आज की बात शुक्रवार की शाम का बाद शानिवार की सुबह मौसम और मूड कुछ हद त़क काफी आच्हा था कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था की क्या लिखा जाये फिर सोचा की कुछ तो लिखा ही है आदमी को सपनों को बुनना चाहिय सपनों को हकीक़त मैं बदलना की कोसिस करनी चाहिय आज का सपना ही कल की हकीक़त है यही सच है
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