आज का जीवन और उसकी saachi
एक डॉक्टर साहब एक पार्टी में गए । अपने बीच शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर को पाकर लोगों ने उन्हें घेर लिया। किसी को जुकाम था तो किसी के पेट में गैस। सभी मुफ्त की राय लेने के चक्कर में थे। शिष्टाचारवश डॉक्टर साहब किसी को मना नहीं कर पा रहे थे।
उसी पार्टी में शहर के एक नामी वकील भी आए हुए थे। मौका मिलते ही डॉक्टर साहब वकील साहब के पास पहुंचे और उन्हें एक ओर ले जाकर बोले - यार ! मैं तो परेशान हो गया हूं। सभी फ्री में इलाज कराने के चक्कर में हैं। तुम्हें भी ऐसे लोग मिलते हैं क्या ?
वकील साहब - बहुत मिलते हैं ।
डॉक्टर साहब - तो फिर उनसे कैसे निपटते हो ?
वकील साहब - बिलकुल सीधा तरीका है । मैं उन्हें सलाह देता हूं जैसा कि वो चाहते हैं। बाद में उनके घर बिल भिजवा देता हूं।
यह बात डॉक्टर साहब को कुछ जम गई । अगले रोज उन्होंने भी पार्टी में मिले कुछ लोगों के नाम बिल बनाए और उन्हें भिजवाने ही वाले थे कि तभी उनका नौकर अन्दर आया और बोला - साहब, कोई आपसे मिलना चाहता है ।
डॉक्टर साहब - कौन है ?
नौकर - वकील साहब का चपरासी है । कहता है कल रात पार्टी में आपने वकील साहब से जो राय ली थी उसका बिल लाया है ... kal yug main aaisa hi logo का guzara hai
बहुत सही बात कही है | यही सच्चाई भी है |
ReplyDeleteकौशल जी, सही वाक्या बयान किया है आपने. पहली बात - कई भी तकनिकी हुनरमंद शख्स कि कुल जमा पूँजी - उसका हुनर ही होता है - जिसके जरिये वो अपनी आजीविका कमाता है. जहाँ विदेशों में कंसल्टेंसी के नाम पर एक अच्छा ख़ासा उद्योग फल फुल रहा है पर भारत में इसको मुफ्त कि नज़र से देखा जाता है. और मुख्या बात तो ये है .... कि सलाह देने वाले - आपको नाई-पनवाडी कि दूकान से लेकर उच्च वर्ग कि किटी पार्टियों तक में मिल जायेंगे.
ReplyDeleteभाई लोगों का बस चले तो ओबामा से लेकर ओसामा तक को सलाह दें...
बढिया .
क्या बात है ........
ReplyDeleteयहाँ भी अपने विचार प्रकट करे ---
( कौन हो भारतीय स्त्री का आदर्श - द्रौपदी या सीता.. )
http://oshotheone.blogspot.com
वाह, क्या बात है!
ReplyDeleteमज़ा आ गया। जैसे को तैसा मिला।
आंच पर संबंध विस्तर हो गए हैं, “मनोज” पर, अरुण राय की कविता “गीली चीनी” की समीक्षा,...!
he he he..... sahi hai.... par aisa karna bhi har kisi ke bas ki baat nhi :)
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