Thursday, October 7, 2010

अपुना झंकल करे कहे आवा दददा दू कचौरी तोहाऊ खा ले

गाँव में एक कहावत है ,
घर में नहीं है दाने अम्मा गयी है भुजाने ,
कुल सत्तर करोड़ का गुब्बारा खाली हवा में उड़ा दिया पूरी दुनिया ने उसको देखा - वाह वाह मिली.
यह उन लोगो नें भी देखा जो भारत को एक भिखारियों और सपेरों का देश कहा करते है.
आज भारत का किसान आत्महत्या कर रहा है .और सरकार सत्तर करोड़ का गुब्बारा
हवा में उड़ा रही है ....... आज हर मंदिर के बाहर भिखारी खड़ा है यह सब सरकार की देन हैं.
आज दिल्ली का भिखारी गंगा किनारे हरद्वार और गर्मुक्तेश्वर में ट्रक भर कर भेज दिए गए. मात्र इसलिए कि इस सरकारी खुशी के मौके पर कोई ग़मगीन न दिखे.

कल को वोह फिर दिल्ली में आ जायेंगे.

कल जब नशा उतरेगा तब समझ में आयगा की यह सब तो भारत की जनता का खून पसीना का पैसा था. क्या किसी सांसद ने खेल के नाम पर अपने पूजी का कोई एक रूपया लगाया है.............

तो फिर भारत के माध्यम वर्ग की पूंजी (जो आयकर द्वारा सरकार को प्राप्त हुई) ही क्योंकर बर्बाद हुई........ जनता जवाब मांगती है.

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