कल कुछ काम का बोझ कम था सोचा चलो कुछ धरम करम का काम हो
पहुच गए चतरपुर मंदिर बड़ी लम्बी लाइन कोइए बात नहीं
जल्दी नंबर आ गया मंदिर के अंदर हलुइअ का प्रसाद बट रहा था
कुछ लोग प्रसाद जरुर लेते और उस प्रसाद को खाते नहीं थे
थोडा आगे चल कर किसी खिड़की के पास रख देते
भाई अपनी समझ में यह बात नहीं आय
जब खाना नहीं था तो लिया कियो
यह तो वो बात हो गयी सरकार तेल दे पल्ले में ले
मतलब फ़ोकेट में कुछ भी मिले एक बार ले लो
आखिर हमारे देश में ऐसा कियु होता है
लोग बड़े मन से कुछ बाटत है
और आप उसको लाकर बेकार वस्तु की तरह कूड़ा समजहते हो
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Saturday, October 16, 2010
Wednesday, October 13, 2010
सब्र करना तो सीख लें।
आज सुबह सुबह एक ब्लॉग पर गए बहुत सुंदर कविता उस ब्लॉग पर थी
उसकी एक लाइन दिल को छू गयी लाइन है (सब्र करना तो सीख लें। )
बहुत ही सुंदर बात इस लाइन में केही गयी है अगर हम और आप इस लाइन से कुछ सीख ले सकते है तो सीक ले
जीवन का सार्थक तत्वा इस लाइन में है हम लोग भीड़ में आगे निकलना चाहते है अपनी बरी का इन्तिज़ार नहीं करते है आप अपनी रोज मर्रा की जिंदगी में सुबह से लाकर शाम तक कहा लाइन में लगते है
आजकल मंदिर में दर्शन के लिया खूब मारा मारी है
लोग बाग मंदिर में शांति की तलाश में जाते है
मंदिर में एक के उपर एक लगता है की भगवन सिर्फ इनका ही इन्तिज़ार कर रहे है
आओ भक्त में तो सुबह से ही तुम्हारा इन्तिज़ार कर रहा हू।
सुबह सुबह आप स्कूल बस का नजारा देखे कुछ बच्चे लाइन में लगना
अपनी शान के खिलाफ समांjhate है
वही आगे चल कर हर काम में बेसब्री दिखाते है
सब्र करना तो सीख लें।तो हम बहुत ही आगे जा सकते है सब्र करना बहुत ही जरुरी है
उसकी एक लाइन दिल को छू गयी लाइन है (सब्र करना तो सीख लें। )
बहुत ही सुंदर बात इस लाइन में केही गयी है अगर हम और आप इस लाइन से कुछ सीख ले सकते है तो सीक ले
जीवन का सार्थक तत्वा इस लाइन में है हम लोग भीड़ में आगे निकलना चाहते है अपनी बरी का इन्तिज़ार नहीं करते है आप अपनी रोज मर्रा की जिंदगी में सुबह से लाकर शाम तक कहा लाइन में लगते है
आजकल मंदिर में दर्शन के लिया खूब मारा मारी है
लोग बाग मंदिर में शांति की तलाश में जाते है
मंदिर में एक के उपर एक लगता है की भगवन सिर्फ इनका ही इन्तिज़ार कर रहे है
आओ भक्त में तो सुबह से ही तुम्हारा इन्तिज़ार कर रहा हू।
सुबह सुबह आप स्कूल बस का नजारा देखे कुछ बच्चे लाइन में लगना
अपनी शान के खिलाफ समांjhate है
वही आगे चल कर हर काम में बेसब्री दिखाते है
सब्र करना तो सीख लें।तो हम बहुत ही आगे जा सकते है सब्र करना बहुत ही जरुरी है
Thursday, October 7, 2010
अपुना झंकल करे कहे आवा दददा दू कचौरी तोहाऊ खा ले
गाँव में एक कहावत है ,
घर में नहीं है दाने अम्मा गयी है भुजाने ,
कुल सत्तर करोड़ का गुब्बारा खाली हवा में उड़ा दिया पूरी दुनिया ने उसको देखा - वाह वाह मिली.
यह उन लोगो नें भी देखा जो भारत को एक भिखारियों और सपेरों का देश कहा करते है.
आज भारत का किसान आत्महत्या कर रहा है .और सरकार सत्तर करोड़ का गुब्बारा
हवा में उड़ा रही है ....... आज हर मंदिर के बाहर भिखारी खड़ा है यह सब सरकार की देन हैं.
आज दिल्ली का भिखारी गंगा किनारे हरद्वार और गर्मुक्तेश्वर में ट्रक भर कर भेज दिए गए. मात्र इसलिए कि इस सरकारी खुशी के मौके पर कोई ग़मगीन न दिखे.
कल को वोह फिर दिल्ली में आ जायेंगे.
कल जब नशा उतरेगा तब समझ में आयगा की यह सब तो भारत की जनता का खून पसीना का पैसा था. क्या किसी सांसद ने खेल के नाम पर अपने पूजी का कोई एक रूपया लगाया है.............
तो फिर भारत के माध्यम वर्ग की पूंजी (जो आयकर द्वारा सरकार को प्राप्त हुई) ही क्योंकर बर्बाद हुई........ जनता जवाब मांगती है.
घर में नहीं है दाने अम्मा गयी है भुजाने ,
कुल सत्तर करोड़ का गुब्बारा खाली हवा में उड़ा दिया पूरी दुनिया ने उसको देखा - वाह वाह मिली.
यह उन लोगो नें भी देखा जो भारत को एक भिखारियों और सपेरों का देश कहा करते है.
आज भारत का किसान आत्महत्या कर रहा है .और सरकार सत्तर करोड़ का गुब्बारा
हवा में उड़ा रही है ....... आज हर मंदिर के बाहर भिखारी खड़ा है यह सब सरकार की देन हैं.
आज दिल्ली का भिखारी गंगा किनारे हरद्वार और गर्मुक्तेश्वर में ट्रक भर कर भेज दिए गए. मात्र इसलिए कि इस सरकारी खुशी के मौके पर कोई ग़मगीन न दिखे.
कल को वोह फिर दिल्ली में आ जायेंगे.
कल जब नशा उतरेगा तब समझ में आयगा की यह सब तो भारत की जनता का खून पसीना का पैसा था. क्या किसी सांसद ने खेल के नाम पर अपने पूजी का कोई एक रूपया लगाया है.............
तो फिर भारत के माध्यम वर्ग की पूंजी (जो आयकर द्वारा सरकार को प्राप्त हुई) ही क्योंकर बर्बाद हुई........ जनता जवाब मांगती है.
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