Tuesday, May 31, 2011

अब बेठ के खाओ हलवा पूरी........


पहला पहला प्यार है आज अचानक यह गाना दिमाग मैं चल गया इस के साथ ही दिमाग मैं कुछ कुछ चलने लगा .
आज कुछ इसे पर ही लिख दिया जाये पहला पहला पहला .........

प्रथम की महिमा ही कुछ और होती है पहला कदम ,पहला प्यार ,पहला स्कूल,पहली मुलाकात,पहला ब्लॉग,
पहली टिप्पड़ी ,पहला फल्लोवर,पहला विवादित लेखा ब्लॉग जगत मैं बहुत कीमत रखता है कुछ लोग लिखते रहते है कुछ लोग सिर्फ पढ़ते रहते है कुछ समय के बाद लिखने वाला ब्लॉगर लिखना कम कर देते है और पढ़ने वाला क्या ख़ाक पढ़ेगा कुछ दिन के बबाद वह ब्लॉग खोलना बंद कर देता है और हो जाती ब्लॉग की तमन्ना पूरी 

अब बेठ के खाओ हलवा पूरी........

जय बाबा बनारस.......

Friday, May 27, 2011

क्या यह सच है ?

आज एक पब्लिक प्लेस पर एक बहस कुछ पढ़े लिखे लोगो के बीच चल रही थी 

हम अपने एक मित्र के साथ वह पर अचानक पहुच गए चर्चा का विषय कुछ बहुत ही महत्व पूर्ण लग रहा था 
कुछ समय तक हम दोनों चुप चाप वह पर लोगो का चर्चा सम्मेलन सुनते रहे लकिन एक बात समझ मैं अभी तक नहीं आयी की उनकी चर्चा सही थी या गलत चर्चा का विषय बहुत ही नाजुक था अपनी समझ मैं कुछ नहीं आया वह से वापस चले आये तब से सोच रहे है उस विषय पर की चर्चा सही है या गलत 



 चर्चा का विषय था आदमी पहले इंसान है या और कुछ .......
१.मुसलमान पहले मुसलमान है या पहले इंसान .....
२.हिन्दू पहले हिन्दू है या पहले इंसान ........
एक बहुत बड़ी आबादी के  मुसलमान कहते है की पहले हम मुसलमान है बाद मैं इंसान ....क्या यह सच है ?

हम लोग पहले इंसान है या पहले हिन्दू या मुसल मान .....
आप के विचार सादर आमंत्रित  है...

Thursday, May 26, 2011

पसंद ना पसंद

 सभी को सभी कुछ पसंद नहीं होता और  सभी को सभी कुछ ना पसंद नहीं  होता 

तभी तो किसी ने कहा है पसंद अपनी अपनी ख्याल अपना अपना 

किसी को मीठा  बहुत पसंद है किसी को तीखा बहुत पसंद है 

हर आदमी हर किसी की पसंद और नापसंद  का खायाल नहीं रख सकता है 

किसी को बराक ओबामा पसंद है किसी को ओसामा बिन पसंद है 

कुछ देसी दरिया दिल ओसामा को बहुत पसंद करते है जैसे वही उनका ......है

किसी को ब्लॉग्गिंग पसंद है किसी को ब्लॉग्गिंग नापसंद है ..............

जय बाबा बनारस.........................................


Wednesday, May 25, 2011

सावधान कृप्या इस जगह से दूर रहे

सावधान कृप्या इस जगह से दूर रहे 

यहाँ पर गड्ढा है .....
यहाँ पर बिजली का ११००० करंट है यहाँ से दूर रहे ...

सावधान यहाँ पर गन्दगी है ......नाक पर रुमाल रखा ले नहीं तो ...........

सावधान आज कल आदमी के दिमाग मैं गन्दगी है 
सावधान यहाँ आदमी आज कल अधनंगा  घूम रहा है आदमी नंगा नज़र आता है
यही सब तो यह लोग देखना चाहते है 

जिसको देखो उसी को आदमी की मानसिकता एकदम ..........लग रही है 
सावन के अंधे को हरा ही हरा  नज़र आता है ,उसी तरह से जो लोग इस तरह की सोच  रखते है ,
वो सब के सब कही न कही से इस गन्दगी का हिस्सा है वो सब के सब मन से गंदे है उनके दिमाग मैं गन्दगी भरी है 
सावधान कृप्या इस जगह से दूर रहे 
जय बाबा बनारस...........

Friday, May 20, 2011

कुछ जीवंत शब्द.....

प्रगति ,तरक्की ,उन्नत्ति, प्यार, हर्ष,उल्लास, खुशी,खुशहाल,खुशहाली,शादी, लगन, विवाह, जन्म, जन्मदिन, हँसना, हँसाना, मुस्कराना, मुस्कराहट, सफलता, प्रेरणा, अधिक, मिलन, आना, सुंदर, सुन्दरता, जिंदगी, जिंदादिल, दिल्लग्गी, दिल, दीवाना, मस्ताना, मस्ती, घर, परिवार, सफल, छुट्टी, आराम, अपनापन, दोस्ती, गाँव - नदी किनारे की शाम, पुरूस्कार, इनाम...

कितने सुंदर शब्द है.... एक दम जीवंत .... जीवन्तता प्रदान करने वाले, जीवन दायक... एक प्रकाश पुंज की माफिक दूर से ही राही को आस बंधाता दिया....  या फिर सफलता की और दो कदम और चलना हो गया. कुछ ऐसा ही न. कई बार ये शब्द पड़े - पर आज ध्यान दिया  तो लगा ये शब्द टोनिक का काम करते है. ... श्याद आपको भी लगेगा...

ऐसे शब्दों से व्यक्तित्व में निखार आ जाता है...... इंसान अंदरूनी रूप से मुखर हो उठता है.... और चेहरे पर एक लालिमा लिए प्रसन्ता झलक उठती है.... गौर कीजिएगा


जय बाबा बनारस......................

Wednesday, May 18, 2011

एक नाजुक राज कुमार---------------------------------

एक नाजुक राज कुमार क्या कर सकता है जबकि सबूत उसके पास है सरकार उसकी है .............

अन्ना हजारे की तरह जंतर  मंतर पर धरना भी  नहीं दे सकता है .................................

अब मेरी उम्र का किसी किसान का लड़का हाथ में बन्दूक उठा ले तो उसे माओवादी कहाजाएगा..क्या करेगा वो..बाप की लाश भी नहीं छोड़ी इस सरकार ने ..माँ और बहन का सामूहिकबलात्कार पुलिसिया गिद्धों ने उसके सामने किया फिर भी हम कहेंगे की अहिंसा परमोधर्मः....किसान किसी को मारे तो वो मुख्य समाचार बन जाता है और ८० किसानों  को जलादिया गया उसकी चर्चा भी नहीं..ये SEZ बना कर दलाली खाने का जो खेल सरकार ने शुरू कियाहै वो कई नंदीग्राम और सिंगूर पैदा करने वाला है...क्यूकी व्यवस्था से असहाय व्यक्ति के पासशस्त्र उठाने  के अलावा कोई चारा नहीं रहता है...
आज जो भी व्यक्ति ये ब्लाग या ईमेल पढ़ रहा होगा उसे शायद कोई लेना देना नहीं होगा इसकिसानो से मगर बंधू उन किसानो के बाद आप का ही नम्बर  है क्यूकी उसके बाद सबसेकमजोर आप हैं..
जरा परिकल्पना करें की आप के घर में १०-१२ सरकार समर्थित पुलिस वाले गुंडे आते हैं..आप कोगोली मार देते हैं और बेटी का सामूहिक बलात्कार,बेटे को जेल और पत्नी को नंगा करके सड़क पे परेडकरते हैं ..अभी तो ये एक भयावह कल्पना लग रही है मगर समाज के सबसे आखिरीतबके के साथ ये शुरू हो चूका है अगला नंबर आप का है...

पूरी पोस्ट यहाँ पर ....http://ashutoshnathtiwari.blogspot.com/2011/05/blog-post_17.html
जय बाबा बनारस.....

Sunday, May 15, 2011

खून मैं उबाल.............

खून मैं उबाल आज सुबह सुबह खुस्दीप जी की एक पोस्ट पढ़ी उस पर कुछ टिप्पड्डी पढ़ी पोस्ट को कुछ पकिस्तान्नी और आतंकवाद समर्थक लोगो ने पढ़ी उनके खून मैं उबाल आ गया और लिखते है 
यह आप हैं इसलिए जाने दे रहा हूँ वर्ना किसी की मौत का मज़ाक़ कैसे बनाया जाता है ?, यह मैं बताता !

यह सच है यह किसी के सगे नहीं है वर्ना किसी को पनाह देकर किसी गेर के हाथो नहीं मरवाया जाता ......

चंद डालर ने उसको मरवा दिया ...जिन लोगो को भारत पसंद नहीं है वह लोग भारत से जा सकते है ......और अपने सगो के बीच मैं काफिर की तरह सर झुका कर जी सकते है ..........

जय बाबा बनारस....

Saturday, May 7, 2011

बड़ा कौन


बड़ा कौन एक बार ब्रह्मा व विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। दोनों में से कौन श्रेष्ठ है, इसे लेकर युद्ध छिड़ गया और यह लंबे समय तक चलता रहा। हजारों साल बीतने पर देवताओं ने भगवान भोलेनाथ से इसे समाप्त कराने का अनुरोध किया। श्री भोलेनाथ युद्धरत ब्रह्मा व विष्णु के बीच तेज ज्योति के रूप में प्रकट हुए। महानिशा में प्रकट हुई यह ज्योति आकाश से पाताल तक फैली हुई थी। इसी समय आकाशवाणी हुई कि जो इस ज्योतिपुंज या ज्योर्तिलिंग का सिरा देख कर पहले लौटेगा वही श्रेष्ठ गिना जाएगा। यह सुनकर ब्रह्माजी मुंह ढूंढ़ने के लिए आकाश की ओर भागे जबकि भगवान विष्णु पैर ढूंढ़ने के लिए पाताल की ओर। दोनों काफी समय तक भागते रहे पर किसी को सिरा नहीं मिला। थककर दोनों लौटने लगे। इस बीच भगवान ब्रह्मा को कुछ कपट आया। उन्होंने सोचा कि अगर सिरा न देखने की बात कहेंगे तो श्रेष्ठ नहीं गिने जाएंगे। इसलिए उन्होंने वापस पृथ्वी पर पहुंचते ही झूठे ही कह दिया जाए कि सिरा देख लिया। साक्षी के लिए उन्होंने भगवान भोलेनाथ की सवारी नंदी को आगे कर दिया। भगवान भोलेनाथ ने नंदी से पूछा तो वह ब्रह्माजी के डर से सिर से तो हा बोले पर पीछे पूंछ हिला कर इंकार करते रहे। इससे भगवान भोलेनाथ नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि नंदी आपके सिर ने झूठ बोल कर गलत किया है, इसलिए अब सिर की पूजा नहीं होगी। पूंछ से सत्य कहा है इसलिए अब से पूंछ की ही पूजा होगी। साथ ही ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि आपने झूठ बोला इसलिए अब आपकी पूजा नहीं होगी। बाद में उन्होंने भगवान विष्णु से पूछा कि सिरा मिला या नहीं। भगवान विष्णु ने इंकार कर दिया। इस पर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए। उन्होंने कहा कि आपने सत्य कहा है। इसलिए आज से आप भगवान सत्यनारायण के नाम से प्रसिद्ध होंगे। आज से जिस तरह मेरी घर घर पूजा होती है, उसी तरह से आपकी भी घर घर पूजा होगी।
वीर शैव संप्रदाय (जंगमबाड़ी) के जगदगुरु डॉ. चन्द्रशेखर शिवाचार्य के अनुसार यह घटना काशी में ही घटी थी। भगवान भोलेनाथ के इस आशीर्वाद के चलते भगवान सत्यनारायण की कथा पूरे विश्व में सर्व व्यापक रही है। किसी भी पुण्य कार्य से पूर्व भगवान सत्यनारायण की कथा अनिवार्य रूप से सुनने व सत्य आचरण का संकल्प लेने का विधान रहा है।

Thursday, May 5, 2011

आदमी और जानवर का ......

कुछ जानवर जिनको इंसान बहुत प्रेम करता है और उनका संबोधन बहुत ही प्यार से करता है .

१.कुत्ता .उसको पढ़ना पड़ता है :   कुत्ता एक वफ़ा दार जानवर है.

अब आज कल कहा जाता है १.वो सा ......कुत्ता है २.वो कुत्ते की मौत मारा ,

२.गधा एक सीदा   सच्चा जानवर १.बच्चे अक्सर इस के शिकार होते है २. अबे गधे कुछ पढ़ ले.
.एक दम गधे की औलाद है .
३.बन्दर ...एक चंचल जानवर  कभी यहाँ अभी वहा
४.बैल .....एक दम बैल है कुछ सुनता ही नहीं 
५.भैसे ....भैसे की खाल है इसकी 
६.बकरी ..किया बकरी की तरह मुह चला रहा है 
७.शेर ..किया शेर का दिल है माँ ने किया खाकर पैदा किया था 
८.लोमड़ी...एक चतुर और चालक ..अबे लोमड़ी है लोमड़ी बच के रहना ..
९.गाये....एक सीदी सादी गाये हे होती है ...
१०.आदमी से बड़ा जानवर कोइए नहीं है .आदमी एक सामाजिक जानवर है 

आदमी और जानवर का बहुत पुराना रिश्ता है जब आदमी का मन करता है उसको पाल लेता है 
नहीं तो खा लेता है नहीं तो मार देता है ...आदमी अपने दिल की बात जानवर के उपर कह कर 
अपने मन को शांत कर लेता है बहुत कम जानवर आदमी का शिकार करते है .आदमी हर जानवर का शिकार कर सकता है आदमी आदमी का शिकार कर लेता है फिर भी आदमी जानवर को बहुत प्यार करता है ....
जय बाबा बनारस.............

Tuesday, May 3, 2011

कुत्ता बिरादरी के अपमान कि बात


 आज सुबह सुबह एक खबर अखबार की पहली खबर थी ,हर चैनल पर यही खबर है ,कुत्ता बिरादरी को किया हो गया सब कुत्तो ने अचानक अपने अपने मालिको से अचानक छुट्टी कि मांग रख दी..

कुत्तो ने एक विश्व व्यापी संगठन बनाया है ,खबर पढ़ कर दिमाग चकराया ,
 यह किया हुआ की कुत्तो को इस तरह का संगठन बनाना पड़ा पूरी खबर 
पड़ने के बाद समझ मैं आया की त्तेकु अपनी जगह सही है 

कुत्ता बिरादरी का कहना है हमें सब कुछ बर्दास्त है लकिन यह सुनना बर्दास्त से बहार है कि लादेन एक कुत्ते कि मौत मारा गया ...........यह कुत्ता बिरादरी के अपमान कि बात है ...आज हम सब कुत्ते इस के लिए कुछ भी करने को तैयार है यह पूरी कि पूरी कुत्ता बिरादरी का अपमान है 
हम भूके रह लेंगे ,मार खा कर जी लेंगे ,लकिन इस तरह के अपमान के साथ नहीं जी सकते है .....
लादेन कुत्ते से भी ब्द्तार मौत मारा गया जब तक यह घोसड़ा नहीं कि जाती तब तक पूरी कुत्ता बिरादरी अदम जाती के साथ मेलजोल नहीं रखगी  जब तक यह फैसला नहीं हो जाता है कोइए कुत्ता पाकिस्तान कि तरह अपने मालिक का वफ़ा दार नहीं होगा .........यह कुत्ता बिरादरी के अपमान कि बात है कुत्ता बिरादरी जिंदाबाद 
kutta ek wafa daar jaanwar hai pakistaan nahi

इंतिजार की घड़िया उम्मीद है बहुत जल्दी ख़तम होगी ......

आ अब लौट चले कुछ भूले बिसरे गीत और कुछ भूली बिसरी यादे कभी कभी बहुत सुंदर लगती है 

कभी किसी का आना आच्छा लगता है तो कभी किसी का जाना आच्छा लगता है 

कुछ लोगो का आना अच्छा लगता है जाना अच्छा नहीं लगता है ,

हम बस यही कहगे ओ जाने वाले हो सके तो जल्दी से जल्दी आना .....

जिंदगी जिन्दादिल्ली  का नाम है .......
.जिसका नाम जैसा होता है वह उस नाम को सार्थक करने की कोशिश करता है 

इंतिजार की घड़िया उम्मीद है बहुत जल्दी ख़तम होगी ......
जय बाबा बनारस.........

Sunday, May 1, 2011

हिंदी भवन में समाया ब्लॉग जगत

ब्लॉग जगत का बहुत प्रतीक्षित कार्यकर्म कल हिंदी भवन, नयी दिल्ली संपन्न हुआ. मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और हास्य व्यंग सम्राट श्री अशोक चक्रधर की उपस्तिति बढ़िया लगी. कई बातें जो परेशान करती रही वो आपके सम्मुख रखना चाहता हूँ :

ये कार्यकर्म हिंदी साहित्य निकेतन के ५० वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में लग रहा था... पर कार्यकर्म की अधिकतर ब्लोग्गर भाई ही शोभा बढ़ा रहे थे.... क्या ब्लोग्गरों को वहां मात्र श्रोतायों के लिए ही बुलाया गया था... ज्ञात ये भी हुआ है की ब्लोग्गरों के बीच श्री पुण्य प्रसून वाजपयी जी ने भी कुछ बातें शेयर करनी थी ... पर उनको समय नहीं दिया गया. 

दुसरे रविन्द्र प्रभात जी का परिकल्पना डोट कॉम और नुक्कड़ डोट कॉम ... जो कई दिनों से इस कार्यकर्म हेतु पचार और प्रसार में लगे थे .... इन लोगों को ऐसी कौन सी मजबूरी थी की हिंदी साहित्य निकेतन का प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किया. जो पुरूस्कार बाटें गए उसके लिए अलग से कार्यकर्म होता तो इसकी भव्यता कुछ और होती.

६२ ब्लोग्गर्स को विभिन्न श्रेणी में सर्वश्रेष्ट माना गया ? पुरूस्कार २-४ तक तो ठीक रहता है पर एक के बाद एक ६० ब्लोगों को चुना गया....... कुछ ऐसा लगा की ब्लोग्गर्स के नाम पहले चुन लिए गए और उनके ब्लोग्गों की प्रकुर्ती देखते हुए उसके आगे 'सर्वश्रेष्ट' लगा कर पुरूस्कार दिया गया है.

हालांकि कोई भी काम संपन्न करवाना मुश्किल है और उसकी आलोचना करना आसान. ... पर इस निमित कुछ सुंझाव मांगे जा सकते थे..... आर्थिक सरोकार भी देखे जा सकते थे....  यानि जहाँ चाह - वहां  राह निकल ही आती है. अपना अलग प्लेटफोर्म होता....... तो ब्लॉगजगत में इसकी भव्यता कुछ और होती.

हम तो नए नए हैं इस ब्लॉग्गिंग में मात्र ८ माह ही हुए है..... मगर लगता है ... कुछ न कुछ तो है जो आने वाले दिनों में सामने आएगा.

जय बाबा बनारस.