गिरी भाई मुझे ऐसा खाना खाना है जिसके खाने से लेट्रिंग न आती हो ऐसी पोस्ट पढनी है जो किसी भाषा में न लिखी गयी हो मुझे ऐसी फिल्म देखनी है जिसमें कोई हीरो हिरोईन न हो ऐसा गाना सुनना है जिसमें कोई गीत न हो ऐसे घर में रहना है जिसमें घरवाली न हो
taarkeshvri bhaayi bs yhi to aek chiz he jise bdlaa nhin jaa skta sbke apne apne dhrm hen lekin shikshaa bs aek hi he jiyo or jine do pyar do pyar lo dhrm pr agr qaym rhe to idhr rho yaa udhr neki to krna hi he . akhtar khan akela kota rajsthan
गिरी भाई मुझे ऐसा खाना खाना है जिसके खाने से लेट्रिंग न आती हो ऐसी पोस्ट पढनी है जो किसी भाषा में न लिखी गयी हो मुझे ऐसी फिल्म देखनी है जिसमें कोई हीरो हिरोईन न हो ऐसा गाना सुनना है जिसमें कोई गीत न हो ऐसे घर में रहना है जिसमें घरवाली न हो
धर्म बदलने की चीज़ नहीं...... आप कितनी आसानी से धर्म बदलते हैं.....
पर, हमारे धर्म को जो सबसे कमज़ोर कर रहा है वो है 'जाती प्रथा'
अगर आप धर्म बदल सकते हैं तो जाती क्यों नहीं - ये एक औटो के पीछे लिखे स्लोगन में पढ़ था.
धर्म बदलने पर भी - आपकी जाति वही रहती है.... ये बात आप चाहें तो उन लोगों से पूछ सकते हो जो मुस्लिम और क्रिस्तान हो गए..... दक्षिण भारत में तो दलितों के गिरिजा और कब्रिस्तान भी अलग हैं .
मैं एक कट्टर धार्मिक मुस्लिम बुद्धिजीवी से पूछता हूँ : "क्या वे एक हिंदू हरिजन से मुस्लिम बने हरिजन को अपनी बेटी देना पसंद करेंगे या फिर एक उच्च जाति के हिंदू को जो मुस्लिम बना है.
दीपक जी यहाँ से गुज़र रहा था आप का सवाल देखा. भाई मैं कट्टरवाद मैं यकीन नहीं रखता , वैसे भी कट्टर किसको कहते हैं मैं आज तक समझ नहीं सका. इस्लाम मैं शादी किसी भी मुस्लिम से की जा सकती है यहाँ जातिवाद के लिए कोई जगह नहीं. ना हरिजन ना ठाकुर, सिर्फ मुसलमान
lekin jab sabhi logo ki rai ehi hai ki apna dharm nahi badlna chahiye to fir bhi Dr Naik Kaise logo ka Dharm Parivartan karwata hai, kaise Isai Mission main ja karke apna dharm badalte hain aur fir unko kya faiyda hota hai.
अच्छा लेख़., यदि आप को "अमन के पैग़ाम" से कोई शिकायत हो तो यहाँ अपनी शिकायत दर्ज करवा दें. इस से हमें अपने इस अमन के पैग़ाम को और प्रभावशाली बनाने मैं सहायता मिलेगी,जिसका फाएदा पूरे समाज को होगा. आप सब का सहयोग ही इस समाज मैं अमन , शांति और धार्मिक सौहाद्र काएम कर सकता है. अपने कीमती मशविरे देने के लिए यहाँ जाएं
सर्प्रथम हमें अपने मालिक को तलाश करना चाहिए की कौन है वो मालिक जिसने ये ब्रह्माण्ड बनाया जो हमें जिलाता है और मारता है जो इस सृष्टि को सुचारू रूप से चला रहा है , और किस की हमें पूजा अर्चना इबादत करनी चाहिए हम सभी को इस प्रश्न पर विचार करना चाहिए जब इश्वर एक है तो हम क्यों आपस में लड़ रहे हैं क्यों उसे अलग अलग रूप में मानते हैं , क्यों एक मनुष्य को हम भगवान का दर्जा दे देते हैं
Der kis baat ki hai ?
ReplyDeleteगिरी भाई मुझे
ReplyDeleteऐसा खाना खाना है जिसके खाने से लेट्रिंग न आती हो
ऐसी पोस्ट पढनी है जो किसी भाषा में न लिखी गयी हो
मुझे ऐसी फिल्म देखनी है जिसमें कोई हीरो हिरोईन न हो
ऐसा गाना सुनना है जिसमें कोई गीत न हो
ऐसे घर में रहना है जिसमें घरवाली न हो
taarkeshvri bhaayi bs yhi to aek chiz he jise bdlaa nhin jaa skta sbke apne apne dhrm hen lekin shikshaa bs aek hi he jiyo or jine do pyar do pyar lo dhrm pr agr qaym rhe to idhr rho yaa udhr neki to krna hi he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeletekoie apne dharam ka rasta to dikhiye .
ReplyDeleteपानी बरसे - घोर-घनानन
ReplyDeleteअंधड चाले - सन-सनानन
राजा रोवे - हूं-हुनानन ...
सरदार सुबके - उन्ह-उन्हानन
मद्रासी न्योते - आन आनानानन
मेला लागे - धम-धमानन
ट्रेन चाले - छुक - छुकानन
डिजाइनर परेसान्वा ... ख़म खामानानन
पुरविया ठेले पोस्ट -
ठेल-ठेलानानन
जय हो पूर्वांचल की मस्ती...
पुरविया ठेले पोस्ट -
ReplyDeleteठेल-ठेलानानन -जय हो पूर्वांचल की मस्ती...
गिरी भाई मुझे
ReplyDeleteऐसा खाना खाना है जिसके खाने से लेट्रिंग न आती हो
ऐसी पोस्ट पढनी है जो किसी भाषा में न लिखी गयी हो
मुझे ऐसी फिल्म देखनी है जिसमें कोई हीरो हिरोईन न हो
ऐसा गाना सुनना है जिसमें कोई गीत न हो
ऐसे घर में रहना है जिसमें घरवाली न हो
halal bai ne bilkul sahi kaha hai.
धर्म बदलने की चीज़ नहीं......
ReplyDeleteआप कितनी आसानी से धर्म बदलते हैं.....
पर, हमारे धर्म को जो सबसे कमज़ोर कर रहा है वो है 'जाती प्रथा'
अगर आप धर्म बदल सकते हैं तो जाती क्यों नहीं - ये एक औटो के पीछे लिखे स्लोगन में पढ़ था.
धर्म बदलने पर भी - आपकी जाति वही रहती है.... ये बात आप चाहें तो उन लोगों से पूछ सकते हो जो मुस्लिम और क्रिस्तान हो गए..... दक्षिण भारत में तो दलितों के गिरिजा और कब्रिस्तान भी अलग हैं .
मैं एक कट्टर धार्मिक मुस्लिम बुद्धिजीवी से पूछता हूँ :
"क्या वे एक हिंदू हरिजन से मुस्लिम बने हरिजन को अपनी बेटी देना पसंद करेंगे या फिर एक उच्च जाति के हिंदू को जो मुस्लिम बना है.
दीपक जी यहाँ से गुज़र रहा था आप का सवाल देखा. भाई मैं कट्टरवाद मैं यकीन नहीं रखता , वैसे भी कट्टर किसको कहते हैं मैं आज तक समझ नहीं सका. इस्लाम मैं शादी किसी भी मुस्लिम से की जा सकती है यहाँ जातिवाद के लिए कोई जगह नहीं. ना हरिजन ना ठाकुर, सिर्फ मुसलमान
ReplyDeleteKuch takniki problem ki wajah se hindi main comment nahi kar paa raha hun
ReplyDeletelekin jab sabhi logo ki rai ehi hai ki apna dharm nahi badlna chahiye to fir bhi Dr Naik Kaise logo ka Dharm Parivartan karwata hai, kaise Isai Mission main ja karke apna dharm badalte hain aur fir unko kya faiyda hota hai.
ReplyDeleteठेल-ठेलानानन -जय हो पूर्वांचल की मस्ती..
अच्छा लेख़., यदि आप को "अमन के पैग़ाम" से कोई शिकायत हो तो यहाँ अपनी शिकायत दर्ज करवा दें. इस से हमें अपने इस अमन के पैग़ाम को और प्रभावशाली बनाने मैं सहायता मिलेगी,जिसका फाएदा पूरे समाज को होगा. आप सब का सहयोग ही इस समाज मैं अमन , शांति और धार्मिक सौहाद्र काएम कर सकता है. अपने कीमती मशविरे देने के लिए यहाँ जाएं
ReplyDeleteसर्प्रथम हमें अपने मालिक को तलाश करना चाहिए की कौन है वो मालिक जिसने ये ब्रह्माण्ड बनाया जो हमें जिलाता है और मारता है
ReplyDeleteजो इस सृष्टि को सुचारू रूप से चला रहा है ,
और किस की हमें पूजा अर्चना इबादत करनी चाहिए
हम सभी को इस प्रश्न पर विचार करना चाहिए
जब इश्वर एक है तो हम क्यों आपस में लड़ रहे हैं क्यों उसे अलग अलग रूप में मानते हैं ,
क्यों एक मनुष्य को हम भगवान का दर्जा दे देते हैं
तर्केश्वेर जी मैं पहले ही ना कहता था धर्म ना बदलो तकनिकी प्रॉब्लम आ जाएगी? वही हुआ ना..हा हा हा
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