भारतीय परम्परा में उस्ताद या गुरु की महिमा का बहुत वर्णन है। गुरु को भगवान् से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है। प्राचीन समय में राजा के उपर हमेश धर्म दंड यानि की गुरु का दंड रहता था। वो राजा का मार्गदर्शक और विशेष उपाधि लिए राजसभा में उपस्थित रहता व् राजा को उसका हित अनहित समझा कर गलत मार्ग पर जाने से रोकता था।
और आज के उस्ताद, कोम्पुटर की एक कमांड पूछ लो तो पहेले २ समोसे का आर्डर कर देते हैं "जाओ भाई पाहिले पन्च्कुइन रोड से समोसे ले कर तो आओ फिर बताते है, हाँ, २ सिगरेट भी लेते आना" ये कलयुगी उस्ताद है। कमरा शिफ्ट करना है : "देखो भाई, हमारे पास टाइम नहीं है तुम कल छूती लेकर चले जाना और भाभी के साथ कमरा शिफ्ट करवा देना" यानि अपने वेतन में कटोती न हो तुम्हारी बेशक वात लग जाये।
प्राचीन काल में उस्ताद की चेलों से बहुत अपेक्षा रहेती थी... चेलों को कारीगरी हुनर के अलावा दीं दुनिया की भी पहेचान करवा कर भेजा जाता था "देख बबुआ उस्ताद का नाम मत डुबो देना"। और चेला भी वक्त - बे-वक्त छाती ठोक कर कहेता था "फलां उस्ताद के चेले हैं - इसे तो यूँ ही ठीक कर देंगे"
परन्तु आजकल के उस्ताद, चेलों को पहेले तो अपने चगुल से निकलने ही नहीं देते, अगर चेला थोडा होशियार निकला और उस्ताद के चंगुल से छूट गया तो फिर कहेना ही क्या? नालायाक है साला, गधा है साला, और अगर कहीं बाज़ार में एक ही जगह आमना सामना हो जाये तो छाती थोक कर कहेंगे, अरे चेला तो हमारा ही है" और चेले के जाने के बाद - उसी जगह चेले की बखिया उधेड़ते नज़र आएंगे।
कलियुगी उस्ताद हो या चेला सबका यही हाल है - दुनियां कहाँ जा रही है ????
ReplyDelete"उस्ताद का नाम मत डुबो देना" यह बड़ी बात होती थी." बिलकुल सहमत. आभार.
ReplyDeleteWhen Google, Facebook and Twitter was launched, no one thought that it will become our necessity,
ReplyDeleteI come to know a very interesting and innovative concept, could be another miracle in coming months and hence sharing with you,
Come on my blog and judge yourself!!
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हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
इस चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteस्वागतम
ReplyDeleteis kalyug me ustad hi kya sare riste nate bemani ho gaye hain.
ReplyDeletehttp://shyamgkp.blogspot.com