Wednesday, January 11, 2012

साइक्लॉनिक हिन्दू????????????????????

आज स्वामी जी का जन्म दिन है और कही से कोई  खबर नहीं है किया यह आज के समाज के लिए ठीक है जहा पर किसी फिल्म स्टार के छीक आने पर पूरा का पूरा सेकुलर समाज और मीडिया पता नहीं क्या क्या कहता फिरता है 
२५ वर्ष की अवस्था में नरेन्द्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिये। तत्पश्चात् उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। सन्‌ १८९३ में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानन्दजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे। योरोप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहाँ लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानन्द को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला किन्तु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गये। फिर तो अमेरिका में उनका अत्यधिक स्वागत हुआ। वहाँ इनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया। तीन वर्ष तक वे अमेरिका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे। उनकी वक्तृत्व-शैली तथा ज्ञान को देखते हुए वहाँ के मीडिया ने उन्हें साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया। "आध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा" यह स्वामी विवेकानन्दजी का दृढ़ विश्वास था। अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएँ स्थापित कीं। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। ४ जुलाई सन्‌ १९०२ को उन्होंने देह-त्याग किया। वे सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश-देशान्तरों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदा प्रयत्न किया। जब भी वो कहीं जाते थे तो लोग उनसे बहुत खुश होते थे।


स्वामी विवेका नन्द को सत सत नमन.....आज स्वामी जी का जन्मदिन है किया यह बात सच है ...?


जय बाबा बनारस......

Monday, January 9, 2012

मुझको मेरे बाद जमाना ढुं डेगा

मुझको मेरे बाद जमाना  ढुं डेगा ......


सर्दी के बाद गर्मी को लोग  तलाश करते है की कुछ गर्मी का अहसास हो कुछ लोग हीटर

तो कुछ लोग कम्बल,रजाई ,और कुछ लोग....और पता नहीं क्या क्या जातां करते है

सरकार के कुछ सरकारी अलाव और रैन बसरे सरकारी आकड़ो मैं पता नहीं क्या क्या भर देते है

की यहाँ सब कुछ ठीक है और कुछ समय बाद मीडिया खबर देता है की ठण्ड से यहाँ इतने मर गए...

सब सरकार की सरकारी माया ही है ....
अब एक प्याली गरम गर्म चाय का प्याला हो जाये  कियुकि .बिलकुल भारत सरकार की तरह जो की आज कल है .....सर्दी बड़ी है बेदर्दी.कुछ दिनों के बाद लोग सर्दी को नहीं पायंगे  और इस सरकार का वही हाल होगा जो सर्दी का होगा ...

जय बाबा बनारस.....

Friday, January 6, 2012

एक पागल का कारनामा ....


एक पागल का कारनामा ....
 
एक पागल आदमी कुएं के अन्दर झांककर चिल्लाता रहता है, ”पच्चीस ….. पच्चीस ….पच्चीस …. एक सज्जन उसे बहुत समय तक देखता रहता है। उसे पागल व्यक्ति के ”पच्चीस….. पच्चीस कुछ समझ में नहीं आ रहे थे।
वो उस व्यक्ति के पास जाता है। उसने पूछा, ”भाई ये कुएं में झांककर पच्चीस-पच्चीस क्या चिल्ला रहे हो ? 
पागल उसे बोलता है, ”आप यहाँ आकर कुए में देखो तो आपको पता लग जाएगा।
सज्जन पास आता है और कुए में झांकते हुए झुक जाता है।
पागल झट से उसको पीछे से लात मारकर कुए में ढकेल देता है। बाद में चिल्लाने लगता है, ”छब्बीस …… छब्बीस ……. छब्बीस …..

जय बाबा बनारस.....

Wednesday, January 4, 2012

काशी बनारस के कबीर दास..................


काशी बनारस के कबीर दास....काशी के इस अक्खड़, निडर एवं संत कवि का जन्म लहरतारा 
के पास सन् १३९८ में ज्येष्ठ पूर्णिमा को हुआ।
कबीर की वाणी..
१.बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।।

2.पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।

३.जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिये ज्ञान।
मोल करो तलवार का पड़ा रहने दो म्यान।।
४.पाहन पूछे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार ।
ताते यह चाकी भली पीस खाय संसार।।
४.कंकर पत्थर जोरि के मस्जिद लयी बनाय।
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।।

जय बाबा बनारस.............................

Monday, January 2, 2012

तू कैसा ब्लॉगर है

अमा इतना खुस गवार मौसम है अपनी इस प्यारी दिल्ली का

और तू कैसा ब्लॉगर है की कुछ लिखता ही नहीं

कुछ नहीं तो यही लिख दे की आज का मौसम बहुत अच्छा है इसलिए

कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा है फिर भी कुछ लिख रहे है

अबे किया खाक लिखा है लिख ने  को मसाला तो बहुत है

लेकिन ........तू कैसा ब्लॉगर है....समय की धारा के साथ साथ कुछ सार्थक लिख

चलो आज कुछ तो लिखा  कल कुछ और लिखे गे ...

जय बाबा बनारस.....