आज सुबह सुबह मौसम बहुत गरम गरम सा लग रहा था
अभी कुछ देर पहले मौसम का मिजाज बदल गया तो हमने भी अपना
मिजाज बदल लिया है ................
मोहबत्त एक एहसासों की पावन सी कहानी है,,,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है |
यहाँ सब लोग कहते है ,,मेरी आखो में आँसू है,,,
जो तू समझे तो मोती है ,, जो न समझे तो पानी है |
जय बाबा बनारस.......................
जय बाबा बनारस हम तो अभी भी जाम में है..
ReplyDeleteगाड़ी में लैपटॉप आन कर के कमेन्ट करने बैठ गए..
ये मौसम तो कातिलाना हो गया..मगर अगल बगल में ट्रक फसे हैं जाम में..तो आशिकी तो होने से रही
bahut sundar pandit ji kya baat kahi hai ...abhaar
ReplyDeleteजय बाबा बनारस.........
ReplyDeleteयहाँ की बरसात में हर साल वही मोती पानी बन बरसते हैं।
ReplyDeleteकुमार विश्वास का यह गीत बहुत अच्छा लगता है। बदला मिजाज मुबारक हो मिश्रा जी।
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ReplyDeleteवाह क्या बात कही।सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteउम्दा सोच
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।