Saturday, September 18, 2010

सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम

सुस्वागतम सुनाने main कितना सुंदर लगता है लगता है की आप किसी का स्वागत कर रहे है ,हम भारत के लोगो की आदत मैं सुमार है की हम लोग सबका स्वागत करते है ,हम लोग जब मौसम बदलता है तो हर मौसम का स्वागत बड़े जोर शोर से करते है ,सर्दी का स्वागत है ,गर्मी का स्वागत है ,और इस साल तो हमने बारिस का तो बहुत बसब्री से इन्तीजार किया ,हर फसल का हम स्वागत करते है ,नए मेहमान का हम स्वागत करते है ,नई बहु का हम स्वागत करते है ,और तो और हम भारतवासी एक उम्र के बाद अपने गोलोकवासी होने का स्वागत करते है,
हम आप का भी स्वागतम सुस्वागतम -----------------कुछ सबद ही आइसे होता ही ki दिल ko khusi mil jati ही

8 comments:

  1. एक और सर्वकालिक श्रेष्ठ पोस्ट...

    दीपक बाबा के साथ अब तो मैं भी आपका मुरीद हो गया...

    जय हिंद...

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  2. ग़ालिब दिल बहलाने को ख्याल अच्छा है.

    खुशदीप जी सही कहा आपने
    इससे पहले वाली पोस्ट - कालजयी रचना थी....
    दूसरी सर्वकालिक श्रेष्ठ ...

    आप तो लगता है कौशल जी को झाड पर चढा रहे हो......
    पर भाई बाबा को तो मत लपेटो........

    क्या ख्याल है.

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  3. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    बहुत सुन्दर लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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  4. aap mere blog par aaye bahut-bahut shukriya!

    aur dekhiye aaj phir ek blog dil ko bha gya...bahut achha blog hai aapka

    ............GAURTALAB

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  5. मनोज कुमार said...
    बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

    मनोज भाई, किस बात कि हार्दिक शुभकामनाये दे रहे हैं आप.

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