Monday, August 2, 2010

अँधा बाट रहा रेवरी फिर फिर अपना को dai

कामन वेअल्थ मैं खून पसीना की कमाई सरकार नै पता नहीं किस किस को खिलाई ??????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????



CWG : यहां एक छतरी का किराया है 6,308 रुपए
2 Aug 2010, 1143 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स


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रोहिणी सिंह
नई दिल्ली : अगर आपको फिटनेस का नशा है और आपको सबसे बेहतरीन ट्रेडमिल से कम पर संतोष नहीं है, तो लंदन की हैरोड्स
कंपनी आपको यह एक्सरसाइज मशीन केवल 10,000 पौंड यानी लगभग 7 लाख रुपए में मुहैया करा सकती है। अब यह सोचिए कि सुरेश कलमाडी और उनके राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पैनल ने एक ट्रेडमिल के किराए पर- एक बार फिर पढ़ लीजिए, किराए पर- वो भी केवल 45 दिनों के लिए कितना खर्च किया होगा? अगर आपको पता चले कि उन्होंने करदाताओं की कमाई के 9,75,000 रुपए केवल डेढ़ महीने के लिए एक ट्रेडमिल के किराए पर खर्च कर दिए, तो क्या आप ऐसी मशीन पर व्यायाम नहीं करना चाहेंगे?

अगर आप व्यायाम कर थक गए हों, तो शायद आप थोड़ा आराम भी करना चाहें। इसके लिए कलमाडी और उनके गैंग द्वारा किराए पर ली गई वे कुर्सियां कैसी रहेंगी, जिनकी हर पीस के लिए 8,378 रुपए चुकाए गए हों? और 100 लीटर के रेफ्रिजरेटर में रखे ठंडे ड्रिंक से तरोताजा होने का विचार तो और भी मजेदार है। वे रेफ्रिजरेटर, जिनकी हर इकाई के लिए कांग्रेस नेता कलमाडी और उनके साथियों ने 42,202 रुपए किराए के तौर पर चुकाए हैं।

कुर्सियों, ट्रेडमिलों और रेफ्रिजरेटरों के ये सौदे आम आदमी की सामान्य समझदारी से परे हैं। कलमाडी ने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया है और तर्क दिया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने जिन परियोजनाओं पर अंगुली उठाई है, उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान अस्थाई सेटअप की तैयारी के लिए किराए पर लिए गए ट्रेडमिल, कुर्सी और रेफ्रिजरेटर के सौदों पर कलमाडी की अंगुलियों के निशान हैं। ये सारे सौदे आयोजन समिति की ओर से किए गए हैं, जिसके अध्यक्ष कलमाडी हैं।

अस्थाई बुनियादी ढांचे के लिए कुल 650 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया गया है और इसके लिए चार कॉन्ट्रैक्टरों का चुनाव किया गया है। इनमें से तीन भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच साझा उपक्रम हैं। ईटी के पास मौजूद दस्तावेजों से पता चलता है कि इनमें सबसे बेहतरीन सौदा 230 करोड़ रुपए का है, जो पिको-दीपाली कंर्सोशियम को सौंपा गया है।

भारतीय साझेदार दीपाली डिजाइन एंड एग्जिबिट्स का गठन विनय मित्तल ने किया है, जो भाजपा के 'टेंटवाला' सुधांशु मित्तल के भतीजे हैं। आयोजन समिति को इन सौदों में कुछ भी गड़बड़ नहीं लगती। खेलों के प्रवक्ता और पैनल के सचिव ललित भनोट ने इसका कारण बताते हुए कहा, 'हमें आपूर्ति करने वाली एक कंपनी ने आश्वासन दिया है कि भारत में ऑफर की गई उनकी दरें लंदन 2012 ओलंपिक के लिए लिए गए उनके शुल्क से कम हैं।'

इसके अलावा भनोट और उनके सहयोगियों का तर्क है कि बहुत सारे नए उपकरण मुख्य स्टेडियम के लिए खरीदे गए हैं और दिल्ली 2010 के किराए पर दिए जा रहे हैं। भनोट के एक सहयोगी ने कहा, 'यह आपका घर फर्निश कराने जैसा है। पूरी परियोजना टर्नकी आधार पर सौंपी गई है और अलग-अलग उपकरणों पर मोलभाव नहीं किया गया है। हमने दो दौर की बातचीत की और जो भी छूट संभव थी, हमने हासिल की।'

बहुत से मामलों में दरों में भारी अंतर है। एक क्लस्टर में डीजल पावर का खर्च 15 रुपए प्रति यूनिट है, जबकि दूसरे क्लस्टरों में यह 80 रुपए प्रति यूनिट के भाव पर है। दो टन के एयर कंडीशनर का किराया 70,827 रुपए से लेकर 1,87,957 रुपए तक है। लिक्विड सोप डिस्पेंसर का खर्च कुछ क्लस्टरों में 200 रुपए है, जबकि कुछ में 10,000 रुपए से ज्यादा है। भनोट ने कहा कि यह अंतर इसलिए है कि इसमें बहुत सारी कंपनियां शामिल हैं और उनके उत्पादों की गुणवत्ता में अंतर है।

आयोजन समिति के कार्यकारी बोर्ड में शामिल भाजपा सांसद विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि उन्होंने 59 ट्रेडमिल, 59 क्रॉस ट्रेनर, दो टन के 110 एयर कंडीशनर जैसे प्रमुख अस्थाई ढांचे का इंतजाम सरकार की ओर से किए जाने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें बताया गया कि सरकार ने ऐसा करने में अपनी असमर्थता जताई है।'

सरकार के लिए, ऐसा लगता है कि अब प्राथमिकता भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटना नहीं, बल्कि शर्मिंदगी से बचना है। खेल मंत्री एम एस गिल भ्रष्टाचार के मसले पर बातचीत नहीं करना चाहते हैं और कलमाडी ने ईटी के फोन कॉल या भेजे गए टेक्स्ट मेसेज का कोई जवाब नहीं दिया। दिल्ली के मुख्य सचिव राकेश मेहता ने पूरे मामले से अपना हाथ झाड़ते हुए कहा कि अस्थाई ढांचे के लिए टेंडर आयोजन पैनल ने जारी किया था। सरकार की धमकी तो sun लो ek बार गेम to हो जाया फिर जनता को hi देखना hai



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