Thursday, September 23, 2010

सुंदर,सुन्दरता,सुंदर संसार

सुन्दरता का कोइए पैमाना नहीं होता ही ,सबका सुंदरता का पैमाना अलग अलग होता है,कुछ सुंदर होता है कुछ अतिसुंदर होता ,सुन्दरता के बारे में कह जाता है की सुंदर वास्तु देखने के लिया होती है चुनने के लिया नहीं,
सुंदर सब्दो को सुन कार मन में खुसी का अहसास होता है ,सुन्दरता का मानव जीवन में होना अति जरुँरी है ,
मानव मन को अपना मन सुंदर रखना चाहिय ,
तन भी सुंदर ,मन भी सुंदर,तभी आप को सारा संसार बहुत ही सुंदर दिखाई देगा ----------------सुंदर संसार

1 comment:

  1. मन की सुंदरता सर्वोपरि है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    स्वरोदय विज्ञान – 10 आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

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