Sunday, September 19, 2010

आसिक और फकीर का एक ही हाल होता ही

आसिक और फकीर का एक ही हाल होता ही या तो मजा अमीरी मे या फिर मजा फकीरी में ,फहिर अपने मजे में अलमस्त रहता ही.आशिक हर हाल में अपनी महबूबा को पाना चाहते है,और फकीर भी हर हाल में अपने ईश्वर को पाना चाहते है ,तभी आशिक और फकीर का हाल एक ही होता है ,आशिक का हाल ---कपडा साफ़,जेबा साफ़ ,और दिल साफ़,केमोबस फकीर का भी हाल यही होता है ,दिल का हाल दोनों का एक ही होता है ,दोनों कुछ भी कर सकते है,बड़े बड़े राजा महाराजा की जागीर आशिकी में ख़तम हो गयी और वो एक तरह से फकीर हो गये,दोनों में एक जज्बा होता है जो की एक समान होता है ।

5 comments:

  1. बात तो पते की है पर गलती सुधार लें...आसिक नहीं आशिक

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  2. मन लागो मेरो यार फकीरी में
    जो सुख पावो नाम भजन में, सो सुख नाही अमीरी में
    भला बुरा सब को सुन लीजो, कर गुजरान गरीबी में;
    प्रेम नगर में रहनी हमारी, भली बनी आई सबूरी में;
    हाथ में कुण्डी, बगल में सोट्टा, चारों दिशा जागीरी में;

    चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर - आशिकी और फकीरी एक हो जाती है........
    दोनों रूठे यार को मानते हैं.

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  3. bahut sunders hai deepak ji
    मन लागो मेरो यार फकीरी में
    जो सुख पावो नाम भजन में, सो सुख नाही अमीरी में
    भला बुरा सब को सुन लीजो, कर गुजरान गरीबी में;
    प्रेम नगर में रहनी हमारी, भली बनी आई सबूरी में;
    हाथ में कुण्डी, बगल में सोट्टा, चारों दिशा जागीरी में;
    gyan vardhan kai liya dhanyad

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  4. सच है, दोनों की स्थिति मनःस्थिति एक सी!

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