Thursday, May 24, 2012

कुछ समझ नहीं पा रहे है।....

 जब से पेट्रोल  के दाम  बढे है तब से दिमाग मैं एक ही बात  गूज   रही  है कि  एक  आदमी  को  पेट्रोल से  जलने मैं  कितना  पेट्रोल  लगेगा  और एक  नेता  को पेट्रोल  से जलने  जलाने   मैं  कितना  पेट्रोल  लगेगा  यही   हिसाब   

किताब  लगाने  की कोशिश  कर  रहे है  लकिन  कुछ  समझ  नहीं  आ  रहा  है  की खुद को  जलने मैं  फ़ायदा है  या किसी नेता  को साथ मैं लेकर  जलने मैं  यहाँ की जनता  का कुछ  फ़ायदा  है ....

आप   लोग  ही  कुछ मार्ग दर्शन  करने की कोशिश  करे  हम  कुछ  समझ  नहीं  पा रहे  है।....

जय  बाबा  बनारस .......

3 comments:

  1. अभी तो जेब ही जल रही है।

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  2. मोहन माखन खा गए, मोहन पीते दुग्ध ।
    आग लगा मोहन गए, लपटें उठती उद्ध ।

    लपटें उठती उद्ध, जला पेट्रोल छिड़ककर ।
    होती जनता क्रुद्ध, उखाड़ेगी क्या रविकर ।

    बड़े कमीशन-खोर, चोर को हलुवा सोहन ।
    दाढ़ी बैठ खुजाय, अर्थ का शास्त्री मोहन ।।

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  3. क्या क्या जलाएंगे जेब जल रही है ,दिल जल रहा है,देश जल रहा है,पर सरकार है कि हाथ ताप रही है.उनकी गर्मी दूर करने के लिए जनता का पैसा है,उस पैसे से सरकारी गाड़ियाँ घूमने के लिए है.जनता ने उन्हें इसलिए ही चुना है.

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