आज दीपक बाबा के ब्लॉग पर पोस्ट हमें बहुत बढिया लगी.......... भाई, हम बंटी चोर की तरह तो हैं नहीं.... कि टिपण्णी देकर चेता दें फिर चोरी करें..........
सीधा वहीँ से कट पेस्ट कर रहे हैं.......
Photo courtsey : www.getwallpaper.net
ऐसा देश है मेरा, जहाँ एक दिन पहले ६० रूपये की मेहँदी हाथों पर लग रही थी..... कल २५० रूपये लिए जा रहे थे.... नारियल .... १० रूपये वाला ३० रूपये का मिल रहा था... पार्किंग में जगह नहीं थी....... फैनी ८० रूपये से बढकर २०० रूपये किलो के भाव थी........
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कई तरह के मोटे-पतले, दुबले, गोरे-काले से लड़के सड़क के किनारे बैठ कर मेहँदी लगा रहे थे. पतिदेव (खासकर नए-नए पति बने है) इर्ष्या नज़र से अपनी पत्नी का हाथ उस मेहँदी लगवाने वाले हाथों से देख रहे थे........ साला पैसे भी लेता है और देखो ..... कैसे हाथ को पकड़ कर गोद में रख कर मेहँदी लगा रह है.
कई तरह के मोटे-पतले, दुबले, गोरे-काले से लड़के सड़क के किनारे बैठ कर मेहँदी लगा रहे थे. पतिदेव (खासकर नए-नए पति बने है) इर्ष्या नज़र से अपनी पत्नी का हाथ उस मेहँदी लगवाने वाले हाथों से देख रहे थे........ साला पैसे भी लेता है और देखो ..... कैसे हाथ को पकड़ कर गोद में रख कर मेहँदी लगा रह है.
“देखो, इस बार में इन लड़कियों से मेहँदी नहीं लगावायुंगी ..... लड़के लोग ही सही मेहँदी लगाते हैं” श्रीमती पिछले अनुभव सुनाने लग गई और हम तुनुक कर एक मोटी आंटी के सामने उसे बिठा देते हैं ... क्या है की अपन में "इर्ष्या" तो लेश मात्र भी नहीं है.
गुब्बारे बेचने वाले को सुरक्षाकर्मी गिरबान से पकड कर मार्किट से बाहर घसीटता हुवा ले जा रहा था..... एक भिखारी को २ रूपये का सिक्का दिया ........... बुरा सा मुँह बनाकर मन ही मन गाली देता हुवा चला गया.......... तम्बाकू की पुडिया न जेब में थी और नहीं ही उस सुगन्धित मार्केट में उपलब्ध हो रही थी.... तुनक और बढती जा रही थी. ..... एक साहेब हथेली पर BBC (बुधिवर्धक चूर्ण = सुरती का नामकरणसलील वर्मा जी का कोपी राईट है) घिसते हुवे नज़र आये तो .... उन्ही से दोस्ती गांठ ली....
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एक साहेब बीवी से उलझे दिखे......... इत्ती भीड़-भाड़ है .... ३-४ दिन पहले नहीं मेहँदी नहीं लगवा सकती थी.... एक की जगह १० मांग रहे है और टाइम और खोटी हो रहा है.. शराब सर पर चढ़ कर कर सच उगल रही थी.... पर बीवी आँखे दिखा रही थी.... अंतत शराब जीतती दीख रही थी...
एक साहेब बीवी से उलझे दिखे......... इत्ती भीड़-भाड़ है .... ३-४ दिन पहले नहीं मेहँदी नहीं लगवा सकती थी.... एक की जगह १० मांग रहे है और टाइम और खोटी हो रहा है.. शराब सर पर चढ़ कर कर सच उगल रही थी.... पर बीवी आँखे दिखा रही थी.... अंतत शराब जीतती दीख रही थी...
सच इस महंगाई में तो पतिव्रता नारी बनना भी कित्ता मुश्किल है....
जाते जाते ......
संता सिंह जब घर पहुंचा तो बीवी ने पूजा की तैयारी कर रखी थी.... घर का वातावरण बहुत आलौकिक लग रहा था..
मैं क्यया भागवान ऐ की कर रही है...
कुज नई, तुवाडा ही स्यापा कर रही हाँ.......
और हाँ, अभी एक मित्र का SMS आया है, बिलकुल सटीक बैठ रहा है इस मौके पर :
लक्ष्मी जी का वाहन, उल्लू एक बार नाराज़ हो गया.... बोला ... ये माता, आपकी पूजा दुनिया करती है पर मुझे कोई नहीं पूजता..
इस पर माता बोली... परेशान मत हो.... आज तुने शिकायत की है तो ठीक है. अब मेरी पूजा से ठीक ११ दिन पहले तेरी भी पूजा होगी.. और इसी प्रकार उस दिन को"करवाचौथ" कहा जाने लगा.
बहरहाल, जय राम जी की
OHH ACHA AAJ KARWACHOTH HAI
ReplyDeleteACHHA DIN HAI.....
मिश्र जी, पोस्ट का हेडिंग गज़ब का दिया है.........
ReplyDeletebhai sanjay ji ko pata hi nahi ki karva choth hai.
ReplyDeletesab baba ji ki kirpa hai .
ReplyDeleteओह! बच गए। आज मेरी बीवी कोई पूजा नहीं कर रही है। मज़ेदार प्रस्तुति!
ReplyDeleteसमकालीन डोगरी साहित्य के प्रथम महत्वपूर्ण हस्ताक्षर : श्री नरेन्द्र खजुरिया
sahi kaha manoj ji.
ReplyDeleteलक्ष्मी जी का वाहन, उल्लू एक बार नाराज़ हो गया.... बोला ... ये माता, आपकी पूजा दुनिया करती है पर मुझे कोई नहीं पूजता..
ReplyDelete...bahut sahi tathya
bhai kab hai ye karva chauth? hamara hi naam sanjay hai.
ReplyDeletehaan theek kaha aapne sab babaji ki hi kripa hai.title vaakai gajab ka diye ho mishra ji, ise padhte hi aapki creativity jhalakti hai.