अगर आज शोले फिल्म बनती तो गब्बर कहता ........
"अरे ओ रे साम्भा, तनिक देख कर बतायीओ आज ठाकुर कि पोस्ट पर कित्ते कोमेंट्स आये""सरदार ९८"
और हमरी पोस्ट पर
"सरदार ८९"
अरे ई तो बड़ी ना-इंसाफी है रे.......
तुरंत बेनामी ११ कमेंट्स और ठेले जाएँ.........
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सरदार आपने तो ठाकुर के हाथ काट दिए थे न.... ताकि भविष्य में ठाकुर ब्लॉग न लिख सके. पर सुना है ... ठाकुर नें शहर से दो लेखकवा मंगवाए है...... उ ठाकुर के नाम से ब्लॉग में लिखेंगे.....
साम्भा.........
तुरंत रामगढ़ जाओ....... और मुनियादी करवा दो.... जो ठाकुर के नाम पर ब्लॉग लिखेगा... उसका हश्र भी ठाकुर की तरह हो जाएगा..
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भाग धन्नो.... भाग.....
तेरी बंसती की इज्ज़त का सवाल है...
धन्नो.... मैंने पहले ही कहा था ... ठाकुर के उन दो लेखकों के ब्लॉग पर टिप्पणी मत करना........
अब भुक्तो.........
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देखो गाँव वालों............ अगर तुमने मेरे ब्लॉग पर टिप्प्पणी नहीं दी तो मैं यहाँ टंकी से कूद कर सुई साइड कर लूँगा......
"अरे रामू, ये 'सुई साइड' क्या होता है....
भई, जब ये लेखक लोग लिख लिख कर परेशान हो जाते है और कोई इनको पढ़ ने नहीं आता और कोममेंट्स नहीं करता तो ये टंकी से कूद कर जान दे देते हैं इसी को सुई साइड कहते हैं.
अच्छा भैय्या - एक बात और बताओ, ये लेखक इत्ता लिखते क्यां हैं.....
भई कई लोगों के खाना आसानी से नहीं पचता न.. ....
बहुत खूब ..
ReplyDeleteशोले तो फिर से बननी ही चाहिये
मज़ेदार! एकदम ओरिजिनल है!! इस शृंखला की और प्रस्तुति आनी चाहिए!!! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी पर - ये अंधेरों में लिखे हैं गीत!
मनोज पर -आंच – समीक्षा डॉ. जे. पी. तिवारी की कविता ‘तन सावित्री मन नचिकेता’
कित्ते आदमी थे............
ReplyDeleteहुजुर आदमी तो वहाँ कोई नहीं था..... सभी ब्लोग्गर थे.
क्यों ? कैसे रहा ये भी....
bhai verma ji iske liye to bollywood khabar bhajani hogi.
ReplyDeleteमज़ेदार! एकदम ओरिजिनल है!! इस शृंखला की और प्रस्तुति आनी चाहिए!!! sahi kaha manoj ji.
ReplyDeleteकित्ते आदमी थे............
ReplyDeleteहुजुर आदमी तो वहाँ कोई नहीं था..... सभी ब्लोग्गर थे.
क्यों ? कैसे रहा ये भी.... aacchha laga baba ji.
बहुत मनोरंजक प्रस्तुति...
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