दुनिया का हर आदमी इन्तिज़ार का मज़ा लेते ही ,इन्तिज़ार का जो मज़ा होता ही बहुत ही मजेदार होता ही ,आशिक को अपनी महबूबा का इंतज़ार रहता है,
किसी ko रेलगाड़ी का इन्तिज़ार होता hai,किसी को जहाज का इन्तिज़ार होता है,
विधार्थी को परीशाफल का इन्तिज़ार होता है ,सबको किसी न किसी का इन्तिज़ार होता है ,
किसी के आने का इंतज़ार ,किसी के जाने का इन्तिज़ार ,
यह इन्तिज़ार का समय बहुत ही बेसब्री से काटना पड़ता है ,
इस समय हमको भी किसी का इन्तिज़ार है ,तभी हम यह लिख रहा है-----------
आप के इन्तिज़ार में आपका ----थोडा इन्तिज़ार का मज़ा लीजिये
भाई लगे हाथ लिख देते - किसका इन्जार कर रहे हैं.
ReplyDeleteबाकि - आपके पोस्ट की हेडिंग ऐसे लगती है - मानो ग्रामीण हाट में दूकानदार कह रहा होता है : ५० रुपे - ५० रुपे - ५० रुपे - ५० रुपे हर माल मिलेगा ५० रुपे.
ReplyDeletejiska intizaat tha ab hum wo saat saath hai
ReplyDeleteबहुत अच्छा। मगर किसका......? बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteपोस्टर!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए!
इसीलिए तो आपकी पोस्ट का इंतज़ार दिल थाम कर करता हूं...
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका आना क्रांतिकारी है...आप हर पोस्ट के साथ नया प्रतिमान स्थापित करते हुए ब्लॉगिंग की दशा और दिशा बदल देंगे, ऐसा मेरा मानना ही नहीं विश्वास है...
दीपक बाबा मेरे शब्दों को मार्क करके रख लीजिए...
जय हिंद..
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ReplyDeleteइंतेज़ार का मज़ा कुछ और ही है ....
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