न तुम हमें जाने न हम तुम्हे जाने
बहुत ही सुंदर गाना है एक बार गुनगुनिये
यही हाल आज आप के देश का है
कोइए किसी से बात नहीं कर सकता है
सब एक दुसरे को शक की नज़र से दखते है
हिन्दू है तो भगवा आतंकवादी
मुस्लिम है तो मुस्लिम आतंकवादी
वो हिन्दू है वो मुस्लमान है
हिन्दू है तो तिलक तराजू है और तलवार है
मुसल मन है तो शिया है ,सुन्नी है
भाई इस से तो आच्छा है की
न तुम हमें जाने न हम तुम्हे जाने
जिंदगी आराम से गुजर जायगी
भाई क्या क्या बताये इस देश में क्या क्या धरम के नाम पर और
शर्म के नाम पर क्या क्या हो रहा है
आप लोग भी अपने विचार रखे ---
वाह कौशल जी, का रस्ता सुझाये हैं आप। गाना भी गुनगुन लिये और आप के विचार भी चुनसुन लिये। सही कहते हैं आप, ऐसे शक से एक दूसरे को देखने से बेहतर तो यही है कि ’न तुम हमे जानो न हम तुम्हें जाने’
ReplyDeleteलेकिन गुरू, जे नहीं बताये इसके बाद वाली लाईन भी गुनगुन करनी है या नहीं? कर दिया हमें कन्फ़्यूज आपने}
na kisi le lena aur na kisi se dena.
ReplyDeleteसत्य बचन !
ReplyDelete@@शर्म के नाम पर क्या क्या हो रहा
ReplyDeleteये सवाल जे एन यू में जाकर पुन्छिये.......
वहाँ के प्रोफ. बताएंगे..
aap sabhi logon ka aabhaar.
ReplyDeleteor han babaji je or bata do JNU main hi kyon jaayen puchhne ke liye.
भाई दुनिया भर की धर्म निरपेक्षता और वामपंथ की जुगाली JNU में ही तो होती है. वही सही तरीके से बता देंगे की न तुम जानो न हम..... का फलसफा कहाँ तक ठीक रहेगा.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर.
ReplyDeletehttp://sudhirraghav.blogspot.com/
विचारोत्तेजक रचना।
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