Friday, June 29, 2012

गजब का आत्म विश्वास

 टॉल्सटॉय से उनके एक मित्र ने कहा- मैंने तुम्हारे पास एक योग्य व्यक्ति को भेजा था। उसके पास उसकी प्रतिभा के कई प्रमाणपत्र थे। लेकिन आश्चर्य है कि तुमने अपने सचिव के पद के लिए उसे नहीं चुना। मैंने सुना है कि तुमने उस पद के लिए जिस व्यक्ति को चुना है उसके पास ऐसा कोई प्रमाणपत्र नहीं था। आखिर उसमें ऐसा कौन सा गुण था कि तुमने मेरी बात की उपेक्षा कर दी? टॉल्सटॉय ने मुस्कराते हुए कहा- मैंने जिसे चुना है उसके पास अमूल्य प्रमाणपत्र हैं। मित्र ने आश्चर्य से पूछा-ऐसा क्या है उसके पास, जरा मैं भी सुनूं। टॉल्सटॉय ने कहा- उसने मेरे कमरे में आने से पहले इजाजत मांगी थी। अंदर आने से पहले उसने दरवाजों को इस तरह पकड़ कर धीरे-धीरे सटाया कि आवाज न हो। उसके कपड़े साधारण पर साफ-सुथरे थे। उसने बैठने से पहले कुर्सी साफ कर ली थी। उसमें गजब का आत्म विश्वास था। वह मेरे प्रश्नों के ठीक और संतुलित जवाब दे रहा था। मेरे प्रश्न समाप्त होने पर वह मेरी इजाजत लेकर चुपचाप उठा और चला गया। उसने किसी तरह की चापलूसी या चयन के लिए सिफारिश की कोशिश नहीं की। ये ऐसे प्रमाणपत्र थे जो बहुत कम व्यक्तियों के पास होते हैं। मेरा मानना है कि ऐसे गुणसंपन्न लोगों के पास यदि लिखित प्रमाणपत्र न भी हों, तो कोई बात नहीं। असली प्रमाणपत्र तो व्यवहार है। लिखित प्रमाणपत्र तो कोई भी हासिल कर सकता है। तुम ही बताओ, मैंने ठीक किया कि नहीं। यह सुनकर टॉल्सटॉय का मित्र निरुत्तर रह गया। 


जय बाबा बनारस।........

4 comments:

  1. मेरा मानना है कि ऐसे गुणसंपन्न लोगों के पास यदि लिखित प्रमाणपत्र न भी हों, तो कोई बात नहीं। असली प्रमाणपत्र तो व्यवहार है। लिखित प्रमाणपत्र तो कोई भी हासिल कर सकता है।

    bahut khoob ... sundar prastuti.

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  2. @उसमें गजब का आत्म विश्वास था। वह मेरे प्रश्नों के ठीक और संतुलित जवाब दे रहा था। मेरे प्रश्न समाप्त होने पर वह मेरी इजाजत लेकर चुपचाप उठा और चला गया।


    प्रेरक.... हमें स्वयं पर धारण करना चाहिए.

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  3. यही गुण ईश्वर की सिफारिशें हैं..

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  4. यही गुण तो आज मुश्किल से दिखते हैं....

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