बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर, 1530 को हो गई थी। सम्भवत: उसे उसके लड़के कामरान ने ही जहर दिया था। उसके बाद तत्काल किसी को भी सम्राट घोषित नहीं किया गया। तीन दिन तक इसके लिए राजमहल में कुचक्र तथा षड्यंत्र चलते रहे। बाबर की लाश तीन दिन तक सड़ती रही।
बाबर एक लुटेरा था और एक लुटेरे का यही अंत होता है
जय बाबा बनारस .....
बाबर एक लुटेरा था और एक लुटेरे का यही अंत होता है
जय बाबा बनारस .....
सल्तनतों के लिये तमाम तरह की साजिश होती हैं।
ReplyDeleteउमर अब्दुल्लाह तथा कश्मीर पुलिस और लियाकत के परिवार वालों की ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' का कहना है कि लियाकत अली शाह राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत कश्मीर में बसने के लिए पीओके से नेपाल के रास्ते लौट रहा था.
Deleteहालांकि ये ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' दिल्ली पुलिस के इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे पा रही है कि...
यदि लियाकत सरेंडर करने और फिर से कश्मीर में बसने के लिए आ रहा था, तो उसने नेपाल का रूट क्यों पकड़ा? वह पीओके से आसानी से कश्मीर में बस से आ सकता था? कश्मीर पुलिस का कोई कर्मी उसे लेने के लिए भारत-नेपाल बॉर्डर पर क्यों नहीं पहुंचा.?
अब जरा अब्दुल्लाह के दुलारे इस लियाकत की हकीकत भी जानिये...
लियाकत मूल रूप से कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। उसका बड़ा भाई मंजूर शाह भी आतंकी था और शुरू में दोनों भाई अल-बरक नामक आतंकी संगठन के साथ जुड़े थे। 1993 में लियाकत का भाई एक मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन वह सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग निकला। 1997 में वह पीओके चला गया था और वहां उसने मुजफ्फराबाद में दूसरी शादी कर ली। लियाकत अपने भाई की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. दिल्ली पुलिस ने उसकी निशानदेही पर पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में एक गेस्ट हाउस पर छापा मारकर ए के 47 जैसे घातक हथियार, विस्फोटकों से भरे पांच बैग व आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये थे ।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार का कहना है कि, जामा मस्जिद इलाके में पहुंचने पर लियाकत स्पेशल सेल के ऑफिसरों को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ गेस्ट हाउस बताकर गुमराह करता रहा जिसके परिणामस्वरुप गेस्टहाउस के कमरा नंबर 304 में दो दिन पहले आकर ठहरे जिस शख्स की तलाश थी, उसे भागने का समय मिल गया और वह पुलिस के हाथ नहीं लगा लेकिन पुलिस को उसके द्वारा दिल्ली लाया गया तबाही का साजो सामान मिल गया.
बाबर एक लुटेरा था और एक लुटेरे का यही अंत होता है
सत्ता स्वार्थ का ही रूप है और सवार्थी के लिए कोई भई सम्बंध मायने नहीं रखता.
ReplyDeleteउमर अब्दुल्लाह तथा कश्मीर पुलिस और लियाकत के परिवार वालों की ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' का कहना है कि लियाकत अली शाह राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत कश्मीर में बसने के लिए पीओके से नेपाल के रास्ते लौट रहा था.
Deleteहालांकि ये ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' दिल्ली पुलिस के इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे पा रही है कि...
यदि लियाकत सरेंडर करने और फिर से कश्मीर में बसने के लिए आ रहा था, तो उसने नेपाल का रूट क्यों पकड़ा? वह पीओके से आसानी से कश्मीर में बस से आ सकता था? कश्मीर पुलिस का कोई कर्मी उसे लेने के लिए भारत-नेपाल बॉर्डर पर क्यों नहीं पहुंचा.?
अब जरा अब्दुल्लाह के दुलारे इस लियाकत की हकीकत भी जानिये...
लियाकत मूल रूप से कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। उसका बड़ा भाई मंजूर शाह भी आतंकी था और शुरू में दोनों भाई अल-बरक नामक आतंकी संगठन के साथ जुड़े थे। 1993 में लियाकत का भाई एक मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन वह सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग निकला। 1997 में वह पीओके चला गया था और वहां उसने मुजफ्फराबाद में दूसरी शादी कर ली। लियाकत अपने भाई की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. दिल्ली पुलिस ने उसकी निशानदेही पर पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में एक गेस्ट हाउस पर छापा मारकर ए के 47 जैसे घातक हथियार, विस्फोटकों से भरे पांच बैग व आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये थे ।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार का कहना है कि, जामा मस्जिद इलाके में पहुंचने पर लियाकत स्पेशल सेल के ऑफिसरों को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ गेस्ट हाउस बताकर गुमराह करता रहा जिसके परिणामस्वरुप गेस्टहाउस के कमरा नंबर 304 में दो दिन पहले आकर ठहरे जिस शख्स की तलाश थी, उसे भागने का समय मिल गया और वह पुलिस के हाथ नहीं लगा लेकिन पुलिस को उसके द्वारा दिल्ली लाया गया तबाही का साजो सामान मिल गया.
बाबर एक लुटेरा था और एक लुटेरे का यही अंत होता है
सत्ता में जहर होता है।
ReplyDeleteउमर अब्दुल्लाह तथा कश्मीर पुलिस और लियाकत के परिवार वालों की ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' का कहना है कि लियाकत अली शाह राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत कश्मीर में बसने के लिए पीओके से नेपाल के रास्ते लौट रहा था.
Deleteहालांकि ये ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' दिल्ली पुलिस के इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे पा रही है कि...
यदि लियाकत सरेंडर करने और फिर से कश्मीर में बसने के लिए आ रहा था, तो उसने नेपाल का रूट क्यों पकड़ा? वह पीओके से आसानी से कश्मीर में बस से आ सकता था? कश्मीर पुलिस का कोई कर्मी उसे लेने के लिए भारत-नेपाल बॉर्डर पर क्यों नहीं पहुंचा.?
अब जरा अब्दुल्लाह के दुलारे इस लियाकत की हकीकत भी जानिये...
लियाकत मूल रूप से कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। उसका बड़ा भाई मंजूर शाह भी आतंकी था और शुरू में दोनों भाई अल-बरक नामक आतंकी संगठन के साथ जुड़े थे। 1993 में लियाकत का भाई एक मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन वह सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग निकला। 1997 में वह पीओके चला गया था और वहां उसने मुजफ्फराबाद में दूसरी शादी कर ली। लियाकत अपने भाई की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. दिल्ली पुलिस ने उसकी निशानदेही पर पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में एक गेस्ट हाउस पर छापा मारकर ए के 47 जैसे घातक हथियार, विस्फोटकों से भरे पांच बैग व आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये थे ।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार का कहना है कि, जामा मस्जिद इलाके में पहुंचने पर लियाकत स्पेशल सेल के ऑफिसरों को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ गेस्ट हाउस बताकर गुमराह करता रहा जिसके परिणामस्वरुप गेस्टहाउस के कमरा नंबर 304 में दो दिन पहले आकर ठहरे जिस शख्स की तलाश थी, उसे भागने का समय मिल गया और वह पुलिस के हाथ नहीं लगा लेकिन पुलिस को उसके द्वारा दिल्ली लाया गया तबाही का साजो सामान मिल गया.
बाबर एक लुटेरा था और एक लुटेरे का यही अंत होता है
बहुत ही बेहतरीन,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteउमर अब्दुल्लाह तथा कश्मीर पुलिस और लियाकत के परिवार वालों की ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' का कहना है कि लियाकत अली शाह राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत कश्मीर में बसने के लिए पीओके से नेपाल के रास्ते लौट रहा था.
ReplyDeleteहालांकि ये ''आतंकी बचाओ तिकड़ी'' दिल्ली पुलिस के इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे पा रही है कि...
यदि लियाकत सरेंडर करने और फिर से कश्मीर में बसने के लिए आ रहा था, तो उसने नेपाल का रूट क्यों पकड़ा? वह पीओके से आसानी से कश्मीर में बस से आ सकता था? कश्मीर पुलिस का कोई कर्मी उसे लेने के लिए भारत-नेपाल बॉर्डर पर क्यों नहीं पहुंचा.?
अब जरा अब्दुल्लाह के दुलारे इस लियाकत की हकीकत भी जानिये...
लियाकत मूल रूप से कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। उसका बड़ा भाई मंजूर शाह भी आतंकी था और शुरू में दोनों भाई अल-बरक नामक आतंकी संगठन के साथ जुड़े थे। 1993 में लियाकत का भाई एक मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन वह सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग निकला। 1997 में वह पीओके चला गया था और वहां उसने मुजफ्फराबाद में दूसरी शादी कर ली। लियाकत अपने भाई की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. दिल्ली पुलिस ने उसकी निशानदेही पर पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में एक गेस्ट हाउस पर छापा मारकर ए के 47 जैसे घातक हथियार, विस्फोटकों से भरे पांच बैग व आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये थे ।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार का कहना है कि, जामा मस्जिद इलाके में पहुंचने पर लियाकत स्पेशल सेल के ऑफिसरों को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ गेस्ट हाउस बताकर गुमराह करता रहा जिसके परिणामस्वरुप गेस्टहाउस के कमरा नंबर 304 में दो दिन पहले आकर ठहरे जिस शख्स की तलाश थी, उसे भागने का समय मिल गया और वह पुलिस के हाथ नहीं लगा लेकिन पुलिस को उसके द्वारा दिल्ली लाया गया तबाही का साजो सामान मिल गया.
बाबर एक लुटेरा था और एक लुटेरे का यही अंत होता है
होली की हार्दिक शुभकामनायें!!!
ReplyDelete