Friday, July 23, 2010

आज का हाजमा

आल कल आदमी का हाजमा बिलकुल ही न के बराबर है .आप के येह पर कोइए आता है अगर आप आज कल के मौसम मैं कुछ खाना को कहता है तो वाह न न न करता ही रहता है कुछ समझ मैं नहीं आता है की आज कल आम आदमी को क्या हूँ गया है . आज कल आदमी वहमी हूँ गया है की यह नहीं खाना वोह नहीं खाना तो फिर क्या खाना है लगता है के अगला इलेक्शन मैं सरकार को खाना है तब त़क कुछ नाही खाना है .

No comments:

Post a Comment