Wednesday, October 20, 2010

आज का दिन २०-१०/२०--१० याद ही नहीं रहा

भाई आज क्या है
आज का दी तो किसी याद ही नहीं रहा भाई आज २०-१०/२०--१० है
लास्ट इयर ९-९-२००९ का बहुत ही हल्ला गुल्ला था
सारा का सारा मीडिया चिल्ला रहा था
लकिन आज तो किसी को याद हे नहीं रहा की आज भी
कोइए बहुत ही उनिक डे है
लोग बाग इस दिन को भी याद नहीं रखते है
भाई सब्र रख लकिन इतना भी सब्र मत रख की सब कुछ भूल ही जा
कुछ तो याद रख --------

8 comments:

  1. अरे वाह कौशल जी. क्या दूर की कौड़ी काये हैं आप। लेकिन देखिये कैसे कैसे लोग हैं, इतना भी याद नहीं रखा। और तो और हम भी आपकी पोस्ट अभी देख पाये हैं, इक्कीस तारीख को।

    ReplyDelete
  2. ाब एकाध चीज़ तो याद रहती है मगर दस बीस कौन याद रखता है? वैसे कमाल की यादाश्त है आपकी। शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  3. वाकई, यूनिक है
    दूका सिफर इक्का सिफर और फिर दूका सिफर इक्का सिफर

    २०१०२०१० यही न.......

    बढिया.

    ReplyDelete
  4. bhai mau sam ji kafi dino baad aaye

    ReplyDelete
  5. एकाध चीज़ तो याद रहती है मगर दस बीस कौन याद रखता है?
    nirmala ji yeh sab umar ka takaja hai----

    ReplyDelete
  6. यह महीना ही कमाल का है, ५ शनिवार, ५ रविवार! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
    (समीक्षा) पर अरुण राय की कविता ‘गोबर’!
    साहित्यकार-फणीश्वरनाथ रेणु

    ReplyDelete
  7. bhai manoj ji aap ne bhee bahut hi aacha pakada.
    sadhanyad.

    ReplyDelete
  8. दूका सिफर इक्का सिफर और फिर दूका सिफर इक्का सिफर

    bhi dppak ji aap ki post ko padh kar hi is post ka khayal aaya tha aap hi ne apne post ke uper
    20-10-2010.likha huya tha .
    aap ko sadhanyad.

    ReplyDelete