Thursday, September 30, 2010

हरी अनंत हरी कथा अनंता

हरी अनंत हरी कथा अनंता
सुंदर विचार मन में आये तो लिखंत तुरन्ता
आज के मानव का तुरत फुरत में विस्वास है
इसलेय जब भी कोइए सुंदर विचार मन में आये
तुरंत का तुरंत कही न कही लिख देने चाहिय
आज के लिया इतने ही विचार मन के अंदर अभी तक आये है

Wednesday, September 29, 2010

जो फैसला---फासला बढा दे वोह फैसला किसी को मंजूर नहीं

कोई भी फैसला जो आपस की दुरिया बढ़ता हो किसी को भी मंजूर नहीं है
कई दिनों से देश के अंदर लोगो के अंदर एक दर सा बना हुआ है कि अगर फैसला आया तो क्या होगा
कोइए खुश होगा होगा कोइए नाराज होगा जो खुस होगा वोह खुसी का इजहार करेगा जो नाराज होगा
वोह naragi का इजहार करेगा
अब आदमी का इजहार का तरीका बदल चुका है ,वोह कैसे अपने प्यार और गुस्सा का इजहार कैसे करेगा ।
यह कोइए नहीं जनता है ,हर आदमी डरा हुआ है ,
आज सुबह घर से फ़ोन आया कि छुट्टी में घर आने कि जरुरत नहीं है ,घर में खाने का सामान भर कर रखना
कुछ भी हो सकता है ,अब आप बताये हम लोग क्या करे ,
घर से निकलने छोड़ दे ,
चारो तरफ पुलिस ही पुलिश नज़र आ रही है ,कई लोगो से बातचीत हुए सब डरे है वोह किसी भी धरम कई हो
हम तो एक बात जानते है कि दंगो में मरने वाला न तो हिन्दू होता है न ही मुस्लमान होता
वोह किसी का भी,किसी का बाप,किसी का बेटा य किसी कई घर का chirag होता है
जब तक उजाला नहीं होता है तब तक कोइए चिराग को भी नहीं बुझाता है ,
इस सममाया मै सभी लोओग samajhdari kai साथ काम ले
जो फैसला दुरिया कमकरता है हम सबको मंजूर है

बाबर एक लुटेरा था

बचपन में जब हम लोग इतिहास पढ़ते थे ,तब हम लोगो नै पढ़ा था कि बाबर एक लुटेरा था जिसने हमारे देश को लूटा,जब बाबर एक लुटेरा था तब यह बाबरी मस्जिद का विवाद कियो है,
इस्लाम में लूटी हुयी चीज हराम है ,फिर यह हो हल्ला कियो है ,
यह तो राम का मंदिर था ,राम का मंदिर है और राम का मंदिर ही रहेगा , jai सिया राम ,
कट्टर मुस्लमान न तो pahle विश्वास के काबिल था न ही आज विश्वास के काबिल है ,
बाबर एक लुटेरा था,आप ithaas नहीं बदल सकते है ,मुग़ल काल में बेटे नै बाप कई साथ भाई नै भाई के साथ गद्दारी कि थी ,इतिहास गवाह है ,

Tuesday, September 28, 2010

हमने देखा ,हम देख रहे है,

हमने खुली आखो से एक सपना देखा था ,अपने आजाद भारत का ,और अब हम देख रहे है ,आजाद भारत को गुलामी की ओर जाते हुआ ,यह कोइए सपना नहीं है ,कोई विदेशी आप के देश मै आकर आप के देश की शान में गुस्तखई करे ओर आप उसकी शान में कसीदे पढ़ रहे है ,यह आप की गुलाम मानसिकता का प्रतीक है ,अगर यही हाल रहा तो कोइए बड़ी बात नहीं है की हमारी अगली पीढ़ी फिर से किसी न किसी की गुलाम हो,
फिर आप कहेना की गुलामी से आच्छी koi जिंदगी नहीं होती ,
जय जवान जय किसान की जगह,
जय जवान जय गुलाम का नारा आप को देने होंगे

Monday, September 27, 2010

कोरा कागज आपका मन

जिंदगी एक तरह से कोरे कागज की तरह होती ही .जिस तरह से आप कोरे काजग पर कुछ भी लिख सकता ही कुछ भी लाइन खीच सकते ही कोइए भी कार्टून बना सकते ही अपने सपने को कागज पर सजीव कर सकते ही,
ठीक उसी तरह आप की जिंदगी है.आप जो बनाना चाहते है उसको ठीक उसी प्रकार से बना सकते है
जिंदगी एक तरह से सपनों का संसार है ,आप कैसे सपने देखेते है यह सब आप पर निर्भर करता है ,
आप जो सोचते है कभी कभी वैसा ही होता है ,
कभी कभी आप जैसा सोचेते है ठीक उसका उल्टा होता है ,
आप के मन माफिक हो गया तब सब ठीक है ,
नहीं तो आप कहते है की जिंदगी नरक है ,जिंदगी स्वर्ग है य नरक है यह सब आप को तय करना है ,
एक छोटीसी कहानी है ,
एक आदमी सुबह सुबह तैयार होकर ऑफिस जाने को निकला बहार निकलते ही उसके उपर किसी पक्षी नै बीत कर दी ,किसी नै कह यार यह तो बड़ा आच्छा नहीं हुआ ,
वोह आदमी जिसके उपर बीत गिरी थी बोला यार यह तो बहुत ही आच्छा हुआ
की गाय और भेस को उड़ना नहीं आता नहीं तो आज पता नहीं क्या हुआ होता
जिंदगी एक कोरा कागज है ,आप जिन्दादील्ली से जीते है या घुट घुट कर जीते है यह सब आप के उपर है

Saturday, September 25, 2010

क्या जाती आप को रोटी देती है,क्या मंदिर और मस्जिद आप को रोटी देते है

आज रविवार का दिन है छुट्टी का दिन है सुबह सुबह कुछ लोगो के ब्लॉग पर जाकर कुछ पढ़ा
कोई मंदिर पर ,कोई जाती पर बहुत ही बिशेष बल दे रहा है
मेरी समझ में एक बात नहीं आती है की क्या आपलोगों को जाती रोटी देते है
आप लोग कल से काम पर म़त जाओ फिर देखो की क्या आप की जाती के लऊगआप की रोजमर की जरुरत को पूरा करने में सक्षम है जवाब होगा --नहीं
जब जबाब नहीं में है तो फिर कियो जाती का हो हल्ला करते हो
रह गए मंदिर और मस्जिद की बात क्या मंदिर और मस्जिद आप को रोटी देते है ----जबाब होगा ---नहीं
तब फिर कियो कहते है की यह मेरा मंदिर है और यह मेरी मस्जिद है ---यह सब उनलोगों की करामत है जिनलोगो के पेट भरा है वोह लोग अपने मनोरंजन के लिया यह सब नाटक करवाते है
अपना पेट आप नै खुद ही भरना है ,एक बहुत बड़ी आबादी को इन सब से कोइए लेना देना नहीं है
बल्कि वोह सब लोग तो इन सब के नाम से जो हो हल्ला होता है उस से डरते है
जैसे जाट आन्दोलन करिओ नै दिल्ली में जम कार उत्पात मचाया
बेचारा रेहड़ी वाला उसका सामान लूट कार खा गए रेहड़ी पलट दी
यह पुछा था की वोह किस जाती का है वोह तो सदमे मेंआगया उसकी तो रोजी रोटी वोही थी
क्या जाट नेता लोगो नै उसकी रोजी रोटी का दुबारा इन्तिज़ाम क्या ---जबाब होगा ---नहीं
वोह बेचारा रेहड़ी वाला खुद ही दुबारा अपनी रोजी रोटी का इन्तिजाम करेजा
इसी लिया कहता हूँ की यह सब हम को आप को रोजी रोटी नहीं दे सकते ही ---केवल आप का सोसण कार सकता है इन सब से बचो और अपने आप को आगे ले कर तरक्की करो

करामाती आइना

"आइना भी क्या चीज बनाई है
अचानक एक दिन आईने में खुद को जो हमने गौर से देखा,वो दिन था और आज का दिन हे खुद के सिवा कोई अच्छा नही लगता.कल कुछ लोग थे अपने जिनके चेहरे पर झिल्लियाँ नकाबों सी थी नकाब हट गए सारे अब उनमे कोई अपना सा नहीं लगताधुंध छट गई दिल की रिश्तों के मायने बदल गए हैं सारे अब तो अजनबी करामातों से भी डर सा नहीं लगता ."

कल को बच्चा भी ब्रांडेड होगा ???????

आज दीपक बाबा जी पोस्ट पढ़ी आप भी पढ़े लिंक http://deepakmystical.blogspot.com
आज का बाज़ार वाद पर आप के अपने किस तरह से आप के उपर हावी ही

जमाना बदल गया है – प्यारे, तू भी बदल


जमाना बदल गया है – प्यारे, तू भी बदल.

सही में, जमाना कितना बदल गया है. आज बुद्धू-बक्से (टी वी को हम यही नाम दिया करते थे न) से होकर बाजार हम पर कितना हावी हो गया है – ये बात आज अपने 11 वर्षीय बेटे (और मोहल्ले में उसके मित्रगण) को देख कर लगती है. पापा आप पुराने हो?

गाँव के नाम पर – नाक सिकोड़ कर कहता है – नहीं पापा वहाँ नहीं जाना. क्यों ? पापा – वहाँ पोटी कि स्मेल आती है (भैंस के गोबर की) ये बालक वहाँ का दूध नहीं पीना चाहता. गन्दी भैंस से निकला है. घर में अगर गाँव से आयातित मक्खन आ जाये – तो इनको पसंद नहीं – इनको चाहिए अमूल बटर.

अब आप क्या कहेंगे.

पापा आप गाडी कब लोगो ?

बेटा, क्या जरूरत है, (मैं दोपहिया वाहन का इस्तेमाल करता हूँ)

नहीं पापा, कुआलिस लो?

बेटा – मारुती ८०० क्यों नहीं

नहीं पापा, that’s old one

Ok, मैं चुप हो जाता हूँ.


बेटा, इन छुट्टियों में हम मनाली घूमने जायेंगे ?

नहीं पापा – न्यूजीलैंड?

अरे .............. क्यों

नहीं पापा – न्यूजीलैंड? क्यों का जवाब उसके पास नहीं है – पर मैं ये मानता हूँ कि, उसके क्लास फैलो विश्व भ्रमण का चस्का लग गया है तो ये कैसे पीछे रहे.


बेटा, आज रोटी क्यों नहीं खाई ......... क्या पापा रोज-रोज रोटी. क्या मतलब. मुझे रोज रोज रोटी नहीं खानी. फिर क्या ? पिज्जा, ब्रेड-ऑमलेट और सैंडविच. रोटी तो ये इंडियन खाते हैं.

तो, तू इंडियन नहीं है ..............

.......... हुम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म

अच्छा.



फलां – साबुन लाना, फलां पावडर लाना (दूध में डालने हेतु), फलां टूथ पेस्ट लाना. यानी ये पीड़ी हर जगह से ब्रांडिड है. या ये माना जाये – कि ये आज़ाद देश और आज़ाद ख्याल के गुलाम व्यक्तित्व बन चुके हैं. जैसे पहनने के, ओढने के, पीने के, खाने के – हर चीज़ के ब्रांड हैं. और उस ब्रांड के बिना ये जी नहीं सकते.

और ये लोग आज खामख्वाह ही बड़े-बड़े माल में घूमना चाहते हैं – और वहीँ से खरीदारी करना चाहते हैं. बनिया कि दूकान अब इनको ओल्ड फैशन लगती है.




हम जब ४-५ कक्षा में थे – हमारे आदर्श – भगत सिंह, आज़ाद, नेताजी बोस जैसी शक्सियत होती थी. पर आज इनकी – शाहरुख खान, जान अब्राहिम और जान सीना (शायद wwf) वाले हैं.

इस समय चाणक्य जैसे नीतिकार अगर होते तो उन्हें दुबारा सोचना पड़ता....... आज ८ साल के बालक को आप प्रताड़ित नहीं कर सकते. ये मेरा मानना है.

आज ये पीडी इन्टरनेट में मुझ से ज्यादा जानती है. उनको कई वेबसाइट पता हैं – जो स्कूल में बच्चे आपस में शेयर करते हैं. विंडो सेवेन आपने अपने कम्पुटर में डाली हो या नहीं – उनको चाहिय. और सबसे मजेदार बात ये है कि उनको विन्डोज़ सेवेन के कई नए फंक्शन मालूम है – जो आपको मालूम नहीं. और उनके पास किसी वेबसाइट का एड्रेस भी है जहाँ से ये डाउनलोड हो सकती है.

जैसे कर्ण को कुंडल और कवच जन्म से मिले थे – उसी प्रकार मोबाइल फोन इनको मिला है. कौन सा नया मॉडल, किस कंपनी का, कौन-कौन से नए आप्शन इसमें है. ये आपको किसी प्रशिक्षित सेल्समैन कि तरह समझा देंगे................... और बता भी देंगे – पापा अमुक ही लेना.

याद आता है जब स्कूल में फीस के नाम पर 40 पैसे चंदा दिया जाता था (हाँ तब हम फीस को चंदा ही कहते थे) और १० तारिख निकल जाने के बाद भी जब नहीं दे पाते थे – तो मा’साब वापिस घर भेज देते थे – जाओ चंदा लेकर आओ. इसी वज़ह से जब क्लास में खड़ा करते थे – ऐसा लगता था – मानो जमीन फट जाए – और हम बीच में समां जाए. बहुत ही शर्म आती थी. आज बच्चे से पूछो – बेटा इस बार आपका स्कूल फीस का चेक जमा नहीं करवा पाए – मेम ने कुछ कहा तो नहीं ? तो वो हँसता है ?

बताओ भाई ?

कुछ नहीं ?

कुछ तो बोला होगा

कुछ नहीं ? मुहं कि एक विशेष सी आकृति बना कर वो कहता हैं.

वो मैम बला बला बला बला बला बला बला बला बला कर रही थी.........


अब बताइये ............... कैसे निभाएंगे आप इस पीड़ी के साथ?

हैं न यक्ष प्रशन .




बहरहाल, जय राम जी की.

और मेरा मानना ये है कि ये सब बाजारवाद का ही परिणाम है।
अगर यही हाल रहा तो कल को आपकी बच्चे भी ब्रांडेड होंगे ???????????????

Thursday, September 23, 2010

सुंदर,सुन्दरता,सुंदर संसार

सुन्दरता का कोइए पैमाना नहीं होता ही ,सबका सुंदरता का पैमाना अलग अलग होता है,कुछ सुंदर होता है कुछ अतिसुंदर होता ,सुन्दरता के बारे में कह जाता है की सुंदर वास्तु देखने के लिया होती है चुनने के लिया नहीं,
सुंदर सब्दो को सुन कार मन में खुसी का अहसास होता है ,सुन्दरता का मानव जीवन में होना अति जरुँरी है ,
मानव मन को अपना मन सुंदर रखना चाहिय ,
तन भी सुंदर ,मन भी सुंदर,तभी आप को सारा संसार बहुत ही सुंदर दिखाई देगा ----------------सुंदर संसार

Wednesday, September 22, 2010

भूल गया सब कुछ याद नहीं अब कुछ

भूल गए सब कुछ याद नहीं अब कुछ बात य ही मामूली ,
कितना आसान है यह कहना की में तो भूल गया ,
आप के इतना भर कहना से पता नहीं सामने वाले पर क्या बीती यह शायद आप को नहीं मालूम ,
क्या आप कभी कुछ भूले है ,यात्रा का टिकेट ,टेलेफोन का बिल, बिजली का बिल, सब्जी का लाना ,बीबी का जनम दिन ,कभी न कभी तो हर आदमी कुछ न कुछ तो भूलता ही है ,भूलना आदमी की फितरत में शामिल है ,
कभी कभी लोग भुलाने का नाटक भी करते है की यार में तो भूल गया क्या आप के साथ कभी भूलने का इत्तफाक हुआ है अगर हुआ है ---------------------------------------

Tuesday, September 21, 2010

सतयुग में राम की महिमा और कलयुग मै दाम की महिमा

सतयुग से लेकर आज तक राम की महिमा का बखान होता है,
राम का नाम लेकर न जाने कितने ही लोगो नै अपने को तर लिया है
राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट अंत कल पछ taye गा जब प्राण जाये छूट ,
राम का नाम आज कल जो लोग कलयुग में लe rahe है, मौज कार रहे है ,
आज कल कलयुग में दाम की बहुत महिमा है इस के liye लोग कुछ भी कर सकते है .किसी नै कहा है
तुलसी जग में दो बड़े दामोदर और दाम ,दामोदर बेठे रहे दाम करे सब काम ,
आप के पास दाम है तो सब काम आसान है दाम है तो राम है नहीं तो राम नाम स--------है

Monday, September 20, 2010

इंतज़ार ,इंतज़ार,इंतज़ार,इंतज़ार,इंतज़ार,

दुनिया का हर आदमी इन्तिज़ार का मज़ा लेते ही ,इन्तिज़ार का जो मज़ा होता ही बहुत ही मजेदार होता ही ,आशिक को अपनी महबूबा का इंतज़ार रहता है,
किसी ko रेलगाड़ी का इन्तिज़ार होता hai,किसी को जहाज का इन्तिज़ार होता है,
विधार्थी को परीशाफल का इन्तिज़ार होता है ,सबको किसी न किसी का इन्तिज़ार होता है ,
किसी के आने का इंतज़ार ,किसी के जाने का इन्तिज़ार ,
यह इन्तिज़ार का समय बहुत ही बेसब्री से काटना पड़ता है ,
इस समय हमको भी किसी का इन्तिज़ार है ,तभी हम यह लिख रहा है-----------
आप के इन्तिज़ार में आपका ----थोडा इन्तिज़ार का मज़ा लीजिये

Sunday, September 19, 2010

बस एक बार मुस्करा दो

बस एक बार मुस्करा दो सिर्फ इतना कहने भर से मुस्कराहट चहरे पर आ जाती ही ,फिर भी आज की दुनिया मै मुस्कराना नहीं चाहते ,आप लोग दिन भर मै काफी लोगो से मिलते होगे मुस्कराते हुए उसमे कितने लोग मिलते है,बस एक बार मुस्करा दो,इतने में तो दिल में हल चल मच जाती है ,आज कल लोग मुस्कराते तो है लेकिन कंजूसी से भाई मुस्कराहट बहुत ही महँगी है आज कल ,,मुस्कान में नहीं है कोइए नुक्सान ,
भाई इस पर एक गाना भी है की आप का मुस्कराना गजब हो गया
क्योकि की आप ब्लॉग पर है बस एक बार मुस्करा दो

आसिक और फकीर का एक ही हाल होता ही

आसिक और फकीर का एक ही हाल होता ही या तो मजा अमीरी मे या फिर मजा फकीरी में ,फहिर अपने मजे में अलमस्त रहता ही.आशिक हर हाल में अपनी महबूबा को पाना चाहते है,और फकीर भी हर हाल में अपने ईश्वर को पाना चाहते है ,तभी आशिक और फकीर का हाल एक ही होता है ,आशिक का हाल ---कपडा साफ़,जेबा साफ़ ,और दिल साफ़,केमोबस फकीर का भी हाल यही होता है ,दिल का हाल दोनों का एक ही होता है ,दोनों कुछ भी कर सकते है,बड़े बड़े राजा महाराजा की जागीर आशिकी में ख़तम हो गयी और वो एक तरह से फकीर हो गये,दोनों में एक जज्बा होता है जो की एक समान होता है ।

Saturday, September 18, 2010

सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम

सुस्वागतम सुनाने main कितना सुंदर लगता है लगता है की आप किसी का स्वागत कर रहे है ,हम भारत के लोगो की आदत मैं सुमार है की हम लोग सबका स्वागत करते है ,हम लोग जब मौसम बदलता है तो हर मौसम का स्वागत बड़े जोर शोर से करते है ,सर्दी का स्वागत है ,गर्मी का स्वागत है ,और इस साल तो हमने बारिस का तो बहुत बसब्री से इन्तीजार किया ,हर फसल का हम स्वागत करते है ,नए मेहमान का हम स्वागत करते है ,नई बहु का हम स्वागत करते है ,और तो और हम भारतवासी एक उम्र के बाद अपने गोलोकवासी होने का स्वागत करते है,
हम आप का भी स्वागतम सुस्वागतम -----------------कुछ सबद ही आइसे होता ही ki दिल ko khusi mil jati ही

Friday, September 17, 2010

पुरस्कार ,पुरस्कार,पुरस्कार,पुरस्कार,पुरस्कार,

कार और पुरस्कार एक आम आदमी को कार और पुरस्कार की बड़ी तमन्ना रहती है ,एक आम आदमी ख्वाब सजाता है की मेरे पास एक कार हो ,मेरे को पुरस्कार मिले वोह कोई भी हो अब राहत बी को ही देख लो आब भी पुरस्कार की चाहत है जब की करीब करीब सारे ही पुरस्कार किसी न किसी बहाने उनको मिल चुके है ,कार की उनके पास लाइन लगी है फिर भी कुछ नई कार हो उसकी चाहत है ,एक छोटा बच्चा को भी पुरस्कार की चाहत रहती है ,क्या आप को भी पुरस्कार की चाहत है -------जीवन मैं
प्रगति के लिया पुरस्कारों का मिलना बहुत ही जरुरी है --------

Thursday, September 16, 2010

शिकार और शिकारी

आज सुबह सुबह एक अजीब नज़ारा देखा एक बिल्ली चूहा के पिंजरे के पास बेठी थी वाह चूहा के बाहर निकालने का इन्तिज़ार कर रही थी ,कभी वो पिंजरे को कभी चूहा को देखती है ,कुछ समाई के बाद हमारी निगाह उस पर पड़ी ,हमेना उसको वह से भगाया ,देखा की बिल्ली के ऊपर एक कुत्ता की निगाह थी ,तब जा के कुछ समझ मैं आया की यह दुनिया शिकारियो से भरी पड़ी है ,सब एक दुसरे का शिकार करना चाहते है -----बस एक मौके की तलास मैं रहेते है ,की जब बिल्ली चूहा का शिकार करती है तो एक कुत्ता उसका इन्तिज़ार कर रहा होता है ---

हम सब मिल कर दुनिया बदल सकते है

हम सब मिल कर दुनिया को बदल सकते है ,दुनिया को बदलने से पहेले अपने आप को बदलना होगा ,अगर हम अपने आप को बदल ला तो दुनिया अपने आप ही बदल जायगी ,आज हर आदमी सरकार से कुछ न कुछ चाहते है सरकार से चाहत रखता है ,गन्दगी आप करे और सरकार से सफाई की उम्मीद करते है ,जनसंख्या आप बढ़ाते है उम्मीद सरकार से रखेते है सब कुछ सरकार ख्याल करे, आखिर सरकार से आप जरुरत से ज्यादा उम्मीद कियु रखेते है ,आप मकान बनाते है ,लाखो ,करोरो रुपिया उसमे लगाते है लकिन दरवाजे के सामने थोडा सा काम नहीं करा सकता है पानी भरता है गन्दगी होती है और आप सरकार को कुछ न कुछ कहते रहेते है आखिर कियु----पानी पीकर बोटेल आप सड़क पर डाल देते है पोल्य्ठेने मैं कचरा आप डाल ते है गन्दगी कुण करता है हम और आप सफाई का ध्यान कौन रखेजा गा हम और आप कोशिश करो की हम गन्दगी न करे जब गन्दगी नहीं होगी तो आप को अपने आप ही सफाई नज़र आयगी ---- हम और आप साफ रहे

Wednesday, September 15, 2010

अचानक दुनिया बदल जाती है

हमारे आप की जिंदगी मैं सबकुछ अचानक ही कियु बदल जाता है अचानक एक दिन आप को खबर मिलती है की आप बाप की खुस खबरी मिलती है ,एक बच्चा इस दुनिया मैं आता है ,उसके साथ ही माँ बाप की जिंदगी बदल जाती है वह लोग बहुत बिजी हो जाते है यह सब कुछ अचानक ही होता है ,वोह बच्छा बड़ा होता है अचानक उसकी जिन्दाजी मैं कोइए आ जाता है वही बच्चाउसके लिया अचानक माँ ,बाप से बगावत कर देता है ,आप को ख़ुशी अचानक मिलती है ,आप को गम भी अचानक मिलता है ,अचानक आप की दुनिया बदल जाती है ,किसी की लाटरी अचानक लग जाती है ,अचानक आप किसी से सड़क पर रेल मैं जहाज मैं मिल जाते है ,यह दुनिया एक मेला है येह सब कुछ अचानक ही हो जाता है ,अचानक की महिमा बहुत ही अपरम्पार है ,हमारा एक मित्र है कल हमने उनको फ़ोन कियावह बोले यार अचानक गाँव जाना पड़ा ,यह सब कुछ उसी अचानक के कारन ही अचानक ही लिख दिया ,आप के विचारो का स्वागत है

Monday, September 13, 2010

जब अपना कोइए मरता है ,तो आख मैं आसू होते hai

गर फ़िर्दौस बर रुए ज़मीन अस्त, हमीं अस्त, हमीं अस्त ।

भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर से आम भारतीय का नाता बिलकुल ख़तम होता जा रहा है. अगर धार्मिक दृष्टि से छोड़ दें तो कोई भी अब कश्मीर की यात्रा नहीं करना चाहता. क्योंकि वहा पर आतंक का राज है,

वर्तमान परिपेक्ष में कश्मीर के अंदर आतंक विकास करने के लिए एक अच्छा मॉडल सिद्ध हो रहा है, वहा कश्मीरी लोगो को रोजी-रोटी येही पत्थर बाजी से मिलती है, आम भारत वासी चाहते है की कश्मीर और सुलगा रहे, रोज कश्मीरी जनता वहा पर बंद का आयोजन करे, जिस से काम से काम आम भारतवासी को कुछ तो सुकून मिलगे, रोज वहा की जनता वहा की सड़को पर हो, ताकि कल वो अपने आप ही सड़को पर हो.

बेचारा कश्मीरी पंडित तो निरीह है उनकी तो सरकार कुछ नहीं सुनती क्योंकि उनका वोट कि गिनती नहीं है – न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीरी पंडितों कि आवाज़ उठाने वाली कोई संस्था है. कश्मीर का अवाम चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है की आज का कश्मीरी भारत के साथ नहीं है वह तो पैदाइशी पाकिस्तानी है, वहीँ से उनकी रोटी आती है, वहीँ से नोट आता है और आजकल तो वहीँ से पत्थर भी सप्लाई हो रहे है.

आम भारतवासी चाहते है की कश्मीर और सुलगा रहे, ताकि पूरा भारत शांत रहे

लेख में सबसे पहले मुग़ल बादशाह जहाँगीर के शब्द थे ? क्या आज जहांगीर के वंशजों ने ही कश्मीर कि वो हालत कर दी है कि उक्त पंक्तिय लिखते हुए भी हाथ कापता है.

जय हो भारत भाग्य विधाता..................

दुनिया बदल गयी लकिन तू कियूँ न बदला

दुनिया मैं हर चीज बदल जाती है लकिन कुछ लोग ऐसा होता है वोह आखरी दम तक नहीं बदल पाते है ,एक बार की बात एक गाँव मैं एक बहुत ही सरारती रहेता था बहुत ही सरारत करता था गाँव की नाक मैं दम कर रखा था ,कुछ समय के बाद उसका जीवन का आखिरी पड़ाव आ गया उसना सब गाँव वालो को bulttiya और दोनों हाथ जोड़ कर गाँव वालो से बोला की भी लोगो मैना आप लोगो को बहुत ही सताया है अब मेरा आखिरी वक़्त है मैं आप लोगो से माफ़ी मागता हु आप लोग muja माफ़ कर दी ताकि मैं चैन से मर सकू सब गाँव वालो नै सलाह मशविरा क्या और बोला चलो भी इसको माफ़ कर दो यह अपना क्या पर शिर्मिन्दा है जब गाँव वालो नै उसको माफ़ कर दिया तो उसना एक बात कही भी लोगो मेरी एक आखिरी इच्छा है लोग बोले क्या है वो बोला जम मैं मर जाऊ तो मेरा मुख मैं एक बाद bada लक्कड़ गाड देना इस से मैं समझुगा की आप लोगो मैं माफ़ कर दिया ,उसका मरना के बाद लोगो नै यही क्या जैसा ही उसको लाकर कुछ दूर आगे चले वह पर एक सिपाही खड़ा था उसना देखा यह क्या मुर्दा के मुख मैं लक्कड़ है यह तो लगता है की हत्या का मामला है तुर्रेंट दरोगा जी को खबर दी दरोगा जी नै sabco thana bula liya aab लोग kehana lage e तो जब तक jinda thaa नाक मैं दम कर रखा था और मरना के baad bhee dekho कुछ न कुछ कर ही गया -------------

Sunday, September 12, 2010

रिज़र्व सीट है आप येह पर नहीं बैठ सकता है

सर ,सर ,सर जी, मैडम जी माफ़ कीजियगा यह रिज़र्व सीट है आप एहा पर नहीं बैठ सकती है भाई कमाल हो गया आजकल हर जगह पर सीट रिज़र्व होने लगी है अगर आप आज दबंग देखना की कोशिस करै तो पता चलेगा की चार दिन का रिज़र्व बुकिंग है ,किसी होटल मैं जाना चैहा तो पता चलेगा की रूम ही खाली नहीं है रेस्तौरेंट मैं सीट रिज़र्व है रेलगाड़ी मैं सीट रिज़र्व है जहाज मैं सीट रिज़र्व है कमाल हो गया साला हर जगहां पर रिज़र्व ही
रिजर्व आज कल हर आदमी बहुत ही रेजेर्व रहना चाहते है तभी तो कुछ लोगो को मरना के बाद भी उनकी मरना के खबर भी बहुत गुप्त मैं रहती है --------एक सवाल क्या आपभी -----------रहना चाहते है ???????
बस की सीट पर आदमी रुमाल रखे कर कहता है की यह रेजेर्वे है

आराम ही आराम आलसी का दूसरा नाम आराम

आज सन्डे छुट्टी का दिन है सब लोग हर काम आराम से करना चाहते है पता नहीं कियो यह हमारी मानसकिता बन गयी है की छुट्टी के दिन कुछ भी काम नहीं करना चाहते है बस आराम आराम चलो हम तो उस मैं भी एक आछा काम ढूड लेते है चलो आराम के बहाना ही सही राम का नामे तो लिया तभी तो लोग रग रग मैं राम का नाम बसना चाहता है राम और आराम का बड़ा ही सुंदर ताल मेल है बस आराम करते रहो राम का नाम अपना आप ले लोग वाह रे राम के साथ आराम सुंदर तालमेल है कुछ काम नहीं तो आराम बहुत काम है तो उसके बाद आराम मतलब सब कुछ राम के नाम है प्रेम से बोलो जय सिया राम राम जी का नाम है और राम जी काम है राम जी हम आप को करते बारम्बार परनाम है

Friday, September 10, 2010

शुक्ला जी का आक्रोश

दुनिया के हर आदमी को , जानवर को, परिंदों को सबको आक्रोश का अधिकार है ,सबका आक्रोश का तरीका अलग अलग होता है .अब आप हमारा शुक्ला जी को ही ले ले उनका आक्रोश का तरीका ही कुछ और है जब उनको कोइए बात पसंद नहीं होती तो उनका उस के प्रति नज़रिया ही बदल जाता है उसकी तारीफ मैं कसीदा कुछ जायदा ही पढ़ना लगते है बचपन मैं अगर आप की कोइए बात पापा और माँ नहीं मानती है तो आप खाना छोड़ देता है बड़ा होना पर अगर श्रीमती जी कोइए बात नहीं मानती तो घर दिएर से आना शुरु कर देना है ,श्रीमती जी का आक्रोश का तरीका ही अलग है खाना मैं नमक य तो काम होगाय जायदा होगा आप की कोइए भी सामान करीना से नहीं होगा आप को जो काम पसंद नहीं होगा श्रीमती जी वोहो काम करंगी हमारे गाँधी जी भारतवासी को असहयौग का नारा जरुर देकर गए है की बेटा भारतवासी काम मत करना ,यही आज कल भारत के सभ्या नागरिक कर रहा है जैसा डाक्टर ----------------------------------------------------------------------------------

Thursday, September 9, 2010

सरकारी नौकरी कियो चाहिय

क्या आप अपना बच्चो को सरकारी स्कूल मैं पढ़ना चाहते है -----नहीं
क्या आप सरकारी अस्पताल मैं इलग करना चाहते है ----------नहीं
क्या आप सरकारी बस मैं सफ़र करना चाहते है----------------नहीं
क्या आप सरकारी नौकरी करना चाहते है ------हा हा हा हा हा सरकारी नौकरी मैं आराम है काम नहीं .

Wednesday, September 8, 2010

आज का जीवन और उसकी सच्चाई - kahani

आज का जीवन और उसकी saachi
एक डॉक्टर साहब एक पार्टी में गए । अपने बीच शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर को पाकर लोगों ने उन्हें घेर लिया। किसी को जुकाम था तो किसी के पेट में गैस। सभी मुफ्त की राय लेने के चक्कर में थे। शिष्टाचारवश डॉक्टर साहब किसी को मना नहीं कर पा रहे थे।

उसी पार्टी में शहर के एक नामी वकील भी आए हुए थे। मौका मिलते ही डॉक्टर साहब वकील साहब के पास पहुंचे और उन्हें एक ओर ले जाकर बोले - यार ! मैं तो परेशान हो गया हूं। सभी फ्री में इलाज कराने के चक्कर में हैं। तुम्हें भी ऐसे लोग मिलते हैं क्या ?

वकील साहब - बहुत मिलते हैं ।

डॉक्टर साहब - तो फिर उनसे कैसे निपटते हो ?

वकील साहब - बिलकुल सीधा तरीका है । मैं उन्हें सलाह देता हूं जैसा कि वो चाहते हैं। बाद में उनके घर बिल भिजवा देता हूं।

यह बात डॉक्टर साहब को कुछ जम गई । अगले रोज उन्होंने भी पार्टी में मिले कुछ लोगों के नाम बिल बनाए और उन्हें भिजवाने ही वाले थे कि तभी उनका नौकर अन्दर आया और बोला - साहब, कोई आपसे मिलना चाहता है ।

डॉक्टर साहब - कौन है ?

नौकर - वकील साहब का चपरासी है । कहता है कल रात पार्टी में आपने वकील साहब से जो राय ली थी उसका बिल लाया है ... kal yug main aaisa hi logo का guzara hai

Tuesday, September 7, 2010

हर्ष,जोश, प्रगति, उन्नत्ति, विकास, विश्वास के साथ जीवन के पथ परबढ़ो

जीवन का मूल मंत्र है प्रोग्रेस
हर्ष,जोश, प्रगति, उन्नत्ति, विकास, विश्वास के साथ जीवन के पथ परबढ़ो
विश्वास hi जीवन है जो ki आज कल कोइए किसी पर नहीं करता है

Monday, September 6, 2010

वह हमेशा मेरे साथ रहेंगी

Har khabar kuch kehati hai
'मेरी मां बहुत सुंदर और बहुत अच्छी थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि वह कभी मर नहीं सकती। मेरी मां ने मुझसे कहा था

कि वह हमेशा मेरे साथ रहेंगी। इसीलिए मैंने उनकी डेथ के बारे में किसी को नहीं बताया था। उनकी मौत पिछले साल दिसंबर में हुई थी।'

यह बयान है उन शालिनी मेहरा का, जो अपनी मां के शव के साथ एक ही फ्लैट में महीनों से रह रही थी। उन्होंने सोमवार को एनबीटी को बताया कि मेरी मां ने ही उनकी मौत के बारे में किसी को खबर न देने और साथ रहने के लिए कहा था। शालिनी को देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल था कि वह किसी शव के साथ महीनों तक रही होंगी।

साकेत के 'डी-58' में ग्राउंड फ्लोर पर शालिनी मेहरा रहती हैं। उनकी मां विनोदिनी गुप्ता (80) का शव शनिवार दोपहर पुलिस ने उनके फ्लैट का गेट तोड़कर बाहर निकाला था। पुलिस ने बताया कि फ्लैट में जबर्दस्त बदबू फैली हुई थी। पीछे वाले कमरे में बिस्तर पर पड़ा शव बुरी तरह सड़ चुका था। उसे पैक करने में पुलिस को खासी कठिनाई हुई। हाथ लगाते ही शव बिखर रहा था। ऐसी डेड-बॉडी के साथ शालिनी मेहरा अकेले महीनों से रह रही थी। हालांकि शालिनी पिछले साल दिसंबर में मां की मौत बता रही है, लेकिन बयानों और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मौत दो-तीन महीने पहले हुई थी।

पोस्टमॉर्टम के बाद एम्स के डॉक्टरों ने पुलिस को बता दिया है कि विनोदिनी गुप्ता की मौत नैचरल थी। उनके पति पुरुषोत्तम लाल गुप्ता की मौत 10 साल पहले हो चुकी थी। पहले वह इंग्लैंड में रहा करते थे। साकेत आरडब्ल्यूए के प्रेजिडेंट बंसीलाल के मुताबिक इंग्लैंड से आने के बाद उन्होंने साकेत में घर बनाया था। शालिनी मेहरा ब्रिटिश नागरिक है। उनकी शादी दिल्ली पुलिस के पहले आईजी डी. डब्ल्यू मेहरा के बेटे रोनेश मेहरा से हुई थी, लेकिन उनमें अलगाव होने के बाद शालिनी अपनी मां के साथ रह रही थी। उनकी बेटी रेहाना मेहरा बेंगलुरु में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं।

इस बिल्डिंग के सिक्युरिटी गार्ड सुरेश सरवरिया के मुताबिक, उसने पिछले तीन महीने से विनोदिनी को नहीं देखा। उससे पहले वह अक्सर बाहर गेट तक आ जाया करती थी। सरवरिया ने बताया कि उसने शालिनी से उनकी मां के बारे में जानना चाहा तो वह जोर से डांटती थी। उसने बताया कि शालिनी हमेशा घर के अंदर अकेली रहती हैं। घर के अंदर खड़ी उनकी मारुति 800 कार सालों से नहीं चली है। शालिनी मेहरा के पड़ोसी मानक गुप्ता ने बताया कि वह किसी पड़ोसी से कभी बातचीत नहीं करती।

गार्ड सरवरिया ने बताया कि शनिवार दोपहर 12 बजे इस बिल्डिंग में पानी के मीटर चेक करने दिल्ली जल बोर्ड का कर्मचारी राजेंद्र भड़ाना आया था। वह खटखटाता रहा , बहुत देर बाद शालिनी ने दरवाजा खोला। भड़ाना ने सरवरिया को अंदर किसी बुजुर्ग महिला के बाल पड़े होने और बदबू आने की जानकारी दी। दोनों फर्स्ट फ्लोर पर रहने वाले के . एल . भाटिया के पास पहुंचे। भाटिया ने पुलिस कॉल की। पुलिस के लिए शालिनी ने गेट नहीं खोला तो गेट तोड़ना पड़ा। अंदर विनोदिनी गुप्ता की लाश पड़ी थी।

पुलिस अफसरों के मुताबिक शालिनी की दिमागी हालत पूरी तरह ठीक नहीं है। उन्हें काउंसलिंग की जरूरत है। पुलिस अफसर ने बताया कि नैचरल डेथ होने के बाद शव को घर में रखने के बारे में कानूनी सलाह ली जा रही है। पांच साल पहले तिमारपुर में एक एएसआई की मौत के बाद उसकी पत्नी तीन महीने तक लाश घर में रखकर धूपबत्ती जलाती रही थी। उसे अपने पति के दोबारा जीवित होने का यकीन था। उस मामले में भी महिला के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई

Friday, September 3, 2010

रोम जलता रहा शीला दिल्ली मेरी जान गाती रही

रोम जलता रहा शीला दिल्ली मेरी जान गाती रही कल एक प्रोग्राम मैं शीला नामक नायिका झूम रही थी गा रही दिल्ली मेरी जान और दिल्ली के लोग जल रहा,एक दूकान पर सुना की ये पागल हो गए है तभी पागलो जैसी हरकत कर रही है ,अब इस से जयादा क्या हो सकता है जनता जाम मैं है और येहा जाम का सुरूर है अब आप लोग इसको सुरूर कहना या गरूर कहना यह सब आप के उपर है रोम जलता रहा और वो गाती रही ,सब सत्ता के मद मैं चूर है लेकिन यह सब देश के लिया नासूर है ???????????????????????????????????
रोम जलता रहा --------------

Thursday, September 2, 2010

धनिया नै हम को लुटा

कल की बात है श्रीमती जी नै कहा की मण्डी से हरा धनिया ला दो तो हरा धनिया की चटनी बना दू हमना कहा की ठीक है हम ले आती है बड़े मन से सब्जी मण्डी पहुच गया वह दुकानदार से हरा धनिया की एक गड्डी मागी उसना दी हम गलती से bhav पूछ बैठा वो बोला 120= 00 रूपया किलो है हम तो हैरान हो गया की हरा धनिया का कीमत यह है लेकर आया लकिन बहुत ही सोच मैं पढ़ गया की भारत देश मैं जहा पर लोग रोटी और चटनी बड़ा मन से खा लेते है वहा पर हरा धनिया की यह कीमत है ,संसद की कैंटीन मैं नॉन veg की थाली की कीमत पंधरा रूपया है सारा का सारा मजा तो गरीब सांसद लूट रहा है आम आदमी तो हरा धनिया की चटनी भी जी भर के खा नहीं सकता है लकिन चटनी बहुत ही बढ़िया बनी थी ----आप के विचार सादर आमंत्रित है

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

सारा जहा ही जिसके शरण में ,नमन उस कृष्ण के चरण में, बने उस राधा के चरणों की धूल

Wednesday, September 1, 2010

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ...!!आपको सपरिवार

आपको सपरिवार जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

वाह राम जी बार्रिस एक बार और जोर से बरस

वाह राम जी बार्रिस एक बार और जोर से बरस घनन घनन घन घोर बरखा रानी जोर से बरस दिल्ली मैं रस घोल घनन घनन घन घोर ---------------