एक बार स्वामिविवेकानन्द काशी के गंगा घाट पर विचरण कर रहे थे ।
अचानक एक बन्दर उनकी ओर आय और उन्हें दौडाने लगा ।
वह भी घबराकर भागने लगे ।
उन्होंने देखा कि पहले मात्र एक बन्दर था, पर उनकी संख्या निरन्तर बढती जा रही है ।
वहीं पर एक बूढा साधु बैठा था । उसने स्वामिविवेकानन्द से कहा- ए!! रुक जाओ वहीं पर और बन्दरों का सामना करो ।
उन्होंने वैसा ही किया और आश्चर्यजनक रूप से सभी बन्दर भाग गये ।
उस साधु से उन्हें यही शिक्षा प्राप्त हुई कि समस्याओं से जितना भागोगे, उतनी ही बढेंगीं और सामना करने पर समाप्त हो जाएंगी ।
जय बाबा बनारस...
अचानक एक बन्दर उनकी ओर आय और उन्हें दौडाने लगा ।
वह भी घबराकर भागने लगे ।
उन्होंने देखा कि पहले मात्र एक बन्दर था, पर उनकी संख्या निरन्तर बढती जा रही है ।
वहीं पर एक बूढा साधु बैठा था । उसने स्वामिविवेकानन्द से कहा- ए!! रुक जाओ वहीं पर और बन्दरों का सामना करो ।
उन्होंने वैसा ही किया और आश्चर्यजनक रूप से सभी बन्दर भाग गये ।
उस साधु से उन्हें यही शिक्षा प्राप्त हुई कि समस्याओं से जितना भागोगे, उतनी ही बढेंगीं और सामना करने पर समाप्त हो जाएंगी ।
जय बाबा बनारस...
बन्दरों का सामना करने की सुन्दर सीख...
ReplyDeleteसार्थक चिंतन ... समस्याओं का सामना करो ...
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें ........
ReplyDelete