चुनावी स्टेशन

एक सज्जन बनारस पहुँचे। स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया
‘‘मामाजी ! मामाजी !’’—लड़के ने लपक कर चरण छूए।
वे पहचाने नहीं। बोले—‘‘तुम कौन ?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’ ‘
‘मुन्ना ?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी !
खैर, कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।’’ ‘मैं आजकल यहीं हूँ।’’
‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’

मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने लगे। चलो, कोई साथ तो मिला। कभी इस मंदिर, कभी उस मंदिर। फिर पहुँचे गंगाघाट। बोले कि सोचा रहा हूँ , नहा लूँ ‘‘जरूर नहाइए मामाजी ! बनारस आये हैं और नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’

मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर गंगे। बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े गायब !
लड़का...मुन्ना भी गायब !
‘‘मुन्ना...ए मुन्ना !’’
मगर मुन्ना वहां हो तो मिले। वे तौलिया लपेट कर खड़े हैं।
‘‘क्यों भाई साहब, आपने मुन्ना को देखा है ?’’ ‘‘कौन मुन्ना ?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’
लोग बोले ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’

वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे। मुन्ना नहीं मिला।

** ठीक उसी प्रकार ........
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के नाते हमारी यही स्थिति है मित्रो !
चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे चरणों में गिर जाता है। मुझे नहीं पहचाना मैं चुनाव का उम्मीदवार। होने वाला एम.पी.।
मुझे नहीं पहचाना ........?

आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।
समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े हैं।

सबसे पूछ रहे हैं —क्यों साहब, वह कहीं आपको नज़र आया ? अरे वही, जिसके हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।
पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट पर खड़े बीत जाते हैं।.......

"आगामी चुनावी स्टेशन पर ........
भांजे आपका इंतज़ार करेंगे..

जय बाबा बनारस ....
साभार http://www.facebook.com/yogesh.vaidhya?hc_location=stream

सबसे बड़ा कौन!

सबसे बड़ा कौन!
एक बार एक शराबी, शराब पी कर एक मंदिर के बाहर जाता है और पुजारी से बहस करने लगता है।

शराबी: इस दुनिया में मैं सबसे बड़ा।

पुजारी: भाई साहब आप कैसे बड़े ? काफी कुछ सवाल जवाब हुए लेकिन उन सब का निचोड़ आप के सामने है.
...........................................

.................................................




शराबी: वो सबसे बड़ा जो दो बोतल पी कर भी सीधा खडा।

शराबी से बड़ा दुनिया मैं कोई नहीं है और शराबी के लिए दुनिया मैं दारू की बोतल से बड़ा कुछ नहीं है। 

जय बाबा बनारस ....

Saturday, April 27, 2013

अंग्रेज की वो टिपण्णी....

एक अंग्रेज भारत घुमने का आया, घूमते हुए एक चिड़िया घर मैं पहुंचा, बहार एक कुत्ता देख कर भोंका, अंग्रेज ने जेब से कुछ बिस्कुट निकले और कुत्ते को डाल दिए, कुत्ता अंग्रेज के तलवे चाटने लगा, भोंकने की आवाज़ कु कु मैं बदल गई,अंग्रेज चिड़िया घर के अन्दर गया / अंग्रेज को देख पिंजरे मैं बंद जंजीरों मैं जकड़ा एक शेर दहाड़ा,अंग्रेज ने कुछ बिस्कुट निकाले शेर के आगे डाल दिए, शेर मजबूर था ,जंजीरों मैं जकड़ा ,आह भरकर रह गया ,बिस्कुट से मूह फेर लिया !

अंग्रेज ने सिगरेट कश लगते हुए टिपण्णी की, भारत एक ऐसा देश है जहाँ भोकने वाले कुत्ते बाज़ारों मैं खुल्ले घूमते हैं, और दहाड़ने वाले शेरो को जंजीरों मैं कैद करके रखा जाता है, अंग्रेज की वो टिपण्णी आज के राजनीतिक परिवेश पैर सही बैठती है ! भोंकने वाले कुत्ते मतलब देसी मीडिया, और देश के पीएम से लेकर हर छोटा बड़ा नेता एक अंग्रेज औरत के फेंके हुए टूकड़ो को खाकर खुल्ले आम भोंकते हैं, धरम और देश का अपमान करते और आम जनता को इन सब से कोई मतलब ही नहीं है भारत देश एक चिड़िया घर की तरह हो गया है और इन सब की एक रिंग मास्टर है सब के सब उसे के पीछे चल रहे है 


जय बाबा बनारस .....

देश के कुटीर उद्योग

मेरे देश के सभी दूकानदार  भाई लोगो से उम्मीद है की सभी लोग चाइना की बनी हुए वस्तुओ का आज से अभी से खरीद  बंद कर दे 

चाइना का टोटल ३ ८ % उत्पादन को खपत करने वाला देश आप का है आप के देश के कुटीर उद्योग को ख़तम करने मैं  भारत सरकार 

और चाइना का हाथ है .आप के देश के कुटीर उद्योग का खतम कर दिया चाइना ने ...

ब्लॉगर भाई चाइना का माल खरीदना बंद कर दे।।।।।।।

जय बाबा बनारस ........

Friday, April 26, 2013

आजम खान और नंगी परेड

जो आज़म खान नरेन्द्र मोदी को अमेरिकन वीसा न मिलने पर उनका मज़ाक बनाया करता था, उस आज़म खान को अमेरिका ने पहले तो वीसा दिया फिर अमेरिका पहुँचने पर एअरपोर्ट पर नंगा करके परेड करवाई ...उत्तर प्रदेश में बहुत गुंडई दिखाया करता है, सब अकड़ निकल गयी अमेरिका में कदम रखते ही . ..अब कह रहा है कि मैं मुस्लिम हूँ इसलिए मेरे साथ ऐसा हुआ है…..अरे भाई ये मुस्लिम कार्ड इंडिया में ही चलता है, अमेरिका में नहीं चलेगा..वो लोग तो खुलेआम कहते हैं कि हाँ हम सिर्फ मुसलमानों के साथ ही ऐसा करते हैं । :) ...
अब आज़म खान सोच रहा होगा कि अगर कुछ ऐसा इंडिया में हुआ होता तो अब तक तो दंगे करवा देता और न जाने क्या क्या करवा देता ....
भारत-माता को डायन कहने वाले इस देशद्रोही को अपनी असली औकात पता चल गयी..ये हाल तो तब है जब ये जनाब डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पर गए हुए हैं, अगर नार्मल पासपोर्ट पर गए होते तो न जाने क्या हाल होता इनके साथ... इन नाकारों का सम्मान सिर्फ भारत में ही है, और कहीं जायेंगे तो जूते पड़ेंगे इन्हे.
http://www.facebook.com/NEELAMSHARMAFEMALE?hc_location=stream

आजम खान और नंगी परेड

जय बाबा बनारस .....

Tuesday, April 23, 2013

नारी के बिना नर का जीवन अधूरा है ....

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।-अथर्ववेद

जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।

आज से दस हजार साल पहले आर्य या कहें कि वैदिक काल में नारी की स्थिति क्या थी यह सभी के लिए विचारणीय हो सकता है। नारी की स्थित से समाज और देश के सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर का पता चलता है। यदि नारी को धर्म, समाज और पुरुष के नियमों में बांधकर रखा गया है तो उसकी स्थिति बदतर ही मानी जा सकती है।
किंतु जिन्होंने वेद-गीता पढ़े हैं वे अच्छी तरह जानते हैं कि दस हजार वर्ष पूर्व जबकि मानव जंगली था, आर्य पूर्णत: एक सभ्य समाज में बदल चुके थे। तभी तो वेदों में जो नारी की स्थिति का वर्णन है उससे पता चलता है कि उनकी स्थिति आज के समाज से कहीं अधिक आदरणीय और स्वतंत्रतापूर्ण थी।

नारी की स्थिति :
1.वैदिक काल में कोई भी धार्मिक कार्य नारी की उपस्थिति के बगैर शुरू नहीं होता था। उक्त काल में यज्ञ और धार्मिक प्रार्थना में यज्ञकर्ता या प्रार्थनाकर्ता की पत्नी का होना आवश्यक माना जाता था।

2.नारियों को धर्म और राजनीति में भी पुरुष के समान ही समानता हासिल थी। वे वेद पढ़ती थीं और पढ़ाती भी थीं। मैत्रेयी, गार्गी जैसी नारियां इसका उदाहरण है। ऋग्वेद की ऋचाओं में लगभग 414 ऋषियों के नाम मिलते हैं जिनमें से 30 नाम महिला ऋषियों के हैं। यही नहीं नारियां युद्ध कला में भी पारंगत होकर राजपाट भी संभालती थी।

3.शतपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि सनातन वैदिक हिन्दू धर्म  नारी के बिना नर का जीवन अधूरा है इस अधूरेपन को दूर करने और संसार को आगे चलाने के लिए नारी का होना जरूरी है। नारी को वैदिक युग में देवी का दर्जा प्राप्त था।

4.ऋग्वेद में वैदिक काल में नारियां बहुत विदुषी और नियम पूर्वक अपने पति के साथ मिलकर कार्य करने वाली और पतिव्रत धर्म का पालन करने वाली होती थी। पति भी पत्नी की इच्छा और स्वतंत्रता का सम्मान करता था।

5.वैदिक काल में वर तलाश करने के लिए वधु की इच्छा सर्वोपरि होती थी। फिर भी कन्या पिता की इच्छा को भी महत्व देती थी। यदि पिता को कन्या के योग्यवर नहीं लगता था तो वह पिता की मर्जी को भी स्वीकार करती थीं।

6.बहुत-सी नारियां यदि अविवाहित रहना चाहती थीं तो अपने पिता के घर में सम्मान पूर्वक रहती थी। वह घर परिवार के हर कार्य में साथ देती थी। पिता की संम्पति में उनका भी हिस्सा होता था।

7.सनातन वैदिक हिन्दू धर्म में जहां पुरुष के रूप में देवता और भगवानों की पूजा-प्रार्थना होती थी वहीं देवी के रूप में मां सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा का वर्णन मिलता है। वैदिक काल में नारियां मां, देवी, साध्वी, गृहिणी, पत्नी और बेटी के रूप में ससम्मान पूजनीय मानी जाती थीं।

8.बाल विवाह की प्रथा तब नहीं थी। नारी को पूर्ण रूप से शिक्षित किया जाता था। उसे हर वह विद्या सिखाई जाती थी जो पुरुष सीखता था- जैसे वेद ज्ञान, धनुर्विद्या, नृत्य, संगीत शास्त्र आदि। नारी को सभी कलाओं में दक्ष किया जाता था उसके बाद ही उसके विवाह के संबंध में सोचा जाता था। इसके कई उदाहरण मिल जाएंगे।

ऐसे हुआ नारी का पतन :
महाभारत युद्ध के बाद नारी का पतन होना शुरू हुआ। इस युद्ध के बाद समाज बिखर गया, राष्ट्र राजनीतिक शून्य हो गया था और धर्म का पतन भी हो चला था। युद्ध में मारे गए पुरुषों की स्त्रीयां विधवा होकर बुरे दौर में फंस गई थी।

राजनीतिक शून्यता के चलते राज्य असुरक्षित होने लगे। असुरक्षित राज्य में अराजकता और मनमानी बढ़ गई। इसके चलते नारियां सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शोषण की शिकार होने लगी। फिर भी यह दौर नारियों के लिए उतना बुरा नहीं था जितना की मध्य काल रहा।

पुराने समय में पुरुष के साथ चलने वाली नारी मध्य काल में पुरुष की सम्पति की तरह समझी जाने लगी। इसी सोच के चलते नारियों की स्वतंत्रता खत्म हो गई। मध्य काल में नए नए जन्मे तथाकथित धर्मों ने नारी को धार्मिक तौर पर दबाना और शोषण करना शुरू किया।

धर्म और समाज के जंगली कानून ने नारी को पुरुष से नीचा और निम्न घोषित कर उसे उपभोग की वस्तु बनाकर रख दिया। वैदिक युग की नारी धीरे-धीरे अपने देवीय पद से नीचे खिसकर मध्यकाल के सामन्तवादी युग में दुर्बल होकर शोषण का शिकार होने लगी।

तथाकथित मध्यकालीन धर्म ने नारी को पुरुर्षों पर निर्भर बनाने के लिए  उसके मूल अधिकारों पर प्रतिबंध लगाकर पुरुष को हर जगह बेहतर बताकर नारी के अवचेन में शक्तिहीन होने का अहसास जगाया गया जिसके चलते उसे आसानी से विद्याहीन, साहसहीन कर दिया जाए। समाज, देश और धर्म के ‍नारी को अनुपयोगी बनाया गया ताकि वह अपने जीवन यापन, इज्जत और आत्मरक्षा के लिए पूर्णत: पुरुष पर निर्भर हो जाए।

इस सभी तरह के भय और दहशत के माहौल के चलते हिन्दुओं में भी पर्दाप्रथा, बाल विवाह प्रथा और नारियों को शिक्षा से दूर रखने का चलन बढ़ गया।

हे नारी! तू स्वयं को पहचान। तू शेरनी हैं, तू शत्रु रूप मृगों का मर्दन करने वाली हैं, देवजनों के हितार्थ अपने अन्दर सामर्थ्य उत्पन्न कर.। हे नारी! तू अविद्या आदि दोषों पर शेरनी की तरह टूटने वाली हैं, तू दिव्य गुणों के प्रचारार्थ स्वयं को शुद्ध कर। हे नारी! तू दुष्कर्म एवं दुर्व्यसनों को शेरनी के समान विश्वंस्त करने वाली हैं, धार्मिक जनों के हितार्थ स्वयं को दिव्य गुणों से अलंकृत कर।

जय बाबा बनारस ...

Saturday, April 20, 2013

एक छोटा प्रयास....

एक छोटा प्रयास बड़ी दुर्घटनाओ को टाल देता है बूढ़े सज्जन रोड पर चले जा रहे थे तभी डगमगाए फिर सम्हल गए,
 पैरो में एक प्लास्टिक की रस्सी फस गयी थी । उन्होंने उस रस्सी को लपेटा और जाकर कूड़ेदान में डाल दिया,
 पास ही बैठा रिक्शा वाला मुस्कुरा रहा था । वो बोला बाबू जी ये कूड़ा तो रोज़ ही पड़ा रहता है कहा आप चक्कर में पड़े हो ।
 वो बड़े शांत स्वर में बोले "बेटा मैं तो गिर गया लेकिन कोशिश होती है और लोग गिरने से बच जाये ।"
 उनका जबाब सुनकर मैं और रिक्शावाला दोनों अभिभूत हो गए ।
 ऐसे लोग भी दुनिया में है जिनमे नैतिकता अभी कूट कूट कर भरी है,
 ये मेरी बुजुर्ग पीढ़ी जो आज के युवाओ को सीख देती है ।
 अब मैंने भी उनका अनुसरण करना शुरू कर दिया रोड पर पड़ी कील और फंदे वाली रस्सी मैं किनारे कर देता हूँ -
 जिससे लोगो को तकलीफ न हो - एक छोटा प्रयास बड़ी दुर्घटनाओ को टाल देता है, हो सके तो आप लोग भी इसका अनुसरण करे .. . . . . . .


जय बाबा बनारस ....

Friday, April 19, 2013

मुस्लिम हिन्दु-धर्म...

भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी....... आपको एवम्‌ आपके स्नेही स्वाजनो को श्रीराम नवमी की हार्दिक शुभकामनाऐँ । जय श्रीराम

हम मस्जिद
को उतना ही पवित्र
मानते है
जितना मुस्लिम मन्दिर
को .....



हम इस्लाम का उतना ही सम्मान जितना मुसलमान हिन्दू धर्म  का ...

जय बाबा बनारस ...

Wednesday, April 17, 2013

सत्तारूढ़ मद मे चूर

1.कश्मीर हिन्दुओ से खाली हो गया उस का जिम्मेदार कौन है?? कांग्रेस...

2.1983 फ़रवरी असम में सांप्रदायिक हिंसा 2000 हिंदु को मार डाला प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी.
जिम्मेदार कौन है?? कांग्रेस..

3.अप्रैल – मई 1987- 81 हिंदु मारे गए मेरठ, उत्तर प्रदेश में - सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस...

4.जुलाई 1986 में मुसलमानों ने अहमदाबाद में सांप्रदायिक हिंसा 59 हिंदुओको मार डाला – सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस

5.अप्रैल 1985 में मुसलमानों ने अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगों में 3000 हिंदुओ को मारा गया – सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस

6.अक्टूबर 1984 दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 2733हिंदुओ को मार डाला – सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस

7.मई 1984 भिवंडी में साम्प्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 146 हिंदुओ को मार डाला, – सत्तारूढ़ पार्टी – कांग्रेस

8.अगस्त १९८० मुरादाबाद साम्प्रदायिक दंगों में लगभग मुसलमानों ने 2000 हिंदुओ को मार डाला – सत्तारूढ़ पार्टी – कांग्रेस

9.1970 महाराष्ट्र में भिवंडी सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने लगभग 80 हिंदु मारे गए – सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस

10.1969 अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 512 से अधिक हिंदुओ को मार डाला सत्तारूढ़ पार्टी – कांग्रेस

11.1967 अगस्त रांची में सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 200 हिंदुओ को फिर मारा गया – सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस

12.बंगाल 1947 में सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 5000 हिंदुओ मार डाला – सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस

13.राउरकेला और जमशेदपुर में 1964 के सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 2000 हिंदुओ को मार डाला. सत्तारूढ़ पार्टी - कांग्रेस

सेकुलर हिंदुधर्मविरोधी प्राणी है कृपया इनका बहिष्कार करें.

जय बाबा बनारस ....

Tuesday, April 16, 2013

बनारसी चुस्की


बनारसी चुस्की एक बनारसी की वाल से
पान की दुकान के बाहर बड़ी चहल -पहल थी ! कुछ लोग पान खा रहे थे कुछ सिगरेट पी रहे थे ! कुछ आपस मैं बतिया रहे थे ,

तभी एक थप्पड़ की आवाज़ गूंजी १ एक युवक ने दुसरे को थप्पड़ मार दिया ,हंगामा हो गया !लोग इकट्ठे हो गए ,एक ने पूछा क्यों मारा इसे !
थप्पड़ मारने वाला युवक- देश में इतनी महंगाई है !

दूसरा युवक -लेकिन थप्पड़ क्यों मारा ?

युवक-दिन दहाड़े बहु बेटियों की इज्ज़त लूट रही है !

एक बूढी औरत- लेकिन थप्पड़ क्यों मारा ?
युवक-चार राज्यों मैं सुखा पड़ा है !

एक बूढा-भाई लेकिन थप्पड़ क्यों मारा ?

युवक-बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता !

पान वाला - लेकिन इस को थप्पड़ क्यों मारा ?

एक और जोरदार आवाज़ गूंजी अबकी बार थप्पड़ पान वाले को लगा !

लोग-अब इसको क्यों मारा ?
युवक- ये सब जानता है फिर भी पूछ रहा है क्यों मारा???
एक बहुत बजुर्ग- बेटा अब तुम बता ही दो क्यों मारा ?

युवक- चच्चा देश मैं इतने मुद्दे हैं और इ साला मुझसे पूछता है स्कोर क्या हुआ है बस इसलिए मारा।


जय बाबा बनारस ...

Sunday, April 14, 2013

एक देहाती

नितीश कुमार को देख कर एक बहुत पुराना चुटकुला याद आ रहा है .....

एक देहाती शहर अपने मित्र के घर पर आया और कुछ धंधा करने की सलाह लेने लगा .. 

शहरी मित्र ने उसे प्रशिक्षित करने के लिए कहा चलो एक काम करो मैं किराना दूकान का मालिक बन जाता हु और तुम ग्राहक ..

शहरी मित्र सेठ की कुर्सी पर और देहाती आ कर - भैया गुड की दो लीटर वाली बोतल देना
शहरी मित्र - अरे भाई ऐसे नहीं गुड भी भला कभी लीटर में आता है किलो में मांगो
देहाती फिर से - भैया दो किलो गुड देना बोतल में डाल के ...

शहरी मित्र - अरे गवार तू नहीं समझेगा चल तू सेठ बन मैं ग्राहक बन कर आता हु
शहरी मित्र - अरे सेठ जी दो किलो गुड देना
देहाती - बोतल लाये हो .....

बिलकुल इसी तरह हमारे नितीश कुमार जी का हाल है जिन के लिए मोदी जी बोतल के सामान हो गए है .....कही भी कोई भी बात कहनी हो लेकिन उस देहाती की बोतल की तरह मोदी जी उन के दिल दिमाग में बस गए है और उन का भय उन्हें बार बार हर बार बस मोदी जी की ही आलोचना करने में लगा देता है ....

अरे भैया चुनाव आप को कांग्रेस के खिलाप लड़ना है न की अपनी ही गठबंधन पार्टी के खिलाफ ...


जय बाबा बनारस ....

नीतीश धर्मनिरपेक्ष

 नीतीश धर्मनिरपेक्ष नहीं शर्म निरपेक्ष नेता है  वोट के लिए टोपी पहनता है
 सुना है मुसलमानों के वोट के लिए इसने खतना भी करवा लिया है.

जय बाबा बनारस ....

Saturday, April 13, 2013

बहिष्कार

सेकुलर हिंदुधर्मविरोधी प्राणी है कृपया इनका बहिष्कार करें..


जय बाबा बनारस ....

Wednesday, April 10, 2013

मौसी सब जानती है

जय - मौसी हमारे राहुल भय्या को ही वोट देना ..
मौसी - देखो बेटा वोट देना है तो कुछ पूछना तो पड़ेगा , कुछ कमाता धमाता है या गरीबो का खाना ही खाता है ..
जय - अरे नहीं नहीं मौसी , जब शादी हो जाएगी तो कमाएगा भी और घर पर ही खायेगा ...
मौसी - मतलब चालीस के ऊपर हो गया है और शादी भी नहीं हुई कोई उसको लड़की नहीं दे रहा है और में उसको अपना कीमती वोट दू ..
... जय - अरे नहीं नहीं मौसी वो क्या है मंद बुद्धि है ना इसलिए भले ही चालीस का हो लेकिन १२-१५ साल के बच्चे जैसा दिमाग है बेचारे का ..
मौसी - मतलब मंद बुद्धि भी है ..
जय - अरे नहीं नहीं मौसी वो क्या है की उसकी 'संगत' , चापलूस लोगो (दिग्गी , खुर्शीद, सिब्बल )के साथ रहता है ना एक बार इनकी संगत छुट गयी तो खुद के दिमाग का उपयोग भी करेगा धीरे धीरे बड़ा हो जायेगा बेचारा ...
मौसी - वा बेटा एक बात माननी पड़ेगी नकारा हो , मंद बुद्धि हो , कुसंगति हो लेकिन तुम्हारे मुहं से उसके खिलाफ एक शब्द नहीं निकल रहा है ... सारी उम्र वोट नहीं दूंगी भले ही कोई मुझे घर से वोट देने के लिए खुद राहुल क्यूँ ना ले जाये ...


जय बाबा बनारस ...

Monday, April 8, 2013

रोटी में जहर

एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोजाना भोजन
पकाती थी और एक रोटी वह वहां से ...गुजरने वाले
किसी भी भूखे के लिए पकाती थी ,
वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी जिसे
कोई भी ले सकता था .
एक कुबड़ा व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और वजाय
धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह
बडबडाता "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और
जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा "
दिन गुजर...ते गए और ये
सिलसिला चलता रहा ,वो कुबड़ा रोज रोटी लेके
जाता रहा और इन्ही शब्दों को बडबडाता
"जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम
अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा "
वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन
खुद से कहने लगी कि "कितना अजीब व्यक्ति है ,एक शब्द
धन्यवाद का तो देता नहीं है और न जाने
क्या क्या बडबडाता रहता है ,
मतलब क्या है इसका ".
एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और
बोली "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी ".
और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में जहर
मिला दीया जो वो रोज उसके लिए बनाती थी और जैसे
ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश
कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह
बोली "
हे भगवन मैं ये क्या करने जा रही थी ?" और उसने तुरंत उस
रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दीया .एक
ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी ,
हर रोज कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी लेके "जो तुम
बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे
वह तुम तक लौट के आएगा " बडबडाता हुआ चला गया इस
बात से बिलकुल बेखबर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल
रहा है .
हर रोज जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह
भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर
वापसी के लिए प्रार्थना करती थी जो कि अपने सुन्दर
भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ
था .महीनों से उसकी कोई खबर नहीं थी.
शाम को उसके दरवाजे पर एक दस्तक होती है ,वह
दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है ,
अपने BETE को अपने सामने खड़ा देखती है.वह पतला और
दुबला हो गया था. उसके कपडे फटे हुए थे और वह
भूखा भी था ,भूख से वह कमजोर हो गया था. जैसे ही उसने
अपनी माँ को देखा,
उसने कहा, "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ. जब मैं
एक मील दूर है, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर. मैं मर
गया होता,
लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था ,उसकी नज़र
मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लीया,भूख के
मरे मेरे प्राण निकल रहे थे
मैंने उससे खाने को कुछ माँगा ,उसने नि:संकोच
अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि "मैं हर रोज
यही खाता हूँ लेकिन आज मुझसे ज्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है
सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो " .
जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी माँ का चेहरा पिला पड़
गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाजे
का सहारा लीया ,
उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह
रोटी में जहर मिलाया था
.अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट
नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और
अंजाम होता उसकी मौत
और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट
हो चूका था
"जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम
अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।
" निष्कर्ष "
~हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप
को कभी मत रोको फिर चाहे उसके लिए उस समय
आपकी सराहना या प्रशंसा हो या न हो .
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जय बाबा बनारस ....

Saturday, April 6, 2013

अपने को पहचानिए

एक पत्थर काटने वाला मजदूर अपनी दिहाड़ी करके अपना बिता रहा था, पर मन ही मन असंतुष्ट था। एक दिन ऐसे ही उसे लगा कि उसको कोई शक्ति प्राप्त हो गयी है जिससे उसकी सारी इच्छा पूरी हो सकती है। शाम को एक व्यापारी के बड़े घर के सामने से गुजरते हुए उसने व्यापारी के ठाट बाठ देखे, गाड़ी घोड़ा, घर की सजावट देखी। अब उसके मन में इच्छा हुयी कि क्या पत्थर काटते काटते जिन्दगी गुजारनी है। क्यों न वो व्यापारी हो जाए। अचानक उसकी इच्छा पूरी हो गयी, धन प्राप्त हो गया, नया घर, नयी गाडी, सेवक सेविका, मतलब पूरा ठाटबाट।

एक दिन एक बड़ा सेनापति उसके सामने से निकला अपने सैनिको के साथ, उसने देखा कि क्या बात है? कोई कितना भी धनी क्यों न हो, इस सेनापति के आगे सर झुकाता है। मुझे सेनापति बनना है। बस शक्ति से वो सेनापति बन गया। अब वो गर्व से बीच में बने सिंहासन पर बैठ सकता था, जनता उसके सामने दबती थी। सैनिको को वो मनचाही का आदेश दे सकता था। पर एक दिन तपती धुप में उसे गरमी के कारण उठना पडा, क्रोध से उसने सूर्य को देखा। पर सूर्य पर उसका कोई प्रभाव नहीं पडा, वो मस्ती से चमकता रहा। ये देखकर उसके मन में आया, अरे सूर्य तो सेनापति से भी ज्यादा ताकतवर है, देखो इस पर कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है। उसने इच्छा की कि वो सूर्य बन जाए। देखते ही देखते वो सूर्य बन गया।

अब सूर्य बनकर उसकी मनमानी चलने लगी, अपनी तपन से उसने संसार को बेहाल कर दिया। किसानो की फसल तक जल गयी, इसको देख कर उसे अपनी शक्ति का अहसास होता रहा और वो प्रसन्न हो गया। पर अचानक एक दिन एक बादल का टुकडा आकर उसके और धरती के बीच में खडा हो गया। ओह ये क्या, एक बादल का टुकडा सूर्य की शक्ति से बड़ा है, क्यों न मैं बादल बन जाऊं। अब वो बादल बन गया।

बादल बन कर जोर से गरज कर वो अपने को संतुष्ट समझता रहा। जोर से बरसात भी करने लगा। अचानक वायु का झोंका आया और उसको इधर से उधर धकेलने लगा, अरे ये क्या हवा ज्यादा शक्तिशाली, क्यों न मैं हवा बन जाऊं। बन गया वो हवा।

हवा बन कर फटाफट पृथिवी का चक्कर लगाने लगा। पर फिर गड़बड़ हो गयी, एक पत्थर सामने आ गया। उसको वो डिगा नहीं पाया। सोचा चलो पत्थर शक्तिशाली है मैं पत्थर बन जाता हूँ। बन गया पत्थर। पर ये भी ज्यादा देर नहीं चल पाया। क्योंकि एक पत्थर काटने वाला आया और उसे काटने लगा। फिर सोच में पड़ गया कि ओह पत्थर काटने वाला ज्यादा शक्तिशाली है। ओह यह मैंने क्या किया। मैं तो पत्थर काटने वाला ही था !!! इतनी देर में उसकी नींद खुल गयी और स्वप्न भंग हो गया। पर फर्क था - वो अपने से संतुष्ट था।

शिक्षा - हमें अपने अन्दर की शक्ति और क्षमता का पता नहीं होता, और जो दीखते किसी काम के नहीं, वही किसी न किसी काम के जरूर होते हैं। बस अपने को पहचानिए। अपनी लाइन को पहचानिए।

जय बाबा बनारस ....

Wednesday, April 3, 2013

दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंशा करो..!

सफलता के 20 मँत्र
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1.खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
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2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंशा करो..!
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3. खुद की भुल स्वीकार ने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
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4. किसी के सपनो पर हँसो मत..!

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5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!

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6. रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!

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7. खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!

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8. किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पुछो..!

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9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!

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10. ईश्वर पर पुरा भरोशा रखो..!

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11. प्रार्थना करना कभी मत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!

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12. अपने काम से मतलब रखो..!

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13. समय सबसे ज्यादा किमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..!

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14. जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!

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15. बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो करो,

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क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबोही देती है..!

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16. हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!

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17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!

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18. कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर आप वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या

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असर होता..?

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19. सफलता उनको ही मिलती है जो कुछकरते है

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20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पडता है

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जय बाबा  बनारस ..........

Tuesday, April 2, 2013

गाय और हाथी....

एक जंगल में गाय भागती हुई जा रही थी हाथी ने उसे रोक के उससे भागने का कारण पुछा गाय ने कहा
 जंगल के सारे  बैलो को पकड़ने का आदेश आया है ।
हाथी ने कहा :- तुम क्यों भाग रही हो तुम तो गाय हो ।

गाय ने कहा :- मैं गाय तो हु लेकिन अगर मुझे पकड़ लिया तो २० साल मुझे ये साबित करने में लग जाएगा की मैं गाय हु ।

ये सुन कर गाय और हाथी साथ साथ भागने लगे ।


आज सम्पूर्ण विश्व में अगर इस प्रकार आक्रमक रुख अपनाने की जरुरत सबसे ज्यादा किसी देश को है तो वो हैं हमारा भारत देश | लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य है की देश की सत्ता उन चंद भूखे और नीच लोगों के हाथ में है जिन्हें हमारी संस्कृति से न तो कोई मतलब है न ही उन्हें इसकी महानता का ज्ञान है | और उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण है आम जनता का सुस्त रवैया और हर ज़ुल्म को चुपचाप सहना |


जय बाबा  बनारस ......