Saturday, July 24, 2010

आज की बात यही सच है

आज की बात शुक्रवार की शाम का बाद शानिवार की सुबह मौसम और मूड कुछ हद त़क काफी आच्हा था कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था की क्या लिखा जाये फिर सोचा की कुछ तो लिखा ही है आदमी को सपनों को बुनना चाहिय सपनों को हकीक़त मैं बदलना की कोसिस करनी चाहिय आज का सपना ही कल की हकीक़त है यही सच है

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