Sunday, July 11, 2010

जज्बा आम आदमी kaa

आम आदमी कुछ भी कर सकता है सरकार कुछ नहीं .एक पेपर मैं एक न्यूज़ पढ़ी पढ़ कर दिल खुश कर दिया यह है आम आदमी का जज्बा सरकार का जज्बा हूँ सकता है अगर सरकार
अलीगढ़। उनके पास किसी चीज की कमी नहीं हैं। भगवान का दिया सब कुछ हैं, फिर भी फिक्रमंद हैं अगली पीढ़ी के लिए, पानी के लिए। वे रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये बारिश के साथ-साथ अपने बगीचे के पानी को भी बर्बाद होने से बचा रहे हैं।

बात कर रहे हैं अपने घर में सबसे पहले रेन वाटर हार्वेस्टिंग की शुरुआत करने वाले जिले के पहले दंपति की। ये हैं राज्य विद्युत परिषद के सदस्य पद से 15 साल पहले रिटायर हुए इंजीनियर एसपी सिंह और उनकी पत्नी शांति देवी की।

सारसौल इलाके में साईं मंदिर के पास दस साल पहले कम ही घर थे। तब एसपी सिंह ने शहर में घर बेचकर यहां मकान बनवाया था। यहां 60 हजार वर्ग फुट में उनका बगीचा भी है। इसके एक कोने पर मकान है। शांति देवी बताती हैं कि तब घर के आगे पीछे पानी भरता था। बगीचे का पानी भी सड़क पर भर जाता था। किसी ने उन्हें वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में बताया। इंटरनेट से इस तकनीक के बारे में जानकारी जुटाई। पानी जमीन में डालने के लिए बोरिंग कराई और तीन टैंक बनाए। पानी को जमीन में डालने से पहले छाना जाता है। आखिरी टैंक में चूना, कोयला आदि डाला गया है ताकि जमीन में साफ पानी ही जाए।

शांति देवी बताती हैं कि शुरुआत में एक बोरिंग कराई थी, लेकिन बरसात ज्यादा होने पर परेशानी होती थी। बाद में दूसरी बोरिंग कराई। इस पर 20-22 हजार रुपये खर्च आया। वह कहती हैं कि लोगों को अपने घरों में भी ऐसे प्लांट लगाने चाहिए।

दंपति के घर 'फ्लोरा कॉटेज' में भूजल स्तर बढ़ गया है। बकौल शांति देवी, दस साल में पानी का स्तर तीन फुट बढ़ा है। पानी भी प्रदूषित नहीं हुआ है। वह समय-समय पर इसकी जांच कराती रहती हैं।

जिनके कंधों पर जल संरक्षण की जिम्मेदारी है, वे भले ही यह काम नहीं कर रहे हो। शहर में कई जागरूक नागरिक ऐसे हैैं, जो जल संरक्षण को लेकर सतर्क हैं और दूसरों के लिए नजीर बने हुए हैं।

सारसौल स्थित आरसीएस फ्लोर मिल के मालिक प्रदीप सिंगल चार साल पहले तमिलनाडु गए थे। वहां उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम देखा तो उनके मन में भी जल संरक्षण की ललक पैदा हुई। उन्होंने वहां से लौटकर दो रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाए। इनके जरिए दस हजार वर्ग मीटर एरिया का पानी जमीन में जाता है। इनके निर्माण पर लाखों रुपये खर्च किए। अब वे तीसरा सिस्टम भी लगा रहे हैं। यह सब उन्होंने गिरते भूजल स्तर को देखते हुए किया।

मैरिस रोड पर रहने वाले उद्यमी मोहित नंदन अग्रवाल का मकान करीब एक हजार वर्ग मीटर में बना हुआ है। ये भी घर और बरसात के पानी के संरक्षण के लिए आठ साल पहले वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था कर चुके हैं। मोहित बताते हैं कि जल संरक्षण करना हर किसी का उद्देश्य होना चाहिए। इससे गिरते भूजल स्तर को रोका जा सकता है। किया सरकार इस तरह ------------------------------------------

2 comments:

  1. bahut achchi batain kahin aapne


    पॉल बाबा का रहस्य आप भी जानें
    http://sudhirraghav.blogspot.com/

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