Saturday, April 27, 2013

अंग्रेज की वो टिपण्णी....

एक अंग्रेज भारत घुमने का आया, घूमते हुए एक चिड़िया घर मैं पहुंचा, बहार एक कुत्ता देख कर भोंका, अंग्रेज ने जेब से कुछ बिस्कुट निकले और कुत्ते को डाल दिए, कुत्ता अंग्रेज के तलवे चाटने लगा, भोंकने की आवाज़ कु कु मैं बदल गई,अंग्रेज चिड़िया घर के अन्दर गया / अंग्रेज को देख पिंजरे मैं बंद जंजीरों मैं जकड़ा एक शेर दहाड़ा,अंग्रेज ने कुछ बिस्कुट निकाले शेर के आगे डाल दिए, शेर मजबूर था ,जंजीरों मैं जकड़ा ,आह भरकर रह गया ,बिस्कुट से मूह फेर लिया !

अंग्रेज ने सिगरेट कश लगते हुए टिपण्णी की, भारत एक ऐसा देश है जहाँ भोकने वाले कुत्ते बाज़ारों मैं खुल्ले घूमते हैं, और दहाड़ने वाले शेरो को जंजीरों मैं कैद करके रखा जाता है, अंग्रेज की वो टिपण्णी आज के राजनीतिक परिवेश पैर सही बैठती है ! भोंकने वाले कुत्ते मतलब देसी मीडिया, और देश के पीएम से लेकर हर छोटा बड़ा नेता एक अंग्रेज औरत के फेंके हुए टूकड़ो को खाकर खुल्ले आम भोंकते हैं, धरम और देश का अपमान करते और आम जनता को इन सब से कोई मतलब ही नहीं है भारत देश एक चिड़िया घर की तरह हो गया है और इन सब की एक रिंग मास्टर है सब के सब उसे के पीछे चल रहे है 


जय बाबा बनारस .....

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