Saturday, May 7, 2011

बड़ा कौन


बड़ा कौन एक बार ब्रह्मा व विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। दोनों में से कौन श्रेष्ठ है, इसे लेकर युद्ध छिड़ गया और यह लंबे समय तक चलता रहा। हजारों साल बीतने पर देवताओं ने भगवान भोलेनाथ से इसे समाप्त कराने का अनुरोध किया। श्री भोलेनाथ युद्धरत ब्रह्मा व विष्णु के बीच तेज ज्योति के रूप में प्रकट हुए। महानिशा में प्रकट हुई यह ज्योति आकाश से पाताल तक फैली हुई थी। इसी समय आकाशवाणी हुई कि जो इस ज्योतिपुंज या ज्योर्तिलिंग का सिरा देख कर पहले लौटेगा वही श्रेष्ठ गिना जाएगा। यह सुनकर ब्रह्माजी मुंह ढूंढ़ने के लिए आकाश की ओर भागे जबकि भगवान विष्णु पैर ढूंढ़ने के लिए पाताल की ओर। दोनों काफी समय तक भागते रहे पर किसी को सिरा नहीं मिला। थककर दोनों लौटने लगे। इस बीच भगवान ब्रह्मा को कुछ कपट आया। उन्होंने सोचा कि अगर सिरा न देखने की बात कहेंगे तो श्रेष्ठ नहीं गिने जाएंगे। इसलिए उन्होंने वापस पृथ्वी पर पहुंचते ही झूठे ही कह दिया जाए कि सिरा देख लिया। साक्षी के लिए उन्होंने भगवान भोलेनाथ की सवारी नंदी को आगे कर दिया। भगवान भोलेनाथ ने नंदी से पूछा तो वह ब्रह्माजी के डर से सिर से तो हा बोले पर पीछे पूंछ हिला कर इंकार करते रहे। इससे भगवान भोलेनाथ नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि नंदी आपके सिर ने झूठ बोल कर गलत किया है, इसलिए अब सिर की पूजा नहीं होगी। पूंछ से सत्य कहा है इसलिए अब से पूंछ की ही पूजा होगी। साथ ही ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि आपने झूठ बोला इसलिए अब आपकी पूजा नहीं होगी। बाद में उन्होंने भगवान विष्णु से पूछा कि सिरा मिला या नहीं। भगवान विष्णु ने इंकार कर दिया। इस पर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए। उन्होंने कहा कि आपने सत्य कहा है। इसलिए आज से आप भगवान सत्यनारायण के नाम से प्रसिद्ध होंगे। आज से जिस तरह मेरी घर घर पूजा होती है, उसी तरह से आपकी भी घर घर पूजा होगी।
वीर शैव संप्रदाय (जंगमबाड़ी) के जगदगुरु डॉ. चन्द्रशेखर शिवाचार्य के अनुसार यह घटना काशी में ही घटी थी। भगवान भोलेनाथ के इस आशीर्वाद के चलते भगवान सत्यनारायण की कथा पूरे विश्व में सर्व व्यापक रही है। किसी भी पुण्य कार्य से पूर्व भगवान सत्यनारायण की कथा अनिवार्य रूप से सुनने व सत्य आचरण का संकल्प लेने का विधान रहा है।

8 comments:

  1. बहुत सुंदर पोस्ट। नई जानकारी मिली।

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  2. जय हो!! बेहतरीन आलेख.

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  3. बहुत सुंदर पोस्ट। धन्यवाद|

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  4. जो डर गया वो मर गया
    यहां तो वो हार गया
    चाहे वो भगवान ही क्यो ना हो

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  5. आशुतोष नीलकंठ शम्भू अविनाशी ..
    जय हो बाबा बनारस की...

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