Wednesday, August 28, 2013

जोड़ दिया जाये या काट दिया जाये ........

एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने
के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर
चला गया । वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने
पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके
पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास
टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं
और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।
जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे
रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक
बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा ने कहा-
बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला-
पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब
भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे
दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर
लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने
दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने
ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।

उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और
सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह
हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह
हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई
को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे
रखता हूं.....................


जय बाबा बनारस .....




4 comments:

  1. १०० टके की बात. जोड़ने वाले की जगह ऊँची है.

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  2. सच कहा और जोड़ने वाले को बड़ा महीन भी होना पड़ता है।

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  3. एशिया महाद्वीपमें भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसकी आर्थिक स्थितिइतनी मजबूत है के यहाँ पर रहने वाले हर व्यक्ति का जीवन सामान्य से कहीं अधिक सुलभ हो सकता हैरिपोर्ट के अनुसार अगर सभी भारतवासी केवल नब्बे दिन लगातार किसीभी विदेशी वस्तु को ना खरीदें तो लगभग सौ दिनों केभीतर ही भारत देश दुनिया कादूसरा सबसे अमीर देश बन सकता हैरिपोर्ट में दिये गएआकङो को अगर सही मान लिया जाऐ तो सिर्फ सौ दिनो के अन्दर ही भारत के दो रूपये अमेरिका के एक डालर के बराबर हो जाऐंगे( आज के इस महँगाई भरे दौर में अगर आप अपने बच्चों को उनका एक अपना घर वसीयत करना चाहते है, तो मुझे लगता है आपको, मुझको, हम सब को मिल कर ये एक कोशिश ज़रूर आज़मानी चाहिए !

    ये एक निवेदन है एक भारतीय का सभी भारतीयों से !).

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  4. साहब, अगर बाहर का कुछ खरीदना ही नहीं है, तो फिर रुपये की डालर से तुलना करने की भी क्या जरूरत है :)

    कहानी तो बड़ी विचित्र है, मानो सीख देने के लिए ही बुनी गयी हो !

    लिखते रहिये ...

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