Sunday, September 19, 2010

बस एक बार मुस्करा दो

बस एक बार मुस्करा दो सिर्फ इतना कहने भर से मुस्कराहट चहरे पर आ जाती ही ,फिर भी आज की दुनिया मै मुस्कराना नहीं चाहते ,आप लोग दिन भर मै काफी लोगो से मिलते होगे मुस्कराते हुए उसमे कितने लोग मिलते है,बस एक बार मुस्करा दो,इतने में तो दिल में हल चल मच जाती है ,आज कल लोग मुस्कराते तो है लेकिन कंजूसी से भाई मुस्कराहट बहुत ही महँगी है आज कल ,,मुस्कान में नहीं है कोइए नुक्सान ,
भाई इस पर एक गाना भी है की आप का मुस्कराना गजब हो गया
क्योकि की आप ब्लॉग पर है बस एक बार मुस्करा दो

6 comments:

  1. बहुत सही कहा पूरविया जी। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

    और समय ठहर गया!, ज्ञान चंद्र ‘मर्मज्ञ’, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

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  2. मनोज कि, क्या वास्तव में बहुत अच्छी प्रस्तुति है - जो आप कौशल जी को हार्दिक शुभकामनाएं दे रहे हैं. ?

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  3. लो हम तो मुस्कुरा दिये। बहुत बडिया बात।

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  4. मुस्क्रराने क बहाना देने के लिए धन्यवाद.

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