भूल गए सब कुछ याद नहीं अब कुछ बात य ही मामूली ,
कितना आसान है यह कहना की में तो भूल गया ,
आप के इतना भर कहना से पता नहीं सामने वाले पर क्या बीती यह शायद आप को नहीं मालूम ,
क्या आप कभी कुछ भूले है ,यात्रा का टिकेट ,टेलेफोन का बिल, बिजली का बिल, सब्जी का लाना ,बीबी का जनम दिन ,कभी न कभी तो हर आदमी कुछ न कुछ तो भूलता ही है ,भूलना आदमी की फितरत में शामिल है ,
कभी कभी लोग भुलाने का नाटक भी करते है की यार में तो भूल गया क्या आप के साथ कभी भूलने का इत्तफाक हुआ है अगर हुआ है ---------------------------------------
आदमी भूलता तभी है जब उस कार्य को सीरियसली नहीं लेता। नहीं तो कैसी भी व्यस्तता हो कार्य याद ही रहते हैं। हाँ उम्र के साथ जरूर भूलने का स्वभाव हो जाता है।
ReplyDeletegupta ji bahut sahi baat kahi hai
ReplyDeleteभाई मैं तो खूब भूलता हूं। आपके ब्लॉग पर आना भी! ? बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
मनोज जी, पहले ये बताइए कि "पूर्विया" ब्लॉग पर आप आना क्यों नहीं भूलते.
ReplyDeleteऔर दूसरी बात
हार्दिक शुभकामनाएँ किस बात कि दे रहे हैं.
@ मनोज जी, अच्छा लगता है आपका आना. आते रहिये. आभार
ReplyDelete@ दीपक बाबा, आप जो भी कहो, मगर लेट ही सही आप आये तो. और हाँ, आज खुशदीप भाई की कमी खाल रही है.